Advertisement

विमुद्रीकरण और अप्रवासी भारतीय

भारत में विमुद्रीकरण के करीब तीन माह पश्चात जिसमें कि 86 % चलित मुद्रा को प्रतिबंधित कर दिया गया था। उस संदर्भ में अप्रवासी भारतीयों के लिए दिशानिर्देशों की घोषणा की गई, यद्यपि अधिकतर अप्रवासी भारतीय इससे अप्रभावित रहे क्योंकि वे भारतीय मुद्रा से व्यवहार नहीं करते परंतु उनके सगे-संबंधी भारत में इससे अवश्य प्रभावित रहे, लेकिन फिर भी अप्रवासी भारतीयों ने इस विमुद्रीकरण का स्वागत किया परंतु वे चाहते थे कि भारत सरकार ऐसा विचार अमल में लाए जो विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय विदेशों में मौजूद अपने दूतावास में जाकर भारतीय मुद्रा को जमा अथवा बदलवा सके।
विमुद्रीकरण और अप्रवासी भारतीय

अप्रवासी भारतीयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए इस सराहनीय कदम की प्रशंसा की और कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम से देश में काले धन के जमाखोरों से निपटने में आसानी होगी। यह सरकार की वैकल्पिक अर्थव्यवस्थाओं पर भी अंकुश लगाने का भी एक अथक प्रयास है।

वास्तविकता यह है कि भारत की समान्तर अर्थव्यवस्था कोई रहस्यमय नहीं है, भारत का बहुत बड़ा अव्यवस्थित अर्थतंत्र, जिससे लघु व्यवसाय चलते हैं, ग्रामीण आय को बढ़ाते हैं तथा मुद्रास्फीति को भी बढ़ाने में योगदान देते हैं वो है नगदी का आदान-प्रदान। यह कदम न केवल प्राथमिक अर्थव्यवस्था को अपितु कर चोरी व भ्रष्टाचार को भी प्रतिबंधित करने में कारगर साबित होगा।

वर्तमान राज्य के मामलों पर भारत की जबरदस्त वृद्धि के साथ-साथ देश में कारोबार को आकर्षित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नेता के रूप में क्या मोदी ने ऐसा कुछ किया है जो राष्ट्र की जरूरत है।

ऐसा देखा गया है कि मोदी जब भी विदेशी दौरे पर जाते हैं, उस समय वह वहां के अप्रवासी भारतीयों से संपर्क कर उन्हें भारत में निवेश के लिए आग्रह करते रहे। ध्रुवीकरण करना उनका मजबूत स्तम्भ व कुंजी रही है जो देश के बाहर भी अपार जनसमूह को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। जब देश के हित में निर्णय लेने की बात आती है तो मोदी जी ने न्यूयॉर्क से लंदन और दुबई से मेलबोर्न तक समस्त स्थानों पर भारत के दृष्टिकोण को समन्वय एवं एकता का संदेश दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीयों के दृष्टिकोण को समझा और पहचाना है कि किस तरह का कदम रखने से भारत में विदेशी निवेश की क्रांति आएगी।

अप्रवासी भारतीयों को 30 दिसम्बर तक भारत में विमुद्रीकरण की इस शोकप्रद उद्घोषणा की कोई जानकारी नहीं थी। सरकार द्वारा 30 जून 2017 तक नोट बदलवाने की समय सीमा बढ़ाने की सूचना अप्रवासियों को अंतिम समय में नववर्ष के दिन ही प्राप्त हुई।

यदि कोई अप्रवासी भारतीय अपनी मुद्रा को बदलवाने की तय सीमा के अंदर भारत आता है तो उसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) द्वारा निर्धारित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इस दौरान अप्रवासी भारतीय केवल 25000 रुपये मात्र ही बदलवा सकता है, ये तो उसके लिए अव्यवहारिक है जिसका हवाई किराया ही 50000 रुपये लग जाएगा वो भी केवल 25000 रुपये बदलवाने के लिए।

ये आशा करना कि लाखो भारतीय अपनी मुद्रा को बदलवाने भारत आएंगे, ये अप्रभावी और असुविधाजनक है। इसका स्थानीय हल यही है कि विदेशों में भारतीय बैंकों एवं दूतावासों को इसका  अधिकार दिया जाना चाहिए ताकि  वह अपनी मुद्रा वहीं बदलवा सकें।

अप्रवासी भारतीयों के लिए पुराने नोट बदलवाने व जमा करवाने संबंधी जानकारी निम्नलिखित है –

  • प्रति व्यक्ति नकदी ले जाने की सीमा 25000 रुपये है जोकि उस व्यक्ति को भारत आगमन के समय हवाई अड्डे पर एक आवेदन पत्र भरकर उसमें 8 नवम्बर के बाद 30 दिसम्बर से पहले की भारत में प्रवेश करने की अप्रवासन मोहर लगी प्रतिलिपि सलंग्न करनी होगी, तत्पश्चात ही वह व्यक्ति बैंक से पुराने नोट बदलवा या जमा कर सकता है।
  • दूसरा विकल्प यह है कि वो अपने किसी विश्वास पात्र व्यक्ति द्वारा भी एक आधिकारिक पत्र बैंके के नाम देकर अपनी धनराशि जमा करवा सकता है। यदि धनराशि 25000 रुपये से अधिक हो तो उसके लिए उन्हें अपना मतदान पहचान-पत्र, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि की प्रतिलिपि पर हस्ताक्षर करके आधिकारिक पत्र के साथ सलंग्न करके निकलवा या बदलवा सकते हैं।

विमुद्रीकरण का कार्यक्रम भारत में पूर्ण हो जाने के बाद प्रधानमंत्री को अगले दशक तक नगदी की निर्भरता को कम करने हेतु इन देशों से प्रेरणा लेकर देश के लिए एक उन्नतशील योजना की रुपरेखा  पर कार्य करना चाहिए । अप्रवासी भारतीय भी भारत की इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाने को तैयार है।

(लेखक जईवाला कंपनी के संस्थापक हैं) 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad