खामोश! अखाड़े में रोंगटे खड़े करने वाला दंगल जारी है। फर्क यह है कि कुछ सिर शर्म से झुके हुए हैं मगर निशाने पर कर्ताधर्ता बेखौफ हैं। जो अपनी पहलवानी के गुर से देश का नाम रोशन करने, तिरंगे की शान बढ़ाने का दमखम दिखा चुके हैं, वे लाचार से सड़क पर सरेआम गुहार कर रहे हैं। मानो कह रहे हों कि थोड़ी तो लाज रख लो। लेकिन सरकार गुपचुप और देर रात की बैठकों में हमेशा की तरह बस ‘कमेटी’ बैठाकर रफा-दफा करने तक ही सोच पा रही है। कुछ महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और दूसरे गंभीर आरोप लगाए और जंतर-मंतर पर आ बैठे। सिंह ने आरोपों को साजिश बताकर इस्तीफा देने से मना कर दिया। खेल मंत्री या कहिए सरकार ने मध्यमार्ग निकाला। जांच समिति का गठन किया और रिपोर्ट आने तक महासंघ के अध्यक्ष को कामकाज से रोक दिया।
18 जनवरी से तकरीबन चार-पांच दिनों तक देश के जाने-माने दिग्गज पहलवान महासंघ और अध्यक्ष के विरुद्ध धरने पर बैठे रहे और इंसाफ की गुहार लगाते रहे। तीन बार की कॉमनवेल्थ मेडल विजेता विनेश फोगाट ने रोते हुए बृजभूषण शरण पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कुश्ती महासंघ के पसंदीदा कोच महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह पर लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने और टोक्यो ओलंपिक 2020 में उनकी हार के बाद उन्हें ‘खोटा सिक्का’ कहने का भी आरोप लगाया। इसके साथ ही विनेश ने दावा किया कि उन्हें कुश्ती महासंघ अध्यक्ष के इशारे पर उनके करीबी अधिकारियों से जान से मारने की धमकी मिली थी, क्योंकि उन्होंने टोक्यो ओलंपिक खेलों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उनका ध्यान इन मुद्दों की ओर आकर्षित करने की हिम्मत दिखाई थी।
फोगाट का साथ देते हुए ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और 30 बड़े पहलवानों ने इकट्ठा होकर जंतर मंतर पर धरना दिया था। सभी ने बृजभूषण पर लगे आरोपों को सही बताया और कहा कि समय आने पर इसके साक्ष्य भी दिए जाएंगे। पहलवानों ने बृजभूषण का इस्तीफा और कुश्ती संघ को भंग करने तक की मांग रखी हैं। ऐसे आरोपों पर फौरन एफआइआर और गिरफ्तारी होनी चाहिए थी। महिला उत्पीड़न कानून कहता है कि ऐसे आरोप गैर-जमानती धाराओं के होते हैं। लेकिन एफआइआर तक नहीं हुई।
मीडिया में मामला आने बाद सरकार हरकत में आई और 19 जनवरी यानी धरने के दूसरे दिन कॉमनवेल्थ गेम्स की पदक विजेता और भाजपा सांसद बबिता फोगाट जंतर-मंतर पहुंचीं। उन्होंने पहलवानों को आश्वासन दिया कि सरकार उनके साथ है और उन्हें हर हाल में इंसाफ मिलेगा। इसके बाद अलग-अलग दलों के नेता भी इस धरने के समर्थन में उतरे। लेकिन पहलवानों ने राजनैतिक दलों का समर्थन लेने से मना कर दिया। पहलवानों ने धरने पर पहुंचीं माकपा नेता वृंदा करात को मंच पर आने से रोक दिया और सियासी रंग न देने की अपील की। हरियाणा की कई खापों ने भी पहलवानों के समर्थन में आवाज बुलंद की।
धरने के दूसरे दिन देर शाम केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को बुलाया। कई घंटों चली बैठक बेनतीजा रही। पहलवान बृजभूषण के इस्तीफे पर अड़े रहे। इस बीच भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) ने आरोपों की जांच के लिए एमसी मैरी कॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया। उसके बाद 20-21 जनवरी की देर रात एक बार फिर खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ पहलवानों ने वार्ता की जिसके बाद पहलवानों ने धरना खत्म किया। मंत्री ने पहलवानों को बताया कि बृजभूषण शरण सिंह को निगरानी कमेटी द्वारा जांच पूरी होने तक डब्ल्यूएफआइ अध्यक्ष के रूप में काम करना बंद करने के लिए कहा गया है और डब्ल्यूएफआइ के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करने के लिए कहा गया है। लेकिन बावजूद विवाद कम होता दिखाई नहीं दे रहा है।
क्या कह रहे हैं पहलवान
आइओए अध्यक्ष पीटी उषा को लिखे पत्र में पांच पहलवानों- टोक्यो ओलंपिक के पदक विजेता रवि दहिया और बजरंग पूनिया, रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक, विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेता विनेश फोगाट और दीपक पूनिया के हस्ताक्षर हैं। पहलवानों ने कुश्ती महासंघ की ओर से (कोष में) वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया ही है इसके अलावा दावा किया कि राष्ट्रीय शिविर में कोच और खेल विज्ञान स्टाफ ‘बिल्कुल अक्षम’ हैं। खिलाड़ियों ने लिखा, ‘‘हम पहलवानों को एक साथ आने और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ विरोध करने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता है। हमें अपनी जान का खतरा है। अगर उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया तो धरने से जुड़ने वाले सभी युवाओं का करियर खत्म हो जाएगा। जब तक अध्यक्ष को बर्खास्त नहीं किया जाता तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।’’ पहलवानों ने लिखा है, ‘‘हम भारतीय ओलंपिक संघ से आग्रह करते हैं कि यौन शोषण की शिकायतों की जांच के लिए तुरंत समिति बनाई जाए।’’ इसके अलावा पहलवानों ने लिखा, ‘‘पहलवानों के साथ सलाह-मशविरा करके राष्ट्रीय महासंघ के संचालन के लिए नई समिति का गठन किया जाए।’’
उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह 2011 से डब्ल्यूएफआइ अध्यक्ष हैं। फरवरी 2019 में वह लगातार तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए। आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मेरे खिलाफ पहलवानों का विरोध शाहीन बाग का धरना है।’’ एक टीवी चैनल पर उन्होंने कहा था कि धरना दे रहे खिलाड़ी कांग्रेस और दीपेंद्र हुड्डा के हाथ का खिलौना बन चुके हैं। मैं किसी की दया पर नहीं बैठा हूं। मैं चुना हुआ अध्यक्ष हूं।’’
पहलवान सरकार की बनाई गई निगरानी समिति से भी निराश हैं। एमसी मैरी कॉम की अगुआई वाली पांच सदस्यीय निगरानी समिति में ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त और भारत की पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी तृप्ति मुरगुंडे, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) के पूर्व सीईओ कैप्टन राजगोपालन और साई की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम) राधिका श्रीमन शामिल हैं। समिति ही अगले एक महीने तक डब्ल्यूएफआइ के रोजमर्रा के काम देखेगी। बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक का कहना है कि समिति के गठन से पहले पहलवानों से सलाह नहीं ली गई। पुनिया ने ट्विटर पर कहा, ‘‘हमें आश्वासन दिया गया था कि निगरानी कमेटी के गठन से पहले हमसे सलाह ली जाएगी। लेकिन हमसे सलाह भी नहीं ली गई।’’
जगरेब ओपन से हटे कई पहलवान
पहलवानों के विरोध का असर वैश्विक खेल मंच पर भारत के प्रदर्शन पर पड़ता दिख रहा है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित आठ पहलवानों ने आगामी जगरेब ओपन से हटने का फैसला लिया है। जबकि अंजू ने चोट के कारण यह निर्णय लिया। मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम की अध्यक्षता वाली नवनियुक्त निगरानी समिति ने क्रोएशिया की राजधानी में एक फरवरी से शुरू हो रही रैंकिंग सीरीज के लिए 36 सदस्यीय भारतीय टीम पहलवानों को चुना था।
जंतर मंतर पर पहलवानों ने कहा था, कुश्ती महासंघ भंग करने और इसके प्रमुख को बर्खास्त करने तक वे किसी भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग नहीं लेंगे। टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि दहिया, विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता दीपक पूनिया, प्रतिभाशाली युवा अंशु मलिक, बजरंग की पत्नी संगीता फोगाट, सरिता मोर और जितेंद्र किन्हा के साथ विनेश और बजरंग सभी ने बता दिया था कि वे टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेंगे।
यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप पर बृजभूषण समेत उनके समर्थक इसे सियासत और 'हरियाणा लॉबी' की साजिश करार दे रहे हैं। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में 'पटखनी' भारतीय कुश्ती को मिलती दिख रही है।
खेल और यौन शोषण
भारतीय खेल जगत में यौन उत्पीड़न के मामले हर क्षेत्र में उठते रहे हैं। पिछले दस साल में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के समक्ष यौन उत्पीड़न की 45 शिकायतें आईं, जिनमें 29 शिकायतें कोच के खिलाफ थीं।
संदीप सिंह मामला: 29 दिसंबर 2022 को एक जूनियर कोच ने हरियाणा के खेल मंत्री और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान संदीप सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। उसके बाद चंडीगढ़ पुलिस ने 1 जनवरी 2023 को जूनियर कोच की शिकायत पर यौन उत्पीड़न और अवैध संबंध बनाने के आरोप में सिंह के विरुद्ध मामला दर्ज किया। संदीप सिंह ने पद छोड़ दिया था।
महिला साइकलिस्ट मामला: पिछले साल ही जून में भारतीय साइक्लिंग विवादों की जद में आ गया था। स्लोवेनिया में एक विदेशी प्रशिक्षण शिविर के दौरान एक महिला साइकिल चालक ने राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच आर.के. शर्मा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। 8 जून 2022 को भारतीय खेल प्राधिकरण ने आरके शर्मा का अनुबंध खत्म कर दिया था। साई ने तमिलनाडु के कोच को बर्खास्त कर दिया था।
एलेक्स एम्ब्रोस मामला: जुलाई 2022 में ही भारत अंडर-17 महिला फुटबॉल टीम के सहायक कोच एलेक्स एम्ब्रोस पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे। जुलाई 2022 में सहायक कोच एलेक्स एम्ब्रोस को बर्खास्त कर दिया गया था।
महिला क्रिकेटर से छेड़छाड़: जनवरी 2020 में, गौतम गंभीर ने ट्विटर के जरिए बताया कि एक महिला क्रिकेटर उनके पास यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में सहायता मांगने आई थी। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने दक्षिण-पूर्व दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में महिला क्रिकेटर की शिकायत पर एक कोच के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
जूनियर एथलीट मामला: जून 2018 में तमिलनाडु के करीब 15 जूनियर एथलीटों ने साई मुख्यालय को शिकायत भेजी, जिसमें कोच पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। साई ने अपने तमिलनाडु केंद्र से एक कोच को बर्खास्त कर दिया।
महिला हॉकी टीम: जुलाई 2010 में भारतीय महिला हॉकी टीम की एक सदस्य ने टीम के कोच और ओलंपियन महाराज किशन कौशिक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महाराज किशन कौशिक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि हॉकी इंडिया और भारतीय खेल प्राधिकरण की गठित एक जांच समिति ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया था।