अमेरिकी टीवी कार्यक्रम फ्रंटलाइन को इस संस्मरण का मसौदा मिला जिसे हेडली (54) ने जेल में लिखा है। मसौदे के कुछ अंश से कट्टरपंथ की ओर हेडली के झुकाव, लश्कर ए तैयबा में उसके प्रशिक्षण और जायलैंड्स पोस्टन अखबार के खिलाफ डेनमार्क हमले के लिए उसकी तैयारी के बारे में एक झलक मिलती है। संस्मरण के अनुच्छेदों में से एक में हेडली ने अक्टूबर, 2000 में लश्कर आतंकवादियों से हुई अपनी पहली मुलाकात के बारे में लिखा है। उसने लिखा है, अक्टूबर, 2000 में अपनी एक यात्रा के दौरान मैंने संयोगवश लश्कर ए तैयबा से पहली मुलाकात की। मैं नवंबर में उसके एक वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुआ।
मैं भारतीय आधिपत्य से कश्मीर की मुक्ति के प्रति उनके समर्पण से बड़ा प्रभावित हुआ। उसने मुंबई हमले के बारे में लिखा है कि योजना मछलियां पकड़ने वाली एक ऐसी भारतीय नौका पर कब्जा करने की थी जो भटक कर पाकिस्तानी समुद्री सीमा में चली गई हो। उस नौका को मुंबई ले जाना था। उम्मीद थी कि भारतीय तटरक्षक बल भारतीय नौका का संज्ञान नहीं लेगा। लड़कों (आतंकवादियों) के पास जीपीएस उपकरण होगा जो उसे उस गंतव्य तक का रास्ता बताएगा जिसे मैंने पहले चुना था।
हेडली ने संस्मरण में 9/11 के हमले के बाद लश्कर से पूर्णकालिक रूप से जुड़ने के अपने फैसले के बारे में विस्तार से बताया है और कहा कि 2002 तक इस संगठन ने उसे मूलभूत सैन्य प्रशिक्षण दिया। वर्ष 2005 में लश्कर ने उसे अपना नाम दाऊद गिलानी से बदलकर कोई ऐसा नाम रखने को कहा जो किसी ईसाई का नाम जान पड़े ताकि वह आसानी से अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के बीच यात्रा कर सके और खुफिया एजेंसियों के लिए उस पर नजर रखना मुश्किल हो। उसने लिखा है, अंतत: जून में मेरे वरिष्ठ सहयोगी साजिद मीर ने मुझे अमेरिका लौटने और ईसाई जैसा कोई नाम रखने तथा उस नाम से नया अमेरिकी पासपोर्ट बनवाने को कहा। उसने (मीर ने) मुझे बताया कि चूंकि मैं पाकिस्तानी जैसा नहीं दिखता, अतएव मुझे भारत की यात्रा पर जाना होगा। दूसरी बात, मैं धाराप्रवाह हिंदी एवं उर्दू बोलता हूं, यह विशेषता मेरे लिए लाभकारी होगी।