मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक नागर शैली में है। लंबाई 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊंचाई 161 फुट होगी। मंदिर तीन मंजिला होगा और हर मंजिल 20 फुट ऊंची। इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे होंगे। मुख्य गर्भगृह में भगवान राम का बचपन का स्वरूप (राम लला की मूर्ति) और पहली मंजिल पर राम दरबार होगा। इसके अलावा अलग से नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप भी होंगे। मंदिर में प्रवेश के लिए पूर्व दिशा को चुना गया है। परिसर के चारों कोनों पर सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या को समर्पित मंदिर प्रस्तावित हैं। परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कुबेर टीला पर जटायु की स्थापना के साथ-साथ भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। खास यह है कि मंदिर में लोहे का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर निर्माण में करीब 5,500 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है।
मंदिर में लगने वाले घंटे
निर्माणाधीन मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन के बाद अगले दिन से वह हिस्सा सबके लिए खोल दिया जाएगा। मंदिर निर्माण के लिए ग्रेनाइट तेलंगाना और कर्नाटक से मंगाए गए हैं। मंदिर के फर्श के सौंदर्यशास्त्र को बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश के कारीगरों का सहयोग लिया गया है। बलुआ पत्थर की नक्काशी का काम ओडिशा के कारीगरों को सौंपा गया है। लकड़ी पर नक्काशी के लिए तमिलनाडु के कारीगर बुलाए गए हैं। मंदिर के अनुष्ठानों के लिए आवश्यक 42 घंटियां भी तमिलनाडु से मंगवाई गईं हैं। गुजरात के वडोदरा से आई 108 फुट लंबी और 4 फुट चौड़ी अगरबत्ती प्राण-प्रतिष्ठा के दिन जलाई जाएगी। इसको बनाने में 150 किलो गाय के दूध का इस्तेमाल किया गया है। अगरबत्ती करीब 40 दिनों तक जलेगी।
मंदिर पूरी तरह बन कर तैयार होने में वक्त लगेगा