लखीमपुर खीरी में प्रियंका और राहुल गांधी पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के साथ पहुंचे थे। गणित यह बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कुर्मी हैं और इलाके में कुर्मी मतदाता बहुतायत में हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सिख मतदाताओं के अलावा दलित वोटरों पर भी असरदिखा सकते हैं। इसी तरह अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सभी पार्टियां जाति गणित खासकर पिछड़ी जातियों के तकरीबन 40 फीसदी वोट साधने में जुट गई हैं। हालांकि योगी सरकार इस कोशिश में आगे दिख रही है। अपने दूसरे और बहुप्रतीक्षित आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़े और दलित वर्ग को प्रमुखता दिया है। भाजपा ने मंत्रिमंडल में प्रदेश में जातिगत संतुलन साधने के साथ क्षेत्रीय समीकरणों का भी ध्याान रखा है। सरकार में गैर-यादव और गैर-जाटव वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर विपक्षी पार्टियों को साफ संकेत दे दिया है। एमएलसी मनोनयन में भी सहयोगी दल के साथ पिछड़े और दलितों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया गया है।
मंत्रिमंडल विस्तार में जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है। छत्रपाल गंगवार, पलटू राम, संगीता बलवंत बिंद, संजीव कुमार गोंड, दिनेश खटिक, धर्मवीर प्रजापति को राज्यमंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व दिया गया है। विधान परिषद में जितिन प्रसाद, संजय निषाद, चौधरी वीरेंद्र सिंह गुर्जर तथा गोपाल अंजान भुर्जी को मनोनीत किया गया है। केंद्र और यूपी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा पिछड़े और दलित वर्ग को मजबूती से अपने साथ जोड़कर चुनावी समर में उतरेगी। कांग्रेस के कद्दावर नेता दिवंगत जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री बनाकर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की गई है। उनके मंत्री बनने से रुहेलखंड का प्रतिनिधित्व बढ़ा है।
बरेली के बहेड़ी विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक बने छत्रपाल गंगवार को कुर्मी वर्ग को साधने के लिए राज्यमंत्री बनाया गया है। छत्रपाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ लंबे समय तक काम किया है। गंगवार को मंत्री बनाये जाने से बहेड़ी, नवाबगंज, भोजीपुरा, आंवला समेत पड़ोस के जिले पीलीभीत पर भी असर पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद बरेली से कैंट विधायक राजेश अग्रवाल को वित्त मंत्री एवं आंवला विधायक धर्मपाल सिंह को सिंचाई मंत्री बनाया गया था। राजेश वैश्य समाज का प्रतिनिधत्वल करते थे, जबकि धर्मपाल सिंह लोध जाति से आते थे। उन्हें हटाया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में भी बरेली से सांसद संतोष गंगवार को हटाया गया था। लोध समाज से आने वाले बदायूं के बीएल वर्मा को राज्यसभा में भेजने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर रुहेलखंड का क्षेत्रीय संतुलन तो साधा गया था, लेकिन कुर्मी जाति को प्रतिनिधत्व नहीं मिल सका था। रुहेलखंड बेल्ट में कुर्मी सबसे प्रभावी जातियों में शामिल हैं।
पूर्वांचल की गाजीपुर सदर सीट से पहली बार विधायक बनी संगीता बलवंत बिंद मल्लाह जाति से आती हैं। पिछड़े निषाद-मल्लाह समुदाय का पूर्वांचल में खासा प्रभाव है। पूरे उत्तर प्रदेश में कम से कम छह दर्जन सीटों पर निषाद-मल्लाह वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। इस वर्ग को अपने साथ जोड़ने के लिए ही भाजपा ने संगीता बलवंत को राज्यमंत्री बनाया और सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को एमएलसी बनाया है। संगीता को आगे बढ़ाकर संजय निषाद के सामने चुनौती खड़ी करने की भी कोशिश है। संगीता छात्र राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रही हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा का करीबी माना जाता है। हाथरस निवासी धर्मवीर प्रजापति पिछड़ी कुम्हार जाति से आते हैं तथा आगरा से एमएलसी हैं। इस वर्ग को अपने साथ जोड़े रखने के लिये भाजपा ने इन्हें एमएलसी के साथ माटी कला बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दे रखा था।
सोनभ्रद की ओबरा सीट से पहली बार विधायक बने संजीव कुमार गोंड अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं। योगी मंत्रिमंडल में अब तक इस वर्ग को प्रतिनिधित्वि नहीं मिला था। अनुसूचित जनजाति का खासा प्रभाव सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली और चित्रकूट जिले में है। बलरामपुर सदर सुरक्षित सीट से जीते पलटू राम को राज्यमंत्री बनाकर भाजपा ने अवध क्षेत्र को साधने की कोशिश की है। जाटव जाति से आने वाले पलटू राम बसपा के टिकट पर मनकापुर सुरक्षित सीट से भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
मेरठ के हस्तिनापुर से भाजपा विधायक दिनेश खटीक दलित समाज से आते हैं। पहली बार विधायक बने दिनेश संघ कार्यकर्ता रहे हैं। उन्हें मंत्री बनाकर भाजपा ने सोनकर समाज को जोड़ने के साथ पश्चिम को संतुलन देने का काम किया है। खटीक जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। शामली के चौधरी वीरेंद्र सिंह गुर्जर को एमएलसी बनाकर भाजपा ने पश्चिम क्षेत्र के साथ पिछड़े वर्ग से आने वाले गुर्जरों को भी साधने की कोशिश की है। मुरादाबाद के गोपाल अंजान भुर्जी को एमएलसी मनोनीत कर भाजपा ने ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधत्व दिया है। दूसरे विस्तार के बाद मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश के 41 जिलों की नुमाइंदगी हो गई है, पर 34 जिलों को हिस्सेदारी नहीं मिल पाई है। मंत्रिमंडल में जगह नहीं पाने वाले चंदौली, लखीमपुर खीरी समेत कई जिलों की नुमाइंदी केंद्रीय मंत्रिमंडल के जरिए की गई है।
योगी सरकार में मुख्यमंत्री समेत कुल 60 मंत्री हो चुके हैं। इनमें सबसे अधिक 10 ब्राह्मण हैं। अगड़ी जातियों के कुल 28 मंत्री हैं, जिनमें ब्राह्मणों के अलावा सात क्षत्रिय, पांच वैश्य, दो भूमिहार, तीन खत्री तथा एक कायस्थ हैं। पिछड़ी जाति से कुल 21 मंत्री बनाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा पांच कुर्मी समुदाय से हैं। तीन जाट, दो लोध, दो मौर्य, दो मल्लाह तथा एक-एक मंत्री गुर्जर, गड़रिया, कुम्हार, चौहान, सैनी, यादव एवं राजभर समाज से हैं। अनुसूचित जाति के आठ तथा अनुसूचित जनजाति के एक मंत्री को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। मंत्रिमंडल में चार महिलाएं भी शामिल हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार पर भाजपा के प्रदेश मंत्री डा. चंद्रमोहन ने कहा कि सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। मुख्यमंत्री ने युवा एवं कर्मठ लोगों को तरजीह देकर संकेत दिया है कि जनहित का लक्ष्य लेकर चलने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के इस विस्तार पर ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’ कहावत ठीक बैठ रही है। चला-चली की बेला में इस विस्तार का मतलब क्या रह जाता है।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी सारे रिकार्ड तोड़ चुकी है, किसानों-कामगारों और आम नागरिकों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, कानून व्यवस्था औंधे मुंह पड़ी है और महिलाओं, दलितों तथा अल्पसंख्यकों पर जुल्म हो रहे हैं। वोटों का गणित बिठाने के लिए भाजपा सांप्रदायिक विभाजन के साथ ही जाति विभाजन के भरोसे है। चुनाव से चंद माह पहले हुआ यह विस्तार भाजपा के खोखलेपन की पोल खोलने वाला है और जनता इसे भलीभांति समझती है। सच कहा जाए तो यह विस्तार भाजपा के लिए विपरीत परिणाम देने वाला साबित होगा। बहरहाल, नतीजे किसके लिए प्रतिकूल और किसके लिए माकूल होंगे, यह तो अगले साल ही पता चलेगा।