शीतल रनोत (35) को वर्ष 2014 में अपनी सौतेली बेटी माया रनोत को पीटने और बेरहमी से प्रताडि़त करने के मामले में दोषी पाया गया था। उस समय माया करीब 12 साल की थी। शीतल ने एक बार बच्ची को झाड़ू के धातु से बने टूटे हैंडल से पीटा था जिससे उसकी कलाई काफी गहराई तक कट गई थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराकर उसका आपरेशन करना पड़ा था। क्वींस डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी रिचर्ड ब्राउन ने कहा कि जूरी ने सबूतों पर विचार किया जिनमें एक समय कुपोषित रही पीडि़ता का अदालत में दिया बयान शामिल है। अदालत ने शीतल को डेढ़ साल से अधिक समय तक लड़की को प्रताडि़त करने का दोषी पाया। उन्होंने कहा, बच्ची को उसकी सौतेली मां ने उसके लंबी-लंबी समयावधि के लिए शयनकक्ष में बंद रखा और इस दौरान उसे भोजन या पानी भी नहीं दिया गया। पीडि़ता को झाड़ू के धातु से बने हैंडल और लकड़ी के बेलन से तब तक पीटा गया, जब तक कि वह लहूलुहान नहीं हो गई और उसके शरीर पर उस दिन लगी चोटों के निशान अब भी है। किसी भी बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। जूरी ने एक दिन के विचार-विमर्श के बाद शीतल को प्रथम डिग्री प्रताड़ना और बच्चे के कल्याण को खतरे में डालने का कल दोषी ठहराया। इस मामले में सजा सितंबर में सुनाई जाएगी। शीतल को 25 साल कारावास तक की सजा हो सकती है। पीड़िता के पिता राजेश रनोत के खिलाफ भी द्वितीय एवं तृतीय डिग्री प्रताड़ना, प्रथम डिग्री अवैध कैद और एक बच्चे के कल्याण को खतरे में डालने के मामले में आरोपी बनाया गया है और उसके खिलाफ बाद में सुनवाई होगी।
एजेंसी