अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वायु गुणवत्ता को लेकर भारत, चीन और रूस पर आरोप लगाया है। ट्रंप ने कहा है कि ये देश वायु की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखते हैं जबकि अमेरिका रखता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस क्लाइमेट समझौता को ‘एकतरफा, ऊर्जा बर्बाद' करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि वह इस समझौते से अलग हो गए, जो अमेरिका को एक ‘गैर प्रतिस्पर्धी राष्ट्र' बनाता है।
ट्रंप ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि हम अपनी वायु की देखभाल करें, लेकिन चीन अपनी वायु की देखभाल नहीं करता है। भारत और रूस भी अपनी अपनी हवा का ध्यान नहीं रखता है। लेकिन हम करते हैं। ट्रंप ने आगे कहा कि जब तक वो राष्ट्रपति हैं, हमेशा अमेरिका को पहले स्थान पर रखेंगे। यह बहुत ही सीधी सी बात है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “वर्षों तक हमने दूसरे देशों को पहले रखा और अब हम अमेरिका को पहले रखेंगे। जैसा कि हमने अपने देश में शहरों में देखा कि कट्टरपंथी डेमोक्रेट्स न केवल टेक्सास के तेल उद्योग को बर्बाद करना चाहते हैं, बल्कि वे हमारे देश को बर्बाद करना चाहते हैं।”
उन्होंने इन देशों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे कट्टरपंथी देश किसी भी तरीके से देश से प्यार नहीं करते हैं। अमेरिकी जीवन पद्धति के लिए कोई सम्मान नहीं है। हमारे लोग अपने देश, राष्ट्रगान और झंडा से प्यार करते हैं।
दिसंबर 2018 में प्रकाशित ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। 2017 में चार शीर्ष उत्सर्जक चीन 27 फीसदी के साथ, अमेरिका 15 फीसदी के साथ, यूरोपीय संघ 10 फीसदी और भारत का सात फीसदी था।
ट्रंप ने कहा कि करीब 70 सालों में पहली बार अमेरिका ऊर्जा निर्यातक बना। अमेरिका अब तेल और प्राकृतिक गैस का अग्रिम उत्पादक है। भविष्य में इस स्थान को बनाए रखने के लिए अमेरिका आज एेलान कर रहा है कि वह तरलीकृत प्राकृतिक गैस के लिए निर्यात प्राधिकार पत्र को 2050 तक के लिए बढ़ा जा सकता है।