तकरीबन 15 साल के सूखे के बाद, वनों और झीलों से आच्छादित महाराष्ट्र का आदिवासी बहुल जिला नंदुरबार इस साल भरपूर मानसून के बाद खूबसूरती की छटा बिखेर रहा है। यहां का हिल स्टेशन ‘तोरणमाल’ इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश के पर्यटकों से भरा हुआ है। सतपुड़ा रेंज की गोद में बसा तोरणमाल नंदुरबार शहर से 95 किमी दूर धाड़गांव तालुका में है, जो गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है।
तोरणमाल दरअसल 1,150 मीटर (3,777 फुट) ऊंचा प्लैटू है जहां कई सारी पहाड़ियां 41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई हैं। घने जंगलों के बीच बांस-मिट्टी के बने दो-चार घर, कतार से सजे खेतों में काम करती महिलाएं, जड़ी-बूटियां एकत्र करते और महुए की शराब बनाते पुरुष कई जगह दिख जाते हैं। करीब 18 हजार आबादी वाले तोरणमाल में दस ग्राम पंचायतें और 175 गांव (पाड़े) हैं।
दहेज की रकम पंचायत तय करती है
यहां अधिकांश निवासी भील, पावरा और राठवा आदिवासी समुदाय से हैं। इनके रीति-रिवाज खासे रोचक हैं। जहां भारत के कई भागों में आज भी लड़केवाले लड़की के पिता से जबरन दहेज वसूलते हैं, तोरणमाल में मामला एकदम उलट है। यहां विवाह के लिए लड़केवालों को दहेज देना पड़ता है। दहेज कितना होगा इसका फैसला ग्राम पंचायत करती है। दहेज की रकम कुछ वर्षों के बाद बढ़ जाती है। कुछ गांवों में पांच साल से यह रकम 27,525 रुपये तो कई गांवों में 60,000 रुपये तक है।
तोरणमाल ग्रुप ग्राम पंचायत के अध्यक्ष मधुकर चौधरी कहते हैं, “गरीब हो या अमीर, सरकारी मुलाजिम हो या बेरोजगार, चाहे लव मैरिज हो या भाग कर शादी की हो, लड़केवालों को लड़की के घरवालों को दहेज देना ही पड़ता है। यह किस्तों में भी अदा किया जा सकता है।”
गुलाल लगाकर प्रपोज करते हैं
लड़के वाले ही शादी का प्रस्ताव लेकर लड़की के घर जाते हैं लेकिन जीवनसाथी का चुनाव लड़का-लड़की स्वयं करते हैं। कुछ गांवों में जोड़ियां चुनने की भी एक रोचक परंपरा है। होली से एक सप्ताह पहले एक गुलाल मेला सजता है, जिसमें आसपास के सभी कुंवारे शिरकत करते हैं। वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं और गुलाल लगाकर इसका इजहार करते हैं।
मधुकर बताते हैं, “अगर लड़का-लड़की दोनों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाया तो ही रजामंदी मानी जाती है। फिर विवाह का प्रस्ताव लेकर एक-दो दिन में ही लड़केवाले दहेज की रकम, महुए की शराब और कपड़े आदि लेकर लड़की के घर बात पक्की करने जाते हैं। इसके एक-दो दिन बाद लड़की वाले गाजे-बाजे के साथ बारात लेकर लड़के के घर जाते हैं। कुछ रस्मों, नृत्य और जश्न के बाद शादी मुकम्मल मानी जाती है।”
यहां राजेश चौधरी नाम के एक युवक की शादी चार साल पहले शकुंतला नाम की युवती से हुई थी। यह शादी राजेश के बड़े भाई ने 27,525 रुपये दहेज देकर कराई थी। राजेश ने बताया, “यहां रिश्ता खत्म करना भी आसान है। लकड़ीवाले दहेज लौटाकर विवाह तोड़ सकते हैं। अगर लड़की दूसरे पुरुष के लिए पहला रिश्ता तोड़े, तो दूसरा पति पहले को दहेज की रकम चुकाता है।”
शुभ माना जाता है लड़की का जन्म
धाड़गांव के तहसीलदार आरबी थोटे कहते हैं, “यहां लड़की का जन्म होना अच्छा माना जाता है। नंदुरबार का लिंग अनुपात भी 980 के ऊपर है। महिलाओं से संबंधित अपराध न के बराबर है। आदिवासी होने के बावजूद लोगों की सोच आधुनिक है।”
यहां के प्रमुख आकर्षण हैं- सीता खाई का खूबसूरत वॉटर फॉल, योगी मछिन्द्रनाथ की गुफा (किंवदंती है कि मछिन्द्रनाथ एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने हनुमान जी को युद्ध में हराया), तोरण देवी मंदिर, सत पायरी, यशवंत झील और गोरक्षनाथ मंदिर जिसका जीर्णोद्धार हो रहा है।
गोरक्षनाथ के भक्त हैं आदिवासी
तोरणमाल अपने शिवरात्रि के मेले के लिए भी प्रसिद्ध है। नंदुरबार और आस-पास के दो-ढाई लाख गोरक्षनाथ भक्त पदयात्रा करके आते हैं। मंदिर के महंत संजूनाथ ने बताया, “तोरणमाल में गोरक्षनाथ जी ने तोरण के पेड़ के नीचे तप किया और अपनी शक्तियों से एक जलस्रोत भी उत्पन्न किया, जिससे यहां के लोगों का जीवन आसान हो गया। इसीलिए स्थानीय लोग गोरक्षनाथ की पूजा करते हैं। यह तालाब आज यशवंत तालाब के नाम से जाना जाता है।” यशवंत तालाब आज भी स्थानीय लोगों के लिए जल का एकमात्र साधन है।
मान्यता है कि नाथ संप्रदाय की उत्पत्ति आदिनाथ भगवान शिव द्वारा हुई है। योगी गोरक्षनाथ को उनके भक्त शिव का अवतार मानते हैं। आदिवासी यहामोगी माता, राजा फंटा, वागदेव और तोरण देवी की भी पूजा करते हैं। हाल ही में नंदुरबार के जिलाधिकारी नियुक्त हुए डॉ. राजेंद्र भारुड तोरणमाल को महाबलेश्वर और माथेरान जैसा ही विकसित करना चाहते हैं, लेकिन पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए।
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योगी मछिन्द्रनाथ की गुफा। किंवदंती है कि मछिन्द्रनाथ एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने हनुमान जी को युद्ध में हराया
यहां लड़केवाले दहेज देते हैं। राजेश ने 27,525 रुपये दहेज देकर शकुंतला से शादी की
स्थानीय लोगों के लिए पानी का प्रमुख स्रोत यशवंत तालाब अरसे बाद भरा हुआ है
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सीता खाई का खूबसूरत वॉटर फॉल
गोरक्षनाथ मंदिर और इसके महंत संजूनाथ। शिवरात्रि में यहां दो लाख से ज्यादा भक्त आते हैं
तोरणमाल की पहाड़ियों का खूबसूरत नजारा
तोरणमाल की आदिवासी महिलाएं। यहां लड़की का जन्म होना शुभ माना जाता है