प्रदर्शनकारियों द्वारा ओबामा को कल सौंपे गए एक ज्ञापन पत्र में कहा गया है, हमारा मानना है कि आप एक बहुत संवेदनशील एवं दृढ़ संकल्प व्यक्ति हैं और आपको बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति दर्दनाक प्रतीत होगी। हम आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि यदि संभव हो सके, तो आप बांग्लादेश संबंधी हमारी चिंता से आगामी प्रशासन को अवगत कराएं।
हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी कौंसिल, यूएसए द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने या पीडि़तों के बचाव में आगे आने में बांग्लादेश सरकार की कथित निष्क्रिय भूमिका पर गहरी चिंता व्यक्त की। ज्ञापन पत्र में कहा गया है, हिंदू मकानों एवं मंदिरों को तोड़ना, हिंदूओं की जमीनों को हड़पना और कभी-कभी हत्या एवं बलात्कार आजकल बांग्लादेश में आम बात है।
संगठन ने पिछले महीने न्यूयार्क के ट्रंप टॉवर्स के सामने भी ऐसा ही प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारी सीतांगशु गुहा ने कहा, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए कोष जुटाने की खातिर चुनाव से पहले एक धर्मार्थ समारोह में भाग लिया था। बांग्लादेशी हिंदू आतंकवाद के पीडि़त हैं। मुझे भरोसा है कि वह हमारी चिंता पर भी गौर करेंगे। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के जय कंसारा ने कहा कि बांग्लादेश को आईएसआईएस के चंगुल में फंसने से बचाना सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। उन्होंने महिलाओं एवं बच्चों समेत प्रदर्शनकारियों के समक्ष संक्षिप्त संबोधन में कहा, यदि बांग्लादेश अतिवाद के चंगुल में फंस जाता है तो वह वहां से निकल नहीं पाएगा।
हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद, अमेरिका के अध्यक्ष नाबेंदु विकास दत्त ने कहा, बांग्लादेश इस आस के साथ पाकिस्तान से मुक्त हुआ था कि यहां कोई साम्प्रदायिक ताकत नहीं होगी, लेकिन पिछले सात वर्षों में हमने देखा है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों के 273 मामले दर्ज किए हैं।
बांग्लादेश में पिछले दिनों धर्मनिरपेक्ष लोगों, उदारवादी कार्यकर्ताओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों की हत्या के कुछ मामले हुए हैं। संदिग्ध इस्लामवादियों के हमले में मारे गए लोगों में धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर, समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता और विभिन्न अल्पसंख्यक धर्मों के अनुयायी शामिल हैं।
जुलाई में एक बांग्लादेशी कैफे में आतंकवादियों के हमले में एक भारतीय लड़की सहित 22 लोग मारे गए थे।
भाषा