राजधानी भोपाल के शहरी इलाके बरखेड़ा पठानी की आजाद नगर बस्ती में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री तथा वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती पहुंचती हैं। वहां की महिलाएं शराब की दुकान बंद करवाने की मांग कर रही थीं। उमा भारती महिलाओं के साथ शराब की दुकान पर जाती हैं और शराब की बोतलों पर पत्थर उछाल देती हैं। कई बोतलें फूट जाती हैं मगर दुकान वाले शांत होकर यह सब कुछ देख रहे होते है। वहां मौजूद पुलिस बल भी मूक दर्शक बना रहता है। उमा भारती के इस कदम को शराबबंदी के अभियान की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा था। इस घटना के दो दिन पूर्व ही उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की थी। यह माना गया कि दोनों के बीच शराबबंदी के मामले में कोई सहमति नहीं बन पाई है। लेकिन शराबबंदी अभियान आगाज के साथ ही ठप पड़ गया। उस घटना के बाद उमा भारती पूरी तरह शांत हैं। वास्तव में पार्टी लाइन से अलग जाने पर पार्टी संगठन ने नाराजगी व्यक्त की है। उमा भारती पिछले दो साल से शराबबंदी को लेकर अभियान चलाने की चेतावनी दे रही हैं। उन्होंने तीन बार अभियान की तारीख भी बदली है।
उमा भारती के शराब दुकान में तोड़फोड़ मामले पर पार्टी में कोई भी प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है। राज्य सरकार और पार्टी दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री के इस कदम के बाद सकते में आ गए थे। किसी को भी उमा भारती से इस तरह के कदम की उम्मीद नहीं थी। मुख्यमंत्री और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष दोनों ने ही अलग-अलग स्तर पर उमा भारती को मनाने के प्रयास किया, लेकिन उसका खास असर दिख नहीं रहा था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान ही उमा भारती को सारी वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया था। सरकार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि फिलहाल राज्य में शराबबंदी लागू की जाए। मध्य प्रदेश सरकार को सालाना करीब 9,000 करोड़ रुपये की आमदनी शराब बिक्री से होती है। उस मुलाकात के बाद उमा भारती का यह कदम दिखाता है कि वे फिलहाल शराबबंदी के मामले में कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। उसके बाद पार्टी ने उमा तक स्पष्ट संदेश पहुंचाया कि भविष्य में पार्टी लाइन से अलग जाकर काम नहीं करना है। पार्टी फिलहाल राज्य में शराबबंदी के पक्ष में नहीं है। उसके बाद उमा भारती ने अपने को पूरी तरह से शांत कर लिया। उस घटना के बाद से उन्होंने कोई सार्वजनिक बयान भी जारी नहीं किया है।
हालांकि कांग्रेस ने उनके अभियान पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि उमा भारती अपनी ही सरकार में कितनी असहाय हो चुकी हैं। तीन बार शराबबंदी की तारीख देकर गायब रहीं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री अब शराब की दुकान में खुद पत्थर बरसा रही हैं। क्या उमा भारती अब पत्थर उठाकर शराबबंदी कराएंगी? उन्होंने कहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री को अपनी सरकार में यह सब करना पड़े तो हकीकत को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। सलूजा ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में शराब को सस्ती व शराब दुकानों को दोगुनी कर रहे हैं, दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता हाथों में पत्थर लेकर मैदान में उतर आए हैं।
कुछ समय पहले भी उमा भारती ने 14 फरवरी से शराबबंदी अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। उन्होंने ट्वीट कर स्पष्ट किया था कि मेरी प्रथम चरण की बातचीत वरिष्ठ स्वयंसेवकों, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से हो चुकी हैं। अगला चरण 14 फरवरी के बाद प्रारंभ करूंगी। उमा के उस ऐलान ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित पूरी भाजपा को परेशानी में डाल दिया था। भाजपा को डर था कि उमा अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करती हैं तो मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश के चुनाव पर भी विपरीत असर पड़ सकता है। इसको देखते हुए पार्टी द्वारा उमा भारती को समझाने के बाद वे शांत हो गई थीं लेकिन चुनाव खत्म होते ही उन्होंने अपना अभियान शुरू कर दिया है।
कांग्रेस अब कटाक्ष कर रही है कि वे शराबबंदी को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है। जब सड़क पर उतरने की बारी आती है तो वे पीछे हट जाती हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि उमा भारती की पूछ परख राज्य सरकार और पार्टी में बिल्कुल खत्म हो गई है। इस वजह से वे इस तरह के कदम उठा रही हैं। लेकिन हालात बदलते नहीं दिख रहे।