मुंबई की उमस भरी शुक्रवार की रात 32 वर्षीय आदित्य (बदला हुआ नाम) को लगा कि वह किसी खास से मिलने जा रहे हैं। उनकी डेट ने मुंबई के अंधेरी इलाके के एक खास रेस्तरां पर जोर दिया। वहां उसने बिना संकोच कॉकटेल, स्टार्टर, मेन कोर्स और डेजर्ट का ऑर्डर दिया। बिल 18,000 रुपये से ज्यादा का था। लड़की फोन सुनने के बहाने बाहर गई और फिर लौटकर नहीं आई। आदित्य समझ ही नहीं पा रहे थे कि वे इतने बड़े जाल में फंस कैसे गए।
एक हफ्ते बाद, ठाणे के 28 वर्षीय रोहन भी ठीक इसी तरह के जाल में फंस गए। एक लोकप्रिय डेटिंग ऐप पर मिली लड़की ने उन्हें गवंडी इलाके के एक रूफटॉप लाउंज में बुलाया। उन्हें 22,000 रुपये का बिल भरने के लिए मजबूर किया गया। बाद में उनके एक दोस्त ने बताया कि उस रेस्तरां के लोग फर्जी डेट यानी लड़कियां मिलकर पुरुषों से बहुत सा पैसा खर्च कराके ठगते हैं।
सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ती ऐसी कहानियां संकेत हैं कि यह ट्रेंड का रूप ले चुका है। इससे पुरुषों को न सिर्फ आर्थिक नुकसान होता है बल्कि उन्हें गहरे भावनात्मक आघात भी झेलने पड़ते हैं।
जेनरेशन जेड और मिलेनियल्स के बीच लोकप्रिय डेटिंग एप्स ऐसी समस्याओं को देखते हुए जांच के दायरे में आ गए हैं। कई प्लेटफॉर्म सुरक्षा संबंधी एडवाइजरी भी जारी कर रहे हैं और नए फीचर भी ला रहे हैं, जिसमें स्कैम अलर्ट, फोन नंबर मास्किंग और सख्त वेरिफिकेशन प्रक्रिया लागू हैं।
कनाडाई-फ्रांसीसी ऑनलाइन डेटिंग ऐप और सोशल नेटवर्किंग ऐप एशले मेडिसन के मुख्य रणनीति अधिकारी पॉल कीएबल इस समस्या को स्वीकार करते हैं। वह कहते हैं, “हम भारत में रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी सहित सभी प्रकार की ठगी को गंभीरता से लेते हैं। हमने अपने सदस्यों का जोखिम कम करने के लिए अंदरूनी तौर पर मॉडरेशन, सभी सक्रिय खातों निगरानी और सामुदायिक रिपोर्टिंग टूल जैसे सुरक्षा उपाय लागू किए हैं।” ऐप पर फिर से विश्वास बहाल करने के लिए, एशले मेडिसन ने फर्जी प्रोफाइलों को हटाने के लिए सख्त सत्यापन प्रणाली, सेल्फी और सरकारी आइडी की जांच भी शुरू कर दी है।
कई अन्य प्लेटफॉर्म भी एआइ आधारित तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, ताकि यूजर को शिकार बनने से पहले ही चेतावनी दी जा सके। कीएबल ने कहा कि उनका ध्यान ज्यादा स्मार्ट निगरानी प्रणाली, मजबूत गोपनीयता सुरक्षा और ऐसे संसाधनों पर है, जो सदस्यों को डिजिटल डेटिंग की अक्सर अप्रत्याशित दुनिया में सुरक्षित महसूस करने में मदद करेगा।
आइल नेटवर्क की हेड चांदनी गगलानी कहती हैं, ‘‘हमारे सदस्य विश्वास के साथ सार्थक संबंध बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकें यह निश्चित करने के लिए, हमने दो चरणों में व्यापक सत्यापन प्रणाली लागू की है। हमारी उन्नत एआइ तकनीक में सेल्फी से सत्यापन का भी चरण है, जो पहले सभी प्रोफाइल फोटो का विश्लेषण करता है। एआइ के जांचने-परखने के बाद टीम भी समीक्षा करती है। दोहरी प्रक्रिया से केवल वास्तविक यूजर्स ही आ पाते हैं।”
एक और डेटिंग प्लेटफॉर्म, क्वैक क्वैक भी इस तरह की धोखाधड़ी से निपटने के लिए कई नए नियम और उपाय लागू कर रहा है। क्वैक क्वैक के सीईओ रवि मित्तल कहते हैं, ‘‘धोखाधड़ी से निपटने के लिए हम, सुरक्षा के कई स्तर जोड़ रहे हैं।’’ मित्तल आगे कहते हैं, ‘‘हम आगाह करते हैं कि अपना फोन नंबर और अन्य सोशल मीडिया जानकारी साझा न की जाए। हम फोन नंबर भी छिपाते हैं, जिनका इस्तेमाल अक्सर बातचीत में और प्रोफाइल बनाते समय किया जाता है। हमारे प्लेटफॉर्म पर नई प्रोफाइल बनाने के लिए इन नंबरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’’
सुरक्षा उपाय बढ़ने के बावजूद बड़ी समस्या यह है कि ज्यादातर मामले सामने नहीं आ पाते। समाज में ऐप या इस तरह की डेटिंग को लेकर बनी धारणा के कारण कई पुरुष न तो पुलिस को शिकायत करते हैं न अपने दोस्तों को बताते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी किसी धोखाधड़ी का शिकार हो गए पुरुष इस तरह की घटनाओं के बारे में खुलकर बोलने में संकोच होता है क्योंकि उन्हें मजाक बनने या लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे का डर सताता है।
ठगी करने वाले इसी चुप्पी का फायदा उठाते हैं। पीड़ित सामने नहीं आते, तो अपराधियों को कोई सजा नहीं मिल पाती। कई पुरुष शर्मिंदगी से बचने के लिए चुपचाप नुकसान सह लेते हैं। वकील और मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि यह मौन अपराधियों के हौसले बढ़ाता है और समस्या की असली तस्वीर सामने ही नहीं आ पाती है, जिससे पुलिस के लिए कार्रवाई करना और मुश्किल हो जाता है।