जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय के आठवें समन और गिरिडीह के गांडेय से झामुमो विधायक सरफराज अहमद के अचानक इस्तीफे के बीच झारखंड की राजनीतिक गरमी अचानक बढ़ गई है। हेमंत पर संकट के बादल मंडराए तो उनकी पत्नी कल्पना सोरेन मुर्मू अचानक चर्चा में आ गईं। कहा जाता है कि हेमंत सोरेन के वित्तीय प्रबंधन और प्लानिंग का मोर्चा वे ही संभालती हैं। अनेक अफसरों के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। आए दिन वे कार्यक्रमों में हेमंत सोरेन के साथ दिख जाती हैं, लेकिन हाल में एक दिन हेमंत सोरेन ने उन्हें विधानसभा का जब कायदे से भ्रमण कराया तो चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
ईडी के इस समन पर भी हेमंत ईडी कार्यालय नहीं गये बल्कि समन पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने गठबंधन दलों के विधायकों की बैठक बुला ली। माना जा रहा था कि बैठक में उनके उत्तराधिकारी का ऐलान होगा। गठबंधन दल की बैठक 3 जनवरी को थी। सुबह से ही ईडी ने मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक कुमार पिंटू, साहिबगंज उपायुक्त रामनिवास यादव और सत्ता के करीबी लोगों के ठिकानों पर छापेमारी कर के सरगरमी और बढ़ा दी थी। बाद में ईडी ने पूछताछ के लिए पिंटू और यादव को समन किया।
कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपे जाने को भाजपा की कोरी कल्पना करार देते हुए हेमंत ने कहा, ‘’इस्तीफे का सवाल नहीं उठता, मुख्यमंत्री था और रहूंगा’’। इसके बावजूद लोगों के मन में संशय कायम रहा। गांडेय विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे को लेकर चलता रहा कि कहीं कुछ पक रहा है। बताते हैं कि गिरिडीह के ही हेमंत सोरेन के एक करीबी विधायक के संदेश के बाद 31 दिसंबर को सरफराज अचानक रांची आए, इस्तीफा दिया और लौट गए। विधानसभा ने भी उतनी ही सक्रियता दिखाई और 1 जनवरी को अधिसूचना जारी कर 31 दिसंबर के प्रभाव से गांडेय सीट रिक्त होने की अधिसूचना जारी कर दी। पार्टी ने भी उसी तरह सक्रियता दिखाई और 5 जनवरी को झामुमो का शिष्टमंडल राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के यहां पहुंच कर गांडेय सीट पर उपचुनाव कराने की मांग कर दी।
सरफराज के इस्तीफे के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल को पत्र लिखा कि 23 दिसंबर 2019 को पांचवीं झारखंड विधानसभा का चुनाव परिणाम घोषित हुआ और सरफराज अहमद ने 31 दिसंबर को इस्तीफा दिया है। ऐसे में गांडेय में उपचुनाव की स्थिति नहीं बनती। बाद में उनके नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने राज्यपाल से मिलकर मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और कहा कि एक साल से कम समय रह गया है, ऐसे में उपचुनाव नहीं कराया जा सकता।
माना जा रहा था कि सातवें और अंतिम समन पर भी हाजिर नहीं होने के बाद ईडी के ऐक्शन या चुनाव आयोग का लिफाफा खुलने की स्थिति में हेमंत मुख्यमंत्री की कुर्सी अपनी पत्नी कल्पना को सौंप सकते हैं और गांडेय से उपचुनाव लड़वा सकते हैं। जरूरत या गुंजाइश होने पर खुद वे ही गांडेय से उपचुनाव लड़ सकते हैं। जानकार मानते हैं कि कल्पना सोरेन ओडिशा के जनजाति समाज से हैं और झारखंड में आरक्षित सीट पर नहीं लड़ सकतीं इसलिए गांडेय सीट को खाली कराया गया।
हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद से ही भाजपा आक्रामक मुद्रा में रही है। सरकार बनने के तुरंत बाद भाजपा के बड़े नेता कहने लगे कि हेमंत सरकार चंद दिनों की मेहमान है, मगर एक सुलझे हुए नेता की तरह हेमंत भाजपा और केंद्र की चुनौतियों का मुकाबला करते रहे। राज्यपाल रमेश बैस के कार्यकाल में उनका नाम माइनिंग लीज में आने पर चुनाव आयोग की सिफारिश का बंद लिफाफा जब राजभवन ने दिखाना शुरू किया तो हेमंत ने अपने काम की गति तेज कर दी। 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति, पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण जैसे नीतिगत फैसले जो शायद पांच साल में भी नहीं होते, तीसरे साल में ही निबटा लिए। बिरसा जयंती पर प्रधानमंत्री खूंटी के उलिहातू आए तो उसी दिन से हेमंत सोरेन ने प्रदेश में जनता के साथ सीधा संवाद शुरू कर दिया। हाल में ईडी का आक्रमण बढ़ने पर 9 जनवरी को कैबिनेट की बैठक कर के फैसला लिया गया कि एजेंसियों के समन पर सीधे पूछताछ के लिए अधिकारी उनके समक्ष हाजिर नहीं होंगे, न ही एजेंसी को सरकारी दस्तावेजदेंगे। समन मिलने के बाद कोई अधिकारी पहले अपने विभागीय प्रमुख को अवगत कराएगा, विभागीय प्रमुख मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को इसकी सूचना देगा। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग इस पर विधिक परामर्श लेगा, तब उस अनुसार कार्रवाई होगी।