इन ठिकानों में चैना राम, चाटवाला, कंवरजी भागीरथमल, दलबीजीवल्ला और दरीबा की जलेबी जैसे नाम हैं। इन व्यंजन गृहों में दशकों से सदियों पुरानी पाक कला से मिठाइयां बनाने का दावा किया जाता है, जिससे पुरानी दिल्ली बाजार को एक अद्वितीय पहचान मिल रही है।
सन 1901 में स्थापित चैना राम विभिन्न तरह की मिठाइयां पेश करता रहा है जिनमें सोहन हलवा, साइओ पाक, डोडा, नारियल बर्फी, काजू बर्फी आदि शामिल हैं और कहा जाता है कि वे काफी पहले से प्रसिद्ध कराची हलवा की देशभर में बिक्री कर रहे हैं।
चैना राम के मालिक का कहना है कि हाल के वर्षों में महंगाई बढ़ने का उनकी दुकान पर कोई असर नहीं पड़ा है और उनका कहना है कि गुणवत्ता ही लोगों के खिंचे चले आने का आधार है।
चैनाराम के मालिकों में से एक प्रदीप गिडवानी का कहना है, हमारी बिक्री लगातार हो रही है और हमने खुद को समकालीन बाजार स्थिति के हिसाब से बदल लिया है। हमने पैकेजिंग बदल दी है और ग्राहकों के लिए होम डिलीवरी सेवा शुरू कर दी है।
गिडवानी ने कहा, ‘हमारे लिए गुणवत्ता महतवपूर्ण है और दामों में बढ़ोतरी के बावजूद हमारे पास नियमित ग्राहक हैं।’ दिवंगत लाला कंवर सेन द्वारा 18वीं सदी में शुरू की गई दुकान कंवरजी देसी घी से बनी नमकीन और मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है। इस दुकान की दालबीजी काफी मशहूर है जिसे महीनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है और इसलिए दूर-दूर से आए पर्यटक इसे साथ भी ले जाते हैं। इनमें विदेशी भी शामिल हैं। अन्य प्रसिद्ध चीजों में पिस्ता लौज, बादाम लौज और आलू का लच्छा शामिल है।