पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा भले दलगत राजनीति से अलग हों पर वे बदस्तूर सक्रिय हैं। इस साल के अंत में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों में, सिन्हा तीसरे मोर्चे के साथ जद(यू)-भाजपा गठबंधन को चुनौती देने के लिए वापस आ गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भावना विज-अरोड़ा को बताया कि उनका मोर्चा सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा क्योंकि चुनाव लोकतंत्र में बदलाव लाने का एक साधन है और यह बिहार को बदलने का समय है। साक्षात्कार के कुछ अंश:
बिहार के लिए तीसरे मोर्चे का विचार कैसे आया?
हाल के महीनों में प्रवासी मजदूरों के अपने गांव लौटने के दारुण दृश्य देखे। इनमें से ज्यादा संख्या बिहार के लोगों की थी। राज्य के लगभग 40 लाख प्रवासी कामगारों को नौकरी की तलाश है। आजादी के 73 साल बाद भी बिहार में इतनी अव्यवस्था क्यों है। यह सवाल बार-बार मेरे मन में उठा। मैं खुद बिहार का हूं। मैंने पटना में पढ़ाई की है और बिहार काडर का आइएएस अफसर रहा हूं। मेरे अलावा मेरे कई अन्य लोग जिनमें दोस्त, परिवार और राज्य के लोग शामिल हैं, के मन में भी यही सवाल है। ये सभी चाहते थे कि मैं कुछ कदम उठाऊं। मैंने बिहार में बदलाव के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने का प्रयास किया है। बिहार में बहुत अव्यवस्था है।
किस तरह की अव्यवस्था?
पिछले 15 वर्षों से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। जब मैंने राज्य के आंकड़ों को देखा, तो मुझे महसूस हुआ कि बिहार सभी विकास सूचकांकों में सबसे नीचे है। पिछले 27 वर्षों से, बिहार में कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित अधिकांश क्षेत्रों में कोई विकास नहीं हुआ है।
क्या आप सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, आपका समर्थन कौन कर रहा है?
हां, हम नारा दे रहे हैं ‘इस बार बदलो बिहार, बनाओ बेहतर बिहार।’ कई छोटे राजनीतिक दल, निर्दलीय और बुद्धिजीवी तीसरे मोर्चे का हिस्सा हैं। हम सभी समान विचारधारा वाले लोगों और दलों का स्वागत करते हैं कि वे राज्य को बदलने में हमारा साथ दें।
आप कांग्रेस और राजद को साथ लेकर चलने को तैयार हैं?
अभी तक उनके साथ मैंने कोई चर्चा नहीं की है, लेकिन हां, उनका स्वागत है। बिहार को विकसित करने में दिलचस्पी रखने वाला कोई भी व्यक्ति इसमें शामिल हो सकता है।
भाजपा के एक और बागी और आपके साथी शत्रुघ्न सिन्हा के बारे में क्या राय है?
मैंने अभी तक उनसे बात नहीं की है, इसलिए मैं उनका मन नहीं जानता। लेकिन हां, आने वाले दिनों में मैं सभी से बात करूंगा।
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी बिहार में तीसरे मोर्चे के समर्थन की बात की थी। क्या आप उनके संपर्क में हैं?
मैंने अभी तक उससे बात नहीं की है। लेकिन मैं संभावनाएं तलाशने को तैयार हूं।