Advertisement

पंजाब-हरियाणाः कानून नहीं बुलडोजर इंसाफ

नशे पर कथित प्रहार बना नया सियासी हथियार, पंजाब में धड़ल्ले से बिना सुनवाई बुलडोजर से माफिया उजाड़ अभियान, तो हरियाणा में कुर्की-जब्ती
नशे के विरुद्ध शपथ दिलाते मान और मनीष सिसोदिया

सबसे बड़ी अदालत के कड़े आदेश से भी सरकारों के कदम नहीं थमते। उत्तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, उत्तराखंड, हर‌ियाणा और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्‍यों से छलांग लगाकर ‘बुलडोजर इंसाफ’ अब आम आदमी पार्टी के राज वाले पंजाब में पहुंच गया है। घोषित वजह, ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ है। बीते दो दशक से ड्रग्स की गंभीर समस्या से जूझते पंजाब में सरकार नींद से जागी, तो आरोप साबित हुए बगैर ही कथित नशा तस्‍करों के घर दनादन उजाड़ने लगी। उजाड़े गए लोगों की चीख-पुकार, घर-संपत्तियों के कानूनी दस्‍तावेज सुनने-देखने वाला कोई नहीं है। बीते एक महीने में 100 से अधिक संपत्तियों पर बुलडोजर चलाए गए। उधर, हरियाणा में बिना सुनवाई के संपत्तियों की कुर्की-जब्‍ती जारी है।

बाकी भाजपा शासित राज्‍यों की तरह दोनों ही राज्‍यों में बुलडोजर को राजनैतिक हथियार के रूप में इस्‍तेमाल करके बाकी मुद्दों से लोगों का ध्‍यान भटकाने में काम लाया जा रहा है। पंजाब में तो ‘आप’ को इसमें अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी का फलसफा मिल गया है। भले सुप्रीम कोर्ट इसे गैर-कानूनी बताए, लेकिन सियासत ‘प्रेम और युद्ध में सब जायज’ के फलसफे पर चल पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अशोक भान कहते हैं, “जब हम कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार करके कथित त्वरित न्याय देने की कोशिश करते हैं, तो वास्तव में हम कानून के शासन को ही नष्‍ट  करते हैं।” अमृतसर में गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और वरिष्ठ राजनैतिक विश्लेषक हरजिंदर सिंह का कहना है, “सरकारें जनता को दिखाना चाहती हैं कि वे अपराध पर कड़ी कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई कानूनी है? अगर यह मॉडल चलता रहा, तो आने वाले समय में किसी भी सरकार के लिए न्यायपालिका को नजरअंदाज कर बुलडोजर चलाना सामान्य बात बन जाएगी।”

बिना सुनवाईः पंजाब के फजिल्का में ढहाए घर

बिना सुनवाईः पंजाब के फजिल्का में ढहाए घर

पंजाब में बीते एक महीने में अमृतसर, पटियाला, मोगा, फिरोजपुर, फाजिल्का, मलेरकोटला, मोहाली और तरनतारन जैसे इलाकों में 100 से अधिक संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया है जिनके मालिकों  पर नशे के कारोबार में लिप्त होने के आरोप थे। बरनाला के 38 वर्षीय अमनदीप (नाम बदला हुआ) बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। परिवार की आय का जरिया ट्रांसपोर्ट का छोटा-सा बिजनेस था। 2020 में उसने एक रिश्तेदार को पुराना ट्रक बेचा जो बाद में नशा तस्करी के केस में पकड़ा गया। अमनदीप का दावा है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी, ‘‘कुछ दिन पहले सुबह-सुबह पुलिस आई और बिना किसी नोटिस के घर खाली करने को कहा। हमने घर के दस्तावेज दिखाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। देखते ही देखते बुलडोजर आया और सब कुछ मिट्टी में मिल गया।’’ अमनदीप अब अपने छह सदस्यों के परिवार के साथ किराये के कमरे में रह रहे हैं।

मोगा के गांव चौहान मोहल्ला के हरप्रीत सिंह (नाम बदला हुआ) की आपबीती बुलडोजर न्याय की धक्केशाही उजागर करती है। हरप्रीत बताते हैं, “मेरे भाई पर 2019 में मामला दर्ज हुआ था। कोर्ट के विचाराधीन इस मामले में वह जमानत पर है। बीते महीने अचानक पुलिस ने हमारे पुश्तैनी घर को बुलडोजर से गिरा दिया। मई में होने वाली छोटी बहन की शादी भी टूट गई। आज आठ सदस्यों का परिवार सड़कों पर बेहाल है।”

अमृतसर के वेरका की एक महिला की गुहार सुने बगैर उनकी दुकान गिरा दी गई। महिला का तर्क था, ‘‘रिश्तेदारी में आपसी रंजिश के चलते पुलिस ने बेटे पर झूठा मामला बनाया। अदालत में आरोप झूठे साबित हुए पर अब पुलिस ने हमारी दुकान गिरा दी है।”

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं, “जब नशा माफिया हमारे युवाओं को बर्बाद कर रहा है तो हम उनकी अवैध संपत्तियों पर नरमी नहीं बरत सकते।” पंजाब सरकार में एक मंत्री ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आउटलुक से कहा, “सरकार केवल उन संपत्तियों पर बुलडोजर चला रही है जो नशे के कारोबार में लिप्त लोगों ने अवैध रूप से बनाई हैं।” ऐसे में कानूनी दस्‍तावेजों और कानूनी प्रक्रिया का क्‍या, जिस पर सुप्रीम कोर्ट जोर देता है?

आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक तथा पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फुल्का ने आउटलुक से कहा, ‘‘विश्व के लोकतांत्रिक देशों में भी ऐसी प्रथाएं नहीं हैं। अमेरिका में संपत्ति के अधिकार को विशेष संरक्षण प्राप्त है। ब्रिटेन में भी किसी की संपत्ति को नष्ट करने से पहले लंबी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता है। भारत में यह नई प्रवृत्ति लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए चिंता का विषय है। नशे पर प्रहार के नाम पर एक तरह से पंजाब में इन दिनों इमरजेंसी-सा माहौल है। सरकार अपराधियों पर कार्रवाई करे, लेकिन कानून के दायरे में रहकर। संपत्तियों को ध्वस्त करने से पहले कानूनी नोटिस और न्यायिक प्रक्रिया जरूरी है। अगर सरकार खुद ही पंच और जल्लाद बन जाए, तो कानून के कोई मायने नहीं। कानून के रखवाले ही कानून और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहे हैं।”

पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नवकिरण सिंह कहते हैं, “भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है। संपत्ति के अधिकार को भी संविधान में संरक्षण प्राप्त है। बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के किसी की संपत्ति को नष्ट करना संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। बगैर नोटिस बुलडोजर चलाना कानून की खुली अवहेलना है। अगर किसी पर आरोप हैं, तो अदालत में केस चलाकर उसे सजा दी जानी चाहिए, लेकिन यहां तो सरकार खुद ही पुलिस, अदालत और जज बन गई है। आज सरकार नशा तस्करों पर बिना न्यायिक प्रक्रिया के बुलडोजर चला सकती है, तो कल राजनैतिक विरोधियों पर भी ऐसी कार्रवाई हो सकती है।”

साइकिल यात्राः हरियाणा में नशे के खिलाफ जागरूकता के लिए अभियान की शुरुआत

साइकिल यात्राः हरियाणा में नशे के खिलाफ जागरूकता के लिए अभियान की शुरुआत

एक मार्च से 5 अप्रैल तक बीते 36 दिन में ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान की निगरानी के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय कैबिनेट सब-कमेटी के अध्यक्ष तथा वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने आउटलुक से बातचीत में कहा, “नशे के खात्मे के लिए पंजाब के इस पहले सबसे बड़े अभियान में 36 दिन में रिकॉर्ड 4990 नशा तस्करों की गिरफ्तारी की गई है, जो अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। नशे के खिलाफ कड़ी इन्फोर्समेंट रणनीति के तहत तस्करों की कुछ संपतियां गिराई गई हैं। पंजाब ऐसा पहला राज्य नहीं है जिसने बुलडोजर चलाए हैं। यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में भी नशा तस्करों और गैंगस्टर्स द्वारा काली कमाई से खड़े किए गए आलीशान भवन धवस्त किए गए हैं।”

पूर्व क्रिकेटर और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य हरभजन सिंह ने एक्स पर लिखा, “मैं नशा तस्करों के घर पर बुलडोजर चलाने के हक में नहीं हूं। अगर किसी ने शामलात या सरकारी जमीन पर कब्जा कर कोई निर्माण किया है, तो उस पर सरकार की ये कार्रवाई सही है, लेकिन नशा तस्कर के घर को तोड़कर उस छत के नीचे रहने वाले अन्य सदस्यों के प्रति सहानुभूति दिखाई जानी चाहिए।’’ चंद घंटों के बाद उन्‍होंने अपने एक्स अकाउंट पर डाली पहली पोस्ट पर पलटी मारते हुए लिखा, ‘‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि पंजाब की आप सरकार सूबे की ऐसी पहली सरकार है, जो नशा तस्करों के खिलाफ इस प्रकार के ठोस ऐक्शन ले रही है। मैं पंजाब पुलिस और सरकार की नशा तस्करों और ड्रग्स के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का पूर्ण समर्थन करता हूं।”

कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने नशे के मुद्दे पर हो रही कार्रवाई पर आरोप लगाया है कि आप सरकार ने यह कदम केवल जनता का ध्यान अपनी तीन साल की नाकामियों से भटकाने के लिए उठाया है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, ‘‘36 दिन में 5000 नशा तस्करों की गिरफ्तारी का दावा करने वाली आप सरकार नशा तस्करों के असली नेटवर्क को तोड़ने में नाकाम रही है जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने माना है कि 860 कुख्यात नशा तस्करों में से 730 जेल से बाहर हैं जिनमें 380 अब भी सक्रिय हैं। 5000 नशा तस्करों की गिरफ्तारी पंजाब सरकार की हवा-हवाई बातें हैं। अगर सरकार को सच में नशा खत्म करना होता, तो वह नशा आपूर्ति के कनाडा, सिंगापुर में बैठे बड़े मगरमच्छों को पकड़ती, न कि नशे के छोटे-मोटे खपतकार आरोपियों की संपत्तियां गिराती।”

शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा, “सरकार के अंदर ऐसे लोग बैठे हैं जो नशे के कारोबार को पनाह देते हैं। उन्हें बचाने के लिए यह सारा ड्रामा रचा जा रहा है।” पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने कहा, ‘‘यह सरकार की असफलता को छुपाने का तरीका है। अगर वास्तव में नशा माफिया पर कार्रवाई करनी है, तो उन्हें तलाश कर उनकी गिरफ्तारी की जाए न कि उनकी संपत्तियां नष्ट की जाएं।” शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, “आप सरकार मीडिया ट्रायल कर रही है। बिना सबूत के संपत्ति नष्ट करना किसी भी लोकतांत्रिक समाज में स्वीकार्य नहीं हो सकता।”

विपक्ष के आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “हमने जनता से वादा किया था कि पंजाब को नशामुक्त बनाएंगे। जो लोग हमें रोकने की कोशिश कर रहे हैं, वे वही हैं जिन्होंने दशकों तक पंजाब को नशे में डुबोकर रखा। हम किसी भी सूरत में अपराधियों को बचने नहीं देंगे। यह कार्रवाई पूरी तरह से कानून के तहत की जा रही है और हमने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है।”

हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने आउटलुक से कहा, “पीआइटी-एनडीपीएस ऐक्ट के तहत तस्करों की आर्थिक जांच के बाद संपत्तियां जब्त की जा रही हैं पर उन्हें नष्ट नहीं किया जा रहा। नशे के खिलाफ सामान्य रणनीतियों का दौर खत्म हो चुका है। हमने हरियाणा में सिरसा, यमुनानगर और फतेहाबाद को हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित किया है। इसके अलावा उन तस्करों की भी पहचान की है जो जमानत पर हैं और केस ट्रायल में देरी का फायदा उठाकर तस्करी को अंजाम दे रहे हैं।”   

पंजाब में ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान के समर्थन में जहां पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने 3 अप्रैल से करतारपुर साहिब कॉरिडोर (पाकिस्तान स्थित श्री गुरु नानक देव जी की कर्मस्थली) से लेकर अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग जैसे सीमांत इलाकों में एक हफ्ते की पदयात्रा शुरू की है, वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 5 से 27 अप्रैल तक राज्य के सभी 22 जिलों में साइकिल यात्रा साइक्लोथॉन की शुरुआत हिसार से की है। ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान की कमान 1 मई से पंजाब में आप आदमी पार्टी के नवनियुक्त प्रभारी मनीष सिसोदिया संभालेंगे।

इस अभियान पर अधिकतर लोगों का एक सुर में कहना है कि पंजाब सरकार को नशे के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए, लेकिन बिना मुकदमे के सजा देने की प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

 राजा वडिंग

यह सरकारी असफलता को छुपाने का तरीका है। पहले गिरफ्तारी की जाए, न कि संपत्ति नष्ट

अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

 हरभजन सिंह

आप सरकार सूबे की पहली सरकार है जो नशा तस्करों के खिलाफ ठोस ऐक्शन ले रही है

हरभजन सिंह, राज्यसभा सदस्य, आप

 विक्रमजीत सिंह मजीठिया

सरकार के अंदर नशे के कारोबार को पनाह देने वालों को  बचाने के लिए सारा ड्रामा रचा जा रहा है

बिक्रम सिंह मजीठिया, शिरोमणि अकाली दल

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement