अमेरिका के चुनाव में कमला हैरिस के मजबूत होते जा रहे चुनाव प्रचार के बीच आंध्र प्रदेश के वडलुरु गांव में उषा चिलुकुरी के नाम पर पूजा-अर्चना चल रही है, जो विरोधी खेमे से आती हैं और कमला के हारने की सूरत में अमेरिका की ‘सेकंड लेडी’ बन सकती हैं। उषा रिपब्लिकन पार्टी के उप-राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी जेडी वांस की पत्नी हैं और भारतीय मूल की हैं।
उषा का भारतीय मूल का होना हालांकि उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना यह कि उनकी पारिवारिक जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) तक जाती हैं। मीडिया में आई कुछ खबरों के मुताबिक उनके दादा के छोटे भाई आरएसएस में हुआ करते थे और इमरजेंसी के दौरान दो साल तक जेल में रहे थे। उषा चिलुकुरी की संघ से खानदानी जुड़ाव और रिपब्लिकन पार्टी के उप-राष्ट्रपति प्रत्याशी की पत्नी होना भले राजनीतिक रूप से सुसंगत दिखे, हालांकि संघ और उससे संबद्ध संगठनों ने अमेरिकी राजनीति में डेमोक्रेटिक पार्टी से भी कभी परहेज नहीं किया है। दोध्रुवीय अमेरिकी राजनीति में संघ के बढ़ते प्रभाव और उषा या तुलसी गब्बार्ड जैसे भारतवंशी नेताओं की लोकप्रियता को समझने में यह काम आ सकता है।
तुलसी गब्बार्ड
अमेरिका में संघ के अनुषंगी संगठन हिंदू स्वयंसेवक संघ (एचएसएस) और विहिप-अमेरिका (वीएचपीए) काफी सक्रिय हैं। 2020 के चुनाव में जब तुलसी गब्बार्ड डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में खड़ी हुई थीं तब एचएसएस और वीएसपीए ने उनके प्रचार में पूरी जान लगा दी थी। तुलसी गब्बार्ड के राजनीतिक उदय और यहां तक पहुंचने के सफर के ऊपर अमेरिकी पत्रकार पीटर फ्रीडरिश ने पहली बार भारत की एक पत्रिका में लंबी रिपोर्ट की थी और बताया था कि कैसे अमेरिकी संघ ने उन्हें पाला-पोसा और यहां तक पहुंचाया है। उसके बाद पीटर को सिलसिलेवार हमलों का शिकार होना पड़ा था। उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों का आयोजन एचएसएस ने किया, जिसे पीटर की कहानी में दिखाए गए आरएसएस के साथ सीधे जुड़ाव पर आपत्ति थी। दो साल बाद एक संदिग्ध समूह डिसइनफो लैब ने पीटर के ऊपर एक डोजियर प्रकाशित कर दिया। बाद में वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया कि यह लैब भारत की आधिकारिक खुफिया एजेंसी रॉ के कुछ लोगों की हरकत है। उसके बाद पीटर के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्हें सोशल मीडिया टूलकिट का मास्टरमाइंड और आतंकवादियों से जुड़ा बता डाला।
ध्यान देने वाली बात है कि तुलसी ने डेमोक्रेटिक पार्टी को चार साल पहले छोड़ दिया था और वे अब खुलकर ट्रम्प के साथ हैं। कुछ महीने पहले उन्हें उपराष्ट्रपति पद का रिपब्लिकन प्रत्याशी बनाने की भी बातें उड़ी थीं, लेकिन जेडी वांस के नामांकन के साथ वही काम अप्रत्यक्ष ढंग से किया गया। दिलचस्प है कि इसके बावजूद वांस की पत्नी उषा को रिपब्लिकन पार्टी के ही ट्रोल्स के हमलों का शिकार होना पड़ा।
कमला हैरिस ने जब वांस को यह कहते हुए आड़े हाथों लिया था कि वे ट्रम्प की छाया बनकर रह जाएंगे, तो इसका जवाब तुलसी गब्बार्ड ने यह कहते हुए दिया कि कमला अगर चुन ली गईं तो वे डीप स्टेट के नए मुखिया के तौर पर जबरदस्त खतरनाक साबित होंगी। कमला हैरिस का चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प के सीधे हमलों को उतना नहीं झेल रहा, जितना उनके ऊपर हो रहे हमले वहां से आ रहे हैं जहां आरएसएस और वीएचपी के वैचारिक और नीतिगत हित निहित हैं।