पाकिस्तान 1990 से प्राक्सी वार के तहत समय समय पर एलआईसी मतलब लो इंटेसिटी कन्फलिक्ट के जरिए क्षेत्र में आतंकी हमलों को अंजाम देता आया है। ऐसे हमलों के बीच भारत लगातार अपनी पुरानी रक्षात्मक रणनीति के भरोसेे बैठा है। पठानकोट और पुंछ के बाद हालिया उरी की इस नापाक करतूत के बाद पीएम मोदी दोषियों को कड़ी सजा देने का आश्वासन दे रहे हैं। होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह पाकिस्तान को आतंकी देश बताकर उसे विश्व बिरादरी से अलग-थलग करने की बात कहेे हैं।यह उचित है लेकिन हमें क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान को पड़ोसी देश चीन से मिलनेे वाली सैन्य सहायता पर भी विचार करना चाहिए।
पाक सेना के मुख्यालय रावलपिंडी को चीन का भरपूर साथ मिल रहा है। अमेरिका भी पाक को सैन्य सहायता देने में कोई गुरेज नहींं करता है। हमें विश्व मंच पर अमेरिका और चीन के सामने पाक की आतंकी हरकतों का पर्दाफाश करने की रणनीति अपनानी चाहिए। पाकिस्तान के कश्मीर विलाप की सच्चाई सामने रखनी चाहिए।
पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में बुरहान वानी की मौत के बाद हिंसा जारी है। इस पर पाकिस्तान लगातार प्रतिक्रिया देते आया है। पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद भारत-विरोधी गतिविधियों की घोषणा करते रहता है। इन सबके बाद भी हम आतंकियों की घुसपैठ पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। पाक को बलूचिस्तान की आजादी के मसलेे ने भी बेचैन कर दिया है। उरी आतंकी हमले से एक बार फिर पाकिस्तान के नापाक इरादे जाहिर हुए हैं। हमलावरों की पहचान जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती दस्ते के रूप में हुई है।
उरी सेक्टर और पुंछ में नियंत्रण रेखा पर हमेशा तनाव का माहौल बना रहता है, इसलिए उम्मीद की जाती है कि वहां ज्यादा चौकसी बरती जाएगी। पर सवाल है कि चार आतंकी ग्रेनेड से हमले करने में कामयाब कैसे हो गए। इस हमले के बाद उचित ही सेना और सुरक्षा को लेकर व्यावहारिक नीति बनाने की बात उठने लगी है। ताजा हमले की प्रकृति को देखते हुए अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि पाकिस्तानी सेना की मदद के बिना यह संभव नहीं था। भारत सरकार ने इस हमले को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान को कड़ा संदेश देने का संकल्प दोहराया है। मगर पाकिस्तान पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा।
पिछले दिनों पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत को धमकाया कि अगर वह किसी सैनिक कार्रवाई का प्रयास करेगा, तो उसे हमारे परमाणु हथियारों का कहर झेलने को तैयार रहना चाहिए। नापाक मंसूबों, अंतरराष्ट्रीय दबावों और सैनिक मुस्तैदी के बावजूद अगर पाकिस्तान पर कोई असर नहीं दिख रहा, वह अपने यहां संरक्षण पाए आतंकवादी संगठनों पर नकेल कसने को तैयार नहीं दिख रहा, वह भारत के खिलाफ उनका इस्तेमाल कर रहा है, तो भारत को इससे निपटने के लिए किसी कारगर तरीके पर अब विचार करने की जरूरत है।