दिल्ली सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से आयोजित डेल्ही वाक्स की शुरुआत जामा मस्जिद से हुई। विरासत की इस सैर में दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा के साथ आम आदमी पार्टी की विधायक अल्का लांबा, विधायक इमरान हुसैन के साथ ही इलाके के कई लोग शामिल हुए। रमजान के दूसरे रोजे के दिन इफ्तार से ठीक पहले शुरू हुए इस वाक में भाग लेने वालों को ऐतिहासिक जामा मस्जिद की सैर कराई गई। सैर के दौरान इंडिया सिटी वाक्स की निधी बंसल ने लोगों को जामा मस्जिद से जुड़ी कई जानकारियां दीं। जामा मस्जिद के बनने की कुछ कहानियों के साथ उसमें लगे पत्थरों की खासियत और इमारत की स्थापत्य कला से झलकती गंगा जमुनी तहजीब के बारे में भी निधी बंसल ने चर्चा की। इन्ही छोटी-मोटी पर बेहद अहम ऐतिहासिक जानकारियों के साथ जामा मस्जिद के प्रांगण में ही इफ्तार का आयोजन हुआ। जहां पर इस्लाम धर्म में रमजान की अवधारणा और महत्व पर चर्चा की गई। डेल्ही वाक्स के बारे में बताते हुए इंडिया सिटी वाक्स के मुख्य एक्सप्लोरर सचिन बंसल ने बताया कि इस तरह के आयोजन का मकसद अपनी सांस्कृतिक विरासत से रुबरू होना और उसको फिर से जी कर सहेजना है। सचिन ने बताया कि इंडिया सिटी वाक्स पुरानी दिल्ली की गलियों में इस तरह के और भी कई आयोजन करेगा। जिसमें आने वाले दिनों में रिक्शे पर बैठकर इन विरासत गलियों की सैर का कार्यक्रम भी है।
इफ्तार के बाद विरासत की ये सैर पुरानी दिल्ली की उन खास गलियों में पहुंची जो अपने लजीज व्यंजनों के जायके के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। मटिया महल इलाके की गलियां एक से एक लजीज जायकों की वजह से जानी जाती हैं। सिटी वाक में इन गलियों के इतिहास से रुबरू होते हुए लोगों ने कई जगहों पर रुककर वहां के खास लजीज व्यजनों का लुत्फ उठाया। जिसमें मटन कोरमा से लेकर चिकन जहांगिरी के जायके के साथ नानखटाई, दही वड़ा और तरबूजे से सजी वहां की खास शर्बत का लुत्फ भी शामिल है। इस अवसर पर दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि ये एक अच्छा कदम है। उन्होंने कहा, अपनी विरासत को जानने और संजोने के लिए इस तरह के आयोजन किए जा रहे हैं। मिश्रा ने बताया, पुरानी दिल्ली में आगे भी इस तरह के आयोजन किए जाएंगे। इसके अलावा महरौली में भी इसी तरह से सिटी वाक के जरिये लोगों को विरासत से रुबरू कराया जाएगा। आप विधायक अल्का लांबा ने भी इस आयोजन की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से हमें अपनी भूली बिसरी विरासत को जानने और सहेजने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन हमारी साझा संस्कृति को और मजबूत करते हैं।