अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिका की वापसी के बाद तालिबानी लड़ाको का कब्जा हो गया है। जिसके कारण कोई भी अतंरराष्ट्रीय फ्लाइट नहीं चल रही है। लोग किसी भी तरह देश से बाहर निकलना चाहते हैं। इस बीच लोगों ने देश छोड़ने के लिए पाकिस्तान और ईरान बॉर्डर की ओर रुख किया है।
सामाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान के कब्जे के बाद हजारों की संख्या में लोग पाकिस्तान के खैबर पास बॉर्डर पर जमा हो गए हैं, वे किसी भी तरह अफगानिस्तान से निकल कर पाकिस्तान जाना चाहते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा अफगानिस्तान-ईरान इस्लान काला बॉर्डर पर देखने को मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक कहा जा रहा है कि ईरान की सुरक्षा एजेंसियों ने कुछ नियमों में छूट दे है और लोगों को जाने दे रहे हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अब तक लगभग सवा लाख से ज्यादा लोग बीते 15 दिनों में अफगानिस्ता छोड़ चुके हैं। तालिबान ने दावा किया था कि 31 अगस्त के बाद भी यदि कोई देश छोड़ना चाहता है तो वह छोड़ सकता है। उनकी ओर से किसी पर भी कोई दबाव नहीं है।
वहीं अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर कब्जे के बाद अब तालिबान सरकार बनाने की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए उसने कई देशों से संपर्क करने की भी कोशिश की है। ब्रिटिश सरकार इस समय तालिबान के साथ बातचीत कर रही है, जिससे अफगानिस्तान में रह गए बाकी ब्रिटिश नागरिकों को सही सलामत देश वापसी करा सके। ब्रिटेन द्वारा पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान में अपनी टीमों को तैनात किया गया है जो अफगानिस्तान से ब्रिटिश नागरिकों को वापस लाने में मदद करेंगी।
ब्रिटने का उद्देश्य फिलहाल अफगानिस्तान से अपने लोगों की वापसी कराना है। इसके अलावा अफगान नागरिक ब्रिटेन के साथ जुड़े थे, ब्रिटिश प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे उन्हें भी सेफ रेस्क्यू किया जाएगा।
बता दें, अफगानिस्तान से अमेरिका के जाने के बाद भारत ने अब तालिबान के साथ औपचारिक बातचीत की प्रक्रिया शुरु की है। इसी क्रम में मंगलवार को कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के नेता शेर मोहम्मद स्टैनिकजई से मुलाकात की। भारत ने बैठक के दौरान भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए अफगान धरती का उपयोग नहीं करने को कहा।