अरब के विदेश मंत्रियों ने अमेरिका से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा येरूशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के फैसले को रद्द करने की मांग की। उन्होंने इसे गंभीर और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।
प्रस्ताव में मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से एक प्रस्ताव लाने की मांग की जिसमें ट्रंप के फैसले की आलोचना की जाये, हालांकि यह अनुमान भी जताया कि इस पर वॉशिंगटन वीटो का इस्तेमाल कर सकता है।
फलस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मालिकी ने काहिरा में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि अमेरिका इस प्रस्ताव पर रोक लगा देता है तो अरब संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस तरह के प्रस्ताव की मांग करेगा।
कल रात शुरू हुई आपात बैठक में पेश दो पन्नों के प्रस्ताव में अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार या वॉशिंगटन के साथ संबंधों को निलंबित या कम करने जैसी किसी दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं है।
गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में सड़कों पर फलस्तीनी लोगों की जो नाराजगी नजर आई, यह कदम उसके मुताबिक नहीं है। यहां ट्रंप के फैसले के खिलाफ तीन दिन तक हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
अरब लीग के प्रमुख अहमद अबुल घेइट ने कहा, ‘‘हमने राजनीतिक फैसला लिया है जो सड़कों पर प्रदर्शन का प्रतिबिंब नहीं है। राजनीतिक काम एक जिम्मेदारी वाला काम है। येरूशलम पर बीते 50 वर्षों से कब्जा है। यह लंबी लड़ाई और तेज होगी।’’ प्रस्ताव में कहा गया है कि मंत्री महीनेभर के भीतर फिर मुलाकात करेंगे।