आइपीएल शुरू हो गया है लेकिन अब तक डबल्यूपीएल की खुमारी उतरी नहीं है। 17 साल से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू की पुरुष टीम खिताब हासिल करने की जुगत में है। इस बीच आरसीबी की महिला टीम ने इस साल खिताब जीतकर अपना खाता खोल लिया। जो काम विराट कोहली, अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़ जैसे कप्तानों की टीम नहीं कर सकी वह स्मृति मंधाना की जांबाज टीम ने दूसरे ही साल कर दिखाया। दिल्ली फाइनल में हार जरूर गई लेकिन टीम ने दिल जीत लिया। वीमेन प्रीमीयम लीग में डेब्यू करने वाली सजना सजीवन और शानदार गेंदबाजी करने वाली श्रेयंका पाटिल ने सबका ध्यान खींचा। शांत भाव से कप्तानी करने वाली स्मृति मंधाना की खूब तारीफ हुई। ऑल राउंडर दीप्ति शर्मा ने जैसा खेल दिखाया, बिरले खिलाड़ी ही दिखा पाते हैं।
इस आयोजन ने हर क्रिकेट प्रेमी और प्रशंसकों को स्टेडियम और टेलीविजन स्क्रीन की ओर खींच लिया। भारत और विश्व में डबल्यूपीएल की सफलता को कई कारणों से जोड़ा जा सकता है, जिसमें से खिलाड़ियों का दमदार प्रदर्शन सबसे महत्वपूर्ण है। आखिरी गेंद के रोमांच से लेकर बेजोड़ कौशल और दृढ़ संकल्प के प्रदर्शन तक, इस टूर्नामेंट ने भारत में महिला क्रिकेट की अपार प्रतिभा और क्षमता का प्रदर्शन किया। टूर्नामेंट की शुरुआत धमाकेदार रही, क्योंकि पहले गेम में आखिरी गेंद पर रोमांच का बराबर डोज मिल गया। सजना सजीवन ने आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर मुंबई इंडियंस को दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ जीत दिलाई। उस मैच ने अन्य टीमों, खिलाड़ियों, मीडिया, सोशल मीडिया, भारत के खेल प्रेमियों में हलचल मचा दी और तब से, पूरे टूर्नामेंट में महिलाओं द्वारा रोमांचक मुकाबले और शानदार प्रदर्शन हुए।
श्रेयंका पाटिल
पिछले साल, डब्ल्यूपीएल के उद्घाटन सीजन की अच्छी सफलता के बावजूद भारत के घरेलू और टूर्नामेंट पर दबदबा बनाने वाले विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बीच बड़ा अंतर देखने को मिला। खुद भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा था कि पहले सीजन में कम प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ियों की भूमिका और अवसर सीमित थे। हालांकि, पहले सीजन के दौरान श्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने का असर दूसरे सीजन में स्पष्ट नजर आया। दूसरे सीजन में कई युवा भारतीय खिलाड़ी महत्वपूर्ण क्षणों में बड़े मंच पर चमके। दीप्ति शर्मा इस लिस्ट में अग्रणी रहीं, जिन्होंने इस टूर्नामेंट को अपने हरफनमौला अंदाज से धमाकेदार बना दिया। उनकी टीम (यूपी वॉरियर्स) भले ही लीग स्टेज से आगे नहीं बढ़ सकी लेकिन दीप्ति को बल्ले और गेंद से अच्छे प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। उन्होंने 98.33 के शानदार औसत के साथ अपने बल्ले के कौशल से 295 रन बनाए जबकि गेंदबाजी की, तो 10 विकेट भी चटकाए। रनों और विकेटों की संख्या से अधिक, उन्होंने महत्वपूर्ण मौकों पर शानदार प्रदर्शन किया और सभी मुकाबलों पर गहरा प्रभाव डाला।
सैका इशाक
टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाली एक और युवा भारतीय खिलाड़ी, श्रेयंका पाटिल ने 13 विकेट के साथ पर्पल कैप पर कब्जा किया। इसमें से उन्होंने चार विकेट दिल्ली के खिलाफ फाइनल में लिए गए। जो अंत में आरसीबी की जीत में काम आए। आरसीबी की खिताबी जीत में आशा शोभना ने भी अहम भूमिका निभाई। 12 विकेट लेकर वह सीजन की संयुक्त रूप से दूसरी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज बन गईं। पहले मैच में पांच विकेट और एलिमिनेटर में आखिरी ओवर में 12 रन बचाना, आशा की क्रिकेट यात्रा के महत्वपूर्ण शानदार पल रहे। बाएं हाथ की स्पिनर सैका इशाक ने भी डब्ल्यूपीएल 2024 में नौ विकेट हासिल किए। इस सीजन में कुछ विश्वसनीय स्पिनरों की खोज भी पूरी हुई। इसके अलावा, शेफाली वर्मा (309 रन) ने दिल्ली और कप्तान हरमनप्रीत कौर (268 रन) ने मुंबई के लिए शानदार प्रदर्शन किया। इस लीग और आरसीबी टीम की एक असाधारण खिलाड़ी एलिसे पैरी थीं, जिन्होंने हर मुश्किल समय में टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। वह 347 रन और 7 विकेट के साथ ऑरेंज कैप हासिल करने में कामयाब रहीं। जिसमें एक ही मैच में छह विकेट का रिकॉर्ड भी शामिल है।
भारत में जिस उद्देश्य के साथ इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हुई थी, कुछ वही लक्ष्य बीसीसीआइ ने डबल्यूपीएल के लिए भी रखा था। देश में महिला क्रिकेट देखने वालों की संख्या कैसे बढ़ाई जाए, कैसे क्रिकेट को लड़कियों के जीवन का हिस्सा बनाया जाए। बीसीसीआइ ने जिस लक्ष्य को साधा, खिलाड़ियों के समर्पण और कड़ी मेहनत ने उसे साकार किया। इनके अलावा, डब्ल्यूपीएल के प्रति दीवानगी को कई कारकों के संयोजन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें प्रशंसकों का समर्थन और लीग के आयोजकों का दूरदर्शी नेतृत्व शामिल है। बुनियादी ढांचे, विपणन और खिलाड़ी विकास में निवेश करके, डब्ल्यूपीएल ने महिला क्रिकेट को केवल एक गतिविधि से मुख्यधारा की घटना में बदल दिया है, जिसने देश भर में लाखों लोगों को आकर्षित किया।
2023 में उद्घाटन सत्र के बाद यह दूसरा सीजन कई मायनों में खास रहा। विशेषकर प्लानिंग के लिहाज से। इस बार दायरे और पैमाने के संदर्भ में महत्वपूर्ण विस्तार देखा गया। बेंगलूरू और दिल्ली दोनों में मुकाबले आयोजित कराने का प्लान अद्भुत रहा, जिससे खिलाड़ियों और प्रशंसकों को समान रूप से अधिक पहुंच और एक्सपोजर मिला। इस सीजन का क्रेज स्टेडियम और घरों के अलावा सड़कों पर भी देखा गया। लीग ने भारत के दूर दराज शहरों, कस्बों से आई खिलाड़ियों को आर्थिक शक्ति अर्जित करने का भी मंच दिया है। साथ ही नई पीढ़ी की प्रतिभा को पोषित करने में मदद की है।
जैसे आइपीएल से हर देश भारत की बेंच स्ट्रेंथ का कायल है। इसी बेंच स्ट्रेंथ की आवश्यकता भारतीय महिला क्रिकेट को भी है। बीसीसीआइ ने आकर्षक प्रायोजन सौदों, व्यापक मीडिया कवरेज पर पैसा खर्च कर माहौल बनाने की कोशिश की है। अब अपने दूसरे ही संस्करण में इसका लाभ साफ देखने को मिल रहा है। लीग ने बहुत कम समय में दिखाया है कि महिला क्रिकेट, इस खेल का मजबूत भाग है और महिला एथलीट अपनी उपलब्धियों के लिए जश्न मनाने और पुरस्कृत होने की हकदार हैं। आइपीएल की तरह ही यह लीग महिला क्रिकेटरों के लिए वरदान बनने का माद्दा रखती है।