सामान्य अर्थशास्त्रीय परिभाषा में बजट सरकार के आय और व्यय का विवरण मात्र होता है जो सेक्टोरल आवंटनों एवं खर्चों को दर्शाता है। लेकिन सही अर्थों में बजट राजकोषीय स्थिति को दर्शाने के साथ-साथ सरकार के भावी लक्ष्यों, नेतृत्व के विज़न और प्रदेश की प्रगति अनुरेखित करने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। बीती 22 तारीख को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपना 5वां बजट पेश किया। इस बजट में मुख्यमंत्री के विज़न और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के अनुरूप समग्र विकास की रूपरेखा समाहित है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद से निरंतर इस दिशा में काम किया है। जो देश व दुनिया के सामने उत्तर प्रदेश को एक स्किल्ड मैन पावर के रूप में, एक श्रेष्ठ बिजनेस डेस्टिनेशन के रूप में देश के अंदर एक तीव्र गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में और सुरक्षित ,समृद्ध व स्वावलम्बी सामाजिक-आर्थिक इकाई के रूप में पहचान दे सके। यदि वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर 2021-22 तक के बजटों की केंद्रीय विषय वस्तु को देखें तो स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार ने किस प्रकार से माइक्रो और मैक्रो अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में काम किया है जिसके चलते उत्तर प्रदेश ‘सकल राज्य घरेलू उत्पाद’ के मामले में दूसरे नम्बर पर पहुंच गया साथ पिछले पांच वर्षों में प्रतिव्यक्ति में करीब-करीब दो गुनी वृद्धि करने में सफलता अर्जित कर ली।
उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट को किसानों को समर्पित किया था, वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट को औद्योगिक विकास को, वर्ष 2019-20 के बजट को महिलाओं के सशक्तिकरण को और वर्ष 2020-21 के बजट को युवाओं की शिक्षा, कौशल संवर्द्धन, रोजगार, मूलभूत अवस्थापना तथा त्वरित न्याय को समर्पित किया था। अब जब सरकार लक्ष्य प्राप्ति के क्रम में बढ़ते हुए और कोविड 19 के काल में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन करते हुए (जिसकी प्रशंसा स्वयं डब्ल्यूएचओ ने भी की है) यहां पहुंची तो उसने वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट को ‘समग्र विकास एवं समावेशी विकास द्वारा प्रदेश के विभिन्न वर्गों का स्वावलम्बन से सशक्तिकरण’ को समर्पित किया है। इस दृष्टि से यह बजट प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के मंत्र के अनुरूप आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार के बजट 2021-22 में ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ सम्बंधी अवधारणा को कार्यरूप देने के लिए चार स्तम्भों (4 पिलर्स) की परिकल्पना की गयी है। ये स्तम्भ हैं- अवस्थापना विकास, जनस्वास्थ्य (पब्लिक हेल्थ), मानव संपदा (ह्यूमन कैपिटल) एवं सामाजिक-सांस्कृतिक विकास और कृषि एवं सम्बद्ध क्रियाकलाप। सामान्यतया अवस्थापना को सबसे ऊपर रखा जाता है लेकिन मेरी दृष्टि में मानव पूंजी आज सबसे महत्वपूर्ण घटक है। उत्तर प्रदेश के संदर्भ मे तो इसलिए भी क्योंकि उत्तर प्रदेश देश की सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बजट में किसानों, महिलाओं, युवाओं, उद्यमियों तथा श्रमिकों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता के साथ सक्रियता दिखायी है। युवाओं की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता है। चूंकि शिक्षित युवाओं में उद्यम आधारित कौशल की कमी प्रायः रोजगार की प्राप्ति में बड़ी बाधा के रूप में सामने आती रही है अतः इसे देखते हुए कौशल विकास कार्यक्रम, करियर काउंसलिंग कार्यक्रम, मुख्यमंत्री अमृत योजना आदि को वरीयता दी गयी है जिससे युवाओं को सहयोग मिलेगा। खेलकूद में प्रोत्साहन से युवाओं में स्वावलंबन की भावना की वृद्धि होगी और रोजगार सृजन भी होगा। बजट में उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा बनाने का संकल्प, भविष्य में प्रदेश के युवाओं को आज की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने में निर्णायक साबित होगा।
प्रदेश की सर्वाधिक मानव पूंजी खेती में नियोजित होती है। इस दृष्टि से कृषि सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर है। इस बजट में कृषकों, कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को केन्द्र में रखते हुए इस बात पर फोकस किया गया है कि कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की समृद्धि के बिना प्रदेश का समावेशी, धारणीय और सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। बजट में वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुनी करने का संकल्प दोहराया गया है। किसानों की आय को वर्ष 2022 तक, दो गुना करने हेतु विभिन्न योजनाओं के बेहतर उपयोग के लिए अवस्थापना से सम्बंधित गैप्स को पूरा करने हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 से आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है। इसे ध्यान में रखते किसानों को फसली ऋण उपलब्ध कराने के साथ-साथ मुफ्त पानी तथा अनुदान पर सोलर सिंचाई पंप लगाने का बजटीय प्रावधान किया गया है। कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को ध्यान में रखते हुए ग्राम व न्याय पंचायत स्तर पर कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन की भी स्थापना करने का निर्णय कृषि क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने में सहायक होगा। ध्यान रहे कि सरकार ने पहली कैबिनेट में ही किसानों के कर्ज माफी का निर्णय लिया था और पांचवे बजट में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने तथा वर्ष 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया गया है। दरअसल सरकार को यह भलीभांति मालूम है कि ‘सकल राज्य घरेलू उत्पाद’(जीएसडीपी) में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों का योगदान भले ही एक-चैथाई के आसपास हो लेकिन प्रदेश की अधिकांश आबादी कृषि से ही जीविकोपार्जन करती है। अतः समावेशी और धारणीय विकास के लिए बजट में कृषि को न केवल प्राथमिकता दी गयी है बल्कि कृषि को आधुनिक व वैज्ञानिक बनाने की दिशा में बढ़ने के लिए एक रोडमैप भी है।
इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए ग्रोथ इंजन होता है। इसके बिना आर्थिक विकास ‘तीव्र, धारणीय व प्रतिस्पर्धी’ नहीं हो सकता। इस स्थिति में ईजिंग के अन्य प्रयास भी महत्वहीन हो जाते हैं। ईज आफ डूइंग बिजनेस में प्रदेश को सबसे आगे रखना और रोजगार सृजन में उत्तर प्रदेश को शीर्ष पर स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता है। इसका परिणाम दिख भी रहा है। ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में पिछले तीन वर्ष में प्रदेश ने तीव्र उछाल के साथ देश के अंदर दूसरा स्थान हासिल कर लिया है और सकल राज्य घरेलू उत्पाद के मामले में उत्तर प्रदेश ने गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल कर लिया है। यह सब मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में बदली हुयी कार्य संस्कृति, सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन, इनोवेटिव एनीशिएटिव्स, उद्यमशीलता, दुरुस्त कानून एवं व्यवस्था, आर्थिक सुधार, बिजनेस फ्रेंडली वातावरण के निर्माण और मेक इन यूपी को मिले प्रोत्साहन के कारण संभव हुआ है। चार वर्षों के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को विश्वस्तरीय कनेक्टिविटी सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री की पहलें, इस दिशा में निर्णायक रहीं। एयर, वाटर और रोड कनेक्टिविटी की दिशा में बढ़ाए गये कदम इसके प्रमाण हैं।
बहरहाल उत्तर प्रदेश सरकार का यह बजट राजकोषीय संतुलन के साथ-साथ तीव्र, समावेशी व धारणीय विकास की व्यूहरचना से सम्पन्न कल्याणकारी, रोजगार के अवसरों की अपार संभावनाओं से युक्त, अर्थव्यवस्था की बैकबोन के रूप काम कर रहे एमएसएमई और ओडीओपी के लिए बूस्टर डोज, कृषकों के कल्याण एवं कृषि को वैज्ञानिक बनाने वाली पहलों पर फोकस्ड बजट है। यही नहीं, यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाला दिख रहा है। यह बजट मानव पूंजी को कुशल, समृद्ध व दक्ष बनाकर देश और दुनिया में सृजित होने वाले महान अवसरों के साथ जोड़ने और महिलाओं को सुरक्षा तथा सम्मान के साथ सर्वांगीण विकास के रोडमैप की तरह है। अति संक्षेप में कहें तो यह प्रदेश में ईज आफ डूइंग बिजनेस से ईज आफ लिविंग तक सभी आयामों स्पर्श करते हुए ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ की सभी अपेक्षाओं के अनुकूल और मंतव्यों से सम्पन्न है।
( लेखक वरिष्ठ स्तंभकार, इतिहासकार, अंतरराष्ट्रीय मामले और अर्थव्यवस्था के जानकार हैं। मैकग्रा हिल, पियर्सन, लेक्सिस नेक्सिस और प्रभात प्रकाशन द्वारा उनकी 23 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। लेख में उनके विचार निजी हैं।)