Advertisement

आयकरः पुरानी या नई चुनें?

केंद्रीय बजट 2025 में आयकर में कई बदलावों के साथ नई कर व्यवस्था की राह आसान, लेकिन क्यों चुनें और क्यों नहीं
टैक्स में क्या चुनें

आयकर की पुरानी व्यवस्था के साथ बने रहें या नई व्यवस्था में जाएं? जवाब सीधा-सा नहीं है क्योंकि यह आपकी आमदनी, निवेश और लंबे वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर है। वैसे, नई कर व्यवस्था के खातिर सरकार ने केंद्रीय बजट 2025 में आयकर में कई बदलावों का ऐलान किया, ताकि लोगों को उस ओर बढ़ना आसान लगे। शून्य-कर आय सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये (पूंजीगत लाभ को छोड़कर) कर दिया गया है और मानक कटौती 75,000 रुपये हो गई है। इसका मतलब यह है कि अगर आपकी आमदनी 12.75 लाख रुपये या उससे कम है, तो आपको नई कर व्यवस्था के तहत कोई कर नहीं देना होगा। वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 72 प्रतिशत करदाता पहले ही नई व्‍यवस्‍था अपना चुके हैं, बजट 2025 में घोषित बदलावों का उद्देश्य इसे और भी अधिक आकर्षक बनाना है। लेकिन क्या यह सभी के लिए सही विकल्प है? जरूरी नहीं।

पुराने और नए में किसे चुनें?

सीए (डॉ.) सुरेश सुराना के अनुसार यह निर्णय काफी हद तक आपकी माली हालत और कर बचत योजनाओं पर निर्भर करता है। उनका सुझाव है कि चुनाव करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1 आमदनी और कर स्लैब

टैक्स

नई व्‍यवस्‍था करदाताओं को कम कर दरों की पेशकश करती है, लेकिन इसके लिए आपको कुछ खर्च भी करना पड़ता है। उसमें उन अधिकांश कटौतियों और छूटों को खत्‍म कर दिया गया है जिसका लाभ आप पुरानी कर व्यवस्था में उठा सकते हैं। आप अगर बहुत अधिक कर-बचत कटौती नहीं चाहते, तो नई व्यवस्था में कमतर कर देना है और यह सरल भी हो सकता है। यदि आप कटौतियों का पर्याप्त लाभ लेना चाहते हैं, तो पुरानी व्‍यवस्‍था फायदेमंद हो सकती है।

2 कटौती और छूट

टैक्स

पुरानी व्यवस्था में आपको आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी (पीपीएफ, ईपीई और जीवन बीमा के लिए), 80डी (स्वास्थ्य बीमा किस्‍त के लिए), मकान किराया भत्ता (एचआरए) और धारा 24(बी) के तहत घर कर्ज ब्याज जैसी कई कटौती मिलती है। अगर आपने इन साधनों में पैसा लगाया है, तो पुरानी व्‍यवस्‍था में बने रहने से बड़ी कर बचत हो सकती है।

नई व्यवस्था में 75,000 रुपये की मानक कटौती को छोड़कर इनमें से अधिकांश लाभों को हटा दिया गया है। इसलिए आप कर-बचत साधनों में लगातार पैसा नहीं लगा रहे हैं, तो नई व्‍यवस्‍था आपके लिए बेहतर हो सकती है।

3 तनख्‍वाह

टैक्स

कई वेतनभोगी कर्मचारी जो एचआरए, एलटीएस, पेशेवर कर कटौती और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ता योगदान जैसे लाभ प्राप्त करते हैं, उन्हें पुरानी व्‍यवस्‍था बेहतर लग सकती है। दूसरी ओर, पेशेवर और स्व-रोजगार वाले नई व्यवस्था की कम कर दरों को अधिक आकर्षक पा सकते हैं क्‍योंकि ऐसी कर कटौती उन्‍हें नहीं मिलती है।

3 क) आपकी सेवानिवृत्ति योजना और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्य

विशेषज्ञों का मानना है कि पुरानी कर व्यवस्था करदाताओं को पीपीएफ, ईपीएफ, एनपीएस और बीमा पॉलिसी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि आगे के लिए उनकी अच्छी बचत हो सके।

जो लोग दीर्घकालिक वित्तीय योजना को प्राथमिकता देते हैं, वे नई व्यवस्था की तुलना में पुरानी व्यवस्था को पसंद कर सकते हैं। हालांकि, जो लोग ऐसे निवेश किए बिना अधिक वेतन चाहते हैं, वे नई व्यवस्था को चुन सकते हैं।

4 टैक्स बचत के बजाय आसानी को चुनें

टैक्स

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि आप आसानी पसंद करते हैं या टैक्स बचत। नई व्यवस्था आपको कम स्लैब और कम कटौती के साथ एक सरल कराधान मुहैया कराती है। यह उन लोगों के लिए आसान है जो कई कटौतियों के झमेले में नहीं पड़ना चाहते हैं। हालांकि, आप अगर उसे झमेला-झंझट नहीं मानते, तो पुरानी व्यवस्था अधिक बचत और निवेश की आदत बनाने में लाभकारी हो सकती है।

5 व्यक्तिगत कर गणना

टैक्स

सीए सुराना कहते हैं, ‘‘निर्णय लेने का सबसे अच्छा तरीका अपेक्षित आय, कटौती और निवेश के आधार पर दोनों व्यवस्थाओं के तहत कर देयता की गणना करना है। हर व्यवस्था के लाभों की तुलना कर लीजिए।’’

महत्वपूर्ण कटौती और वेतन वाले लोग पुरानी व्यवस्था को अपने लक्ष्यों के लिए बेहतर पा सकते हैं, जबकि जो लोग कम कर दरों और आसान अनुपालन के साथ एक सरल प्रणाली पसंद करते हैं, वे नई व्‍यवस्‍था को चुन सकते हैं। वे कहते हैं, ‘‘दोनों व्यवस्थाओं के तहत कर देयता की वार्षिक समीक्षा इस उद्देश्य के लिए की जानी चाहिए।’’

 

आउटलुक मनी से साभार

 

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement