बैंकों के मजदूर संघ केंद्र सरकार द्वारा 10 बैंकों को विलय करके 4 बैंक बनाने के निर्णय का विरोध कर रहे हैं। बैंक विलय के निर्णय का समय ठीक नहीं है और जल्दबाजी में लिया गया एक कदम है। यह निर्णय देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने की कड़ी में एक कदम सिद्ध होगा। सरकार जब 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात कर रही है ऐसे में ये विलय का फैसला गलत सिद्ध होगा। इस समय बैंकों का जो योगदान देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए होना था उसकी जगह उनका सारा फोकस मर्जर को सुचारू रूप से लागू करने में लग जाएगा। वित्त मंत्रालय के वित्तीम सेवा मामले के विभाग के आदेशानुसार 17, 18 अगस्त को बैंकों के क्षेत्रीय कार्यालय के अनुसार और 22, 23 अगस्त को स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की बैठकों का आयोजन किया गया और मंथन हुआ कि किस प्रकार बैंक सरकार की 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं लेकिन सरकार ने उन सभी सुझावों को दरकिनार करते हुए पहले से निर्धारित फैसले को सुना दिया है।
बैंकों के विलय के बाद बहुत सी शाखाएं बंद हो जाएंगी। यदि एक ही सड़क पर विलय होने वाले सभी बैंकों की शाखाएं हैं तो निश्चित रूप से कुछ शाखाओं को बंद किया जायेगा। एक ही प्रदेश में बैंकों के प्रशासनिक कार्यालयों में से एक या दो कार्यालय भी बंद करना पड़ेगा। जिससे उन शाखाओं और प्रशासनिक कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों का दूर-दूर ट्रांसफर और छंटनी होगी। बैंकों में कर्मचारियों का प्रमोशन, ट्रांसफर और अन्य सुविधाओं के अलग-अलग नियम होंगे ऐसे में विलय के बाद किस बैंक के नियम लागु होंगे यह कहना भी मुश्किल है। जो लोग अपनी प्रमोशन का इंतजार कर रहे होंगे विलय के बाद सिनिओरिटी की समस्या भी आएगी यानी कुल मिलकार पेपर पर तो बैंकों का विलय हो जायेगा, प्रौद्योगिक प्लेटफार्म का विलय भी हो जायेगा लेकिन अलग-अलग संस्कृति एवं मानव संसाधन का एकीकरण कैसे संभव होगा एक बड़ा प्रश्न है क्योंकि सभी बैंकों का अपना-अपना सांस्कृतिक वातावरण होता है। सभी बैंकों का अपना अपना प्रौद्योगिक प्लेटफार्म होता है और कर्मचारियों की सेवा शर्तें और नियम भी अलग-अलग होते हैं। कर्मचारी पहले से ही लंबे समय से वेतन वृद्धि न होने कारण नाराज हैं ऐसे में ये निर्णय उनकी काम कि क्षमता को और कमजोर करेगा। सभी बैंकों के द्वारा अपने ग्राहकों को अलग-अलग तरह के उत्पाद उपलब्ध कराये जाते हैं। ग्राहकों का भी लम्बे समय से एक बैंक से रिश्ता होने के कारण एक भावनात्मक जुड़ाव हो जाता है जिसका असर भी विलय के पश्चात् देखने को मिल सकता है। इससे पहले हुए मर्जर्स से अभी बैंक संभल नहीं पाए हैं। अभी तक उन बैंकों में ठीक प्रकार से काम नहीं हो रहा है। कई बैंकों ने अपनी बहुत सी शाखाएं बन्द कर दी हैं।
सरकार भले ही कह रही है कि किसी भी कर्मचारी को निकाला नहीं जायेगा लेकिन जब शाखाओं और प्रशासनिक कार्यालयों को विलय और बंद किया जाएगा तो बहुत से कर्मचारीयों और अधिकारियों को भी ट्रान्सफर किया जायेगा और यदि उनका ट्रान्सफर ठीक नहीं होगा तो वे लोग बैंक को छोडकर भी जा सकते हैं। एक तरफ सरकार रोजगार उत्पन करना चाहती है ऐसे में जहां बैंकों में अच्छी संख्या में रोजगार संभव हैं उनको मर्ज करके रोजगार को संभावनाओं को समाप्त कर रहे हैं। सरकार को बैंकों के मर्जर की जगह उनको और सशक्त करना चाहिए था तथा बैंकों में बढ़ रहे एनपीए की रिकवरी के लिए बैंकों को और अधिकार देने के आवश्यकता थी। बैंकों में कर्मचारियों और अधिकारीयों की भी बहुत कमी है उसको भी ठीक किया जा सकता था।
सरकार द्वारा बैंकों की संख्या कम करने का फैसला बैंकों को किस ओर ले जाएगा ये कहना मुश्किल है। यदि सरकार ने इस फैसले से पहले बैंकों से सम्बंधित सभी हितधारकों (जैसे- बैंक प्रबंधन, बैंकों की यूनियंस और बैंकों के शेयर होल्डर्स) से बात की होती तो कोई और अच्छा निर्णय हो सकता था। ये सही है कि सरकार इन बैंकों की मालिक है लेकिन अभी इन बैंकों में प्राइवेट शयेर होल्डर्स का भी एक बड़ा हिस्सा है। बैंकों में काम कर रही ह्यूमन कैपिटल (कर्मचारी वर्ग) का भी बड़ा रोल है। ऐसे में सभी पक्षों से बात किए बिना कोई निर्णय कितना कारगर होगा, कहना मुश्किल है।
विलय होने वाले बैंकों की वर्तमान एवं बाद की स्थिति
बैंक का नाम |
कुल कारोबार (लाख करोड़) |
एन.पी.ए. |
शाखाएँ |
कर्मचारी |
पंजाब नेशनल बैंक |
11.82 |
6.55% |
6992 |
65116 |
ओरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स |
4.04 |
5.93% |
2390 |
21729 |
यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया |
2.08 |
8.67% |
2055 |
13804 |
|
17.94 |
6.61% |
11437 |
100649 |
केनरा बैंक |
10.43 |
5.37% |
6310 |
58350 |
सिंडिकेट बैंक |
4.77 |
6.16% |
4032 |
31535 |
|
15.20 |
5.62% |
10342 |
89885 |
यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया |
7.41 |
6.85% |
4292 |
37262 |
आंध्रा बैंक |
3.98 |
5.73% |
2885 |
20346 |
कॉर्पोरशन बैंक |
3.19 |
5.71% |
2432 |
17776 |
|
14.59 |
6.30% |
9609 |
75384 |
इंडियन बैंक |
4.29 |
3.75% |
2875 |
19604 |
इलाहाबाद बैंक |
3.77 |
5.22% |
3229 |
23210 |
|
8.07 |
4.39% |
6104 |
42814 |
(लेखक नेशनल ओर्गनाईजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के पूर्व महासचिव हैं)