अमेरिका में अगर कोई अदालत किसी चुनावी प्रत्याशी को बलात्कारी ठहरा देती थी तो उसका राजनीतिक करियर वहीं खत्म हो जाता था। ऐसा लगता है कि यह बात अब पुरानी पड़ चुकी है। हाल ही में संपन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव गवाह हैं कि एक प्रत्याशी के खिलाफ पिछले साल ही आए अदालती आदेश से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। दूसरी बार राष्ट्रपति बन चुके डोनाल्ड ट्रम्प को मई 2023 में न्यूयॉर्क की एक अदालत ने यौन दुराचार का दोषी पाया था। वह घटना 1996 की थी और पीड़ित महिला एक पत्रकार थीं, जिनका नाम ई. जीन कैरल है। अदालत ने ट्रम्प को नुकसान भरपाई के तौर पर कैरल को पचास लाख डॉलर देने का आदेश दिया था। ट्रम्प के ऊपर दो आर्थिक जुर्माने हैं जिनकी कीमत 90 लाख डॉलर से ज्यादा है, जो उन्हें कैरल को चुकाने हैं। ट्रम्प इसके खिलाफ अपील कर चुके हैं लेकिन देय राशि पर ब्याज बढ़ता जा रहा है।
आर्थिक दंड संबंधी दो अदालती आदेशों में पहले के खिलाफ ट्रम्प के वकील की अपील में यह दलील दी गई है कि ट्रम्प को ‘बलात्कार’ का दोषी नहीं पाया गया था। न्यायाधिकरण का कहना था कि ट्रम्प एक दुकान के कमरे में कैरल के साथ गंदी हरकत करने के दोषी हैं। इस हरकत को सामान्य समझदारी के हिसाब से बलात्कार माना जा सकता है, यह कहते हुए अदालत ने अपील खारिज कर दी थी।
जुलाई, 2023 में जज लुइस ए. काप्लान ने अपने आदेश में लिखा था, "न्यू यॉर्क फौजदारी कानून की व्याख्या के हिसाब से यह निष्कर्ष कि सुश्री कैरल अपने साथ हुए 'बलात्कार' को साबित करने में नाकाम हो गईं, इसका अर्थ यह नहीं है कि लोगों की 'बलात्कार' पर सामान्य समझदारी के हिसाब से भी वे यह साबित करने में नाकाम हैं कि ट्रम्प ने उनका 'बलात्कार' नहीं किया। वास्तव में, सुनवाई के दौरान रखे गए साक्ष्यों से स्पष्ट होता है, अदालत ने यही पाया है कि ट्रम्प ने बिलकुल वही किया है।"
ट्रम्प ने अपने खिलाफ सारे आरोपों का खंडन किया है। वे बमुश्किल ही अमेरिका के पहले राष्ट्रपति होंगे जिनके ऊपर यौन दुराचार के आरोप लगे हैं, लेकिन वे इस मामले में पहले हैं कि उनके खिलाफ यौन दुराचारों का अच्छा-खासा सार्वजनिक रिकॉर्ड है और इसे पुष्ट करने वाले अदालती फैसले भी मौजूद हैं। इस मामले में वे अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों के इतिहास में अभूतपूर्व हैं।
आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि पुरुषों, खासकर गोरे मर्दों के बीच उनकी लोकप्रियता पर इन आरोपों के बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा, जो उन्हें नायक मानते हैं और उन्हें अपना रहनुमा समझते हैं। विडंबना है कि जिन नेताओं ने कभी मोनिका लेविंस्की के साथ पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के यौन संबंधों पर झूठ के चलते उनके ऊपर महाभियोग चलवा दिया था उनके मुंह से ट्रम्प के खिलाफ या अदालती आदेशों और दो दर्जन से ज्यादा उन औरतों के बारे में एक शब्द भी नहीं निकला है जिन्होंने ट्रम्प पर दुराचार के आरोप लगाए थे। शायद इसीलिए राजनीति पाखंड का दूसरा नाम है।
कहीं ज्यादा चिंताजनक उन औरतों का पक्ष है जो इन आरोपों के बावजूद ट्रम्प का समर्थन करती हैं। ये औरतें भी मुख्यतः गोरी ही हैं। सन 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में 47 फीसदी गोरी औरतों ने ट्रम्प को वोट दिया था। उसी चुनाव से पहले 2005 का एक हॉलीवुड टेप जारी हुआ था जिसमें ट्रम्प को औरतों की इच्छा के खिलाफ उनके जननांग पकड़ने को लेकर खुलेआम डींग हांकते हुए देखा गया था। शुरुआत में ट्रम्प ने टेप में अपने होने का खंडन किया था, फिर उन्होंने इसे "लॉकर रूप" की गपशप करार दिया।
जीत अधूरीः ट्रम्प के खिलाफ यौन दुराचार का केस जीतने वालीं ई. जीन कैरेल
ट्रम्प की जीत में गोरी ओरतों के समर्थन का बड़ा योगदान है। चार साल बाद इनके समर्थन में इजाफा देखा गया और 2020 में 55 फीसदी गोरी औरतों ने ट्रम्प को वोट दिया (इसके उलट, काली, लैटिनो और एशियाई औरतों की बड़ी संख्या ने डेमोक्रेट प्रत्याशी को वोट दिया, जैसा कि सेंटर फॉर अमेरिकन विमेन इन पॉलिटिक्स के नस्ल और लिंग आधारित डेटा से स्पष्ट होता है)। ट्रम्प को सबसे तगड़ा समर्थन गोरे ईसाई धर्म-प्रचारकों और कैथोलिकों का मिला है। ईसाइयत की ये रूढ़िवादी शाखाएं जबरदस्त पितृसत्तात्मक हैं जो मानती हैं कि औरतों का काम पुरुषों का हुक्म बजाना है।
ट्रम्प का समर्थन करने वाली औरतों की उनके बचाव में दी जाने वाली दलीलें बिलकुल वही हैं जो दुनिया भर में बलात्कार की संस्कृति में प्रचलित हैं। जैसे, ज्यादातर मर्द ऐसे ही होते हैं या औरतों को खुद जागरूक होना चाहिए या फिर यह, कि पीड़ित लड़की ने ही उसे उकसाने वाली कोई हरकत की होगी और यह सब बहुत पुरानी बात हो गई है। सबसे आम दलील यह है कि सभी 26 औरतें झूठ बोल रही हैं। पीड़ित को ही दोषी ठहराने की प्रवृत्ति अकसर औरतों में देखी जाती है, भले वे खुद पीड़ित हों।
साउथ कैरोलिना की रिपब्लिकन नेता नैंसी मेस का मामला ऐसा ही है, जो खुद को सार्वजनिक रूप से यौन उत्पीड़न का शिकार ठहरा चुकी हैं बावजूद उसके ट्रम्प के साथ मजबूती से खड़ी रहीं। मार्च में वे एबीसी न्यूज के दिस वीक कार्यक्रम में आई थीं। वहां उन्होंने अदालती आदेशों के बावजूद ट्रम्प का बचाव किया था। उनकी दलील थी कि अदालत द्वारा जुर्म का दोषी पाया जाना एक बात है लेकिन जनता का फैसला उससे बहुत अलग होता है।
उनकी यह दलील इस तथ्य की उपेक्षा करती है कि ट्रम्प पहले ही 2016 के चुनावों को गैरकानूनी तरीकों से प्रभावित करने की साजिश के सिलसिले में 34 धाराओं में मुकदमे झेल रहे हैं। इसमें एक पोर्न अभिनेता को पैसे देने का केस भी शामिल है जिसमें वे दोषी हैं। अमेरिकी इतिहास में एक दोषी मुजरिम का राष्ट्रपति के लिए खड़ा होना उनके समर्थकों को बेचैन नहीं करता। हो सकता है ट्रम्प के खिलाफ एक और फैसला भी उन्हें डिगा न पाए। फिलहाल, ट्रम्प के वकीलों ने एबीसी न्यूज और उसके प्रस्तोता के ऊपर मानहानि का मुकदमा किया है क्योंकि उसने मेस से सवाल पूछने के क्रम में ट्रम्प को कैरल का बलात्कारी कह दिया था।
खुद को औरतों के अधिकारों का सबसे मजबूत दावेदार बताने वाले पश्चिम का खोखलापन ट्रम्प के इस चुनाव ने तार-तार कर डाला है। अमेरिका के मतदाताओं ने इस बार ऐसा राष्ट्रपति नहीं, औरतों के हक का शायद सम्मान नहीं करता।
(आएशा सुलतान टिप्पणीकार हैं जो शिक्षा, परिवार और समानता के मुद्दों के इर्द-गिर्द सामाजिक बदलावों की पड़ताल करती हैं। विचार निजी हैं)