बैंगलुरू और अहमदाबाद संदिग्धों मे कई युवा हाईक्वालीफाई थे। दुखद यह है कि ये पढ़े -लिखे युवा किसी परिस्थिति वश नहीं बल्कि शौकवश आतंकी बन रहे हैं। आतंकवादी संगठन खुद को मुस्लिमों का मसीहा साबित करने में लगे हैं जबकि सच्चाई इसके उलट वह मुस्लिमों को भारी नुकसान ही पहुंंचा रहे हैंं। इन्ही आतंकवादी संगठनोंं की बदौलत मुस्लिमों को पूरी दुनिया में संदिग्ध नजरिये से गुजरना पड़ता है।
मौजूदा वक्त इनफार्मेशन का है, सोशल मीडिया और ग्लोब्लाइजेशन के इस दौर में सीमाओं का अस्तित्व सिर्फ नक्शों में ही है। लोगों के दिमाग से खेलना और ब्रेनवाश करना आतंकी संगठनों के लिए अब पहले से ज़्यादा आसान हो गया है। पहले आतंकी संगठन समाज में पीछे छूट गए तबकों को बरगलाते थे। अब पढ़े लिखों को बरगलाते हैं। पहले आतंकियों का पूरा नेटवर्क मैन्युअल था और अब ऑनलाइन है।
आईएसआईएस के अस्तित्व में आने के बाद तेज़ी से बदलाव हो रहा है, अब आतंकियों की खेप देश में सीमाओं से नहीं बल्कि कम्प्यूटर स्क्रीन से घुसती है। विदेशों में बैठे आतंकी संगठन मुस्लिम युवाओं को उकसाने वाली भाषा का प्रयोग कर बंदूक उठाने पर मजबूर कर रहे हैं। हाल की अमेरिका और यूरोप की घटनाओं में अधिकतर हमलावर स्थानीय नागरिक थे, जोकि आतंकी संगठन आईएसआईएस से प्रभावित थे। भारत के सन्दर्भ में यह खतरा चौतरफा है, हालांकि भारतीय मुसलमान को औरों से बेहतर समझा जाता है लेकिन मौजूदा खतरे को कमतर आंकना नादानी होगी।
ढाका के हालिया आतंकी हमले की तस्वीर साफ़ होना अभी बाकी है, लेकिन जिस तरह से आईएसआईएस के दावे के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम आया, उसने सुरक्षा बलों के कान जरूर खड़े कर दिए हैं। ढाका हमले ने एक बार फ़िर पाकिस्तान के दोगलेपन को खोल कर रख दिया। पाकिस्तान का खुद का सीना आतंकवादी हमलो से छलनी होता रहता है तब भी वह अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आ रहा।
आतंकवाद भारत के लिए कोई नई बात नही, भारत लंबे समय से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को झेल रहा है। लेकिन जब से दुनिया के लगभग सभी आतंकी संगठन आईएसआईएस के बैनर तले आ रहे हैं चीज़ें तेज़ी से बदलती जा रही हैं। अल-कायदा जैसे-जैसे कमजोर हुआ है, आईएसआईएस लगातार मजबूत हो रहा है। आईएसआईएस ने अपनी पहचान टेररिज्म के ग्लोबल सेंटर के तौर पर बना ली है। अधिकांश देशों में वह इस्लामी युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। प्रशिक्षण दे रहा है। उसकी कोशिश है कि वह पूरे विश्व में आतंक के पर्याय के रुप में जाना जाए। वह कामयाब भी हो रहा है। आज हमला कहीं भी हो, किसी संगठन ने किया हो, एक बार लगता है कि यह हमला आईएसआईएस ने किया होगा। आतंक की यह ब्रांडिंग आईएसआईएस को लगातार मजबूत कर रही है।
आपके घर में अगर कोई गंदगी फैलाये और आप उसे मना न करें तो कसूर आपका है। इस्लाम के नाम पर जिस तरह से आतंकी हमले हो रहे हैं उससे बदनाम कोई और नही बल्कि पूरा इस्लाम जगत ही हो रहा है। अगर आज आप नही बोलेंगे तो 'कल' आपको कसूरवार ठहराया ही जाएगा। तब आप इस्लाम की यह परिभाषा बताकर की इस्लाम तो मुहब्बत का धर्म है, अपना वाजिब बचाव नही कर पाएंगे। अभिनेता इरफ़ान ने ठीक ही पूछा 'चुप क्यू है इस्लाम', सोचिये आतंक के जो आका अपने धर्म के नही हुए, अपने देश के भी न हुए, वो आपके सगे कैसे हो पाएंगे।