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ओबामा ने दुनिया की सबसे बड़ी संरक्षित जगह बनाई

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने धरती पर सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र विकसित किया है। ओबामा की पहल पर उनके पुश्तैनी इलाके हवाई में नेशनल मरीन मोन्युमेंट का क्षेत्र विस्तार किया गया है। पहले से मौजूद जैव विविधता वाले समुद्री क्षेत्र में पांच लाख वर्ग मील इलाका और जोड़ा गया है। उत्तर पश्चिमी हवाई द्वीप समूह में समुद्र और भूमि मिलाकर अब इस मरीन नेशनल मोन्युमेंट का क्षेत्रफल 582,578 वर्ग मील हो गया है। इस क्षेत्र को `पापा-हा-नाउ-मोह-कू-आह-के-आह` कहा जाता है।
ओबामा ने दुनिया की सबसे बड़ी संरक्षित जगह बनाई

एक दशक पहले राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसकी स्थापना की थी। लेकिन ओबामा ने यहां के क्षेत्र विस्तार को प्रमुखता दी, क्योंकि अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को अहमियत दी। उन्होंने 1906 के एन्टीक्विटिज एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए फेडरल जमीन और जल क्षेत्र को संरक्षित घोषित किया। कई वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और हवाई के स्थानीय लोग इस जैव-विविधता वाले क्षेत्र के संरक्षण की मांग कर रहे थे।

`वाशिंगटन पोस्ट` के अनुसार, अब इस विस्तारित क्षेत्र में मछली पकड़ने और गहरे समुद्र में खनिजों के खनन की मनाही होगी। हालांकि, भोजन के लिए मछली का शिकार, हवाई की परंपरा के अनुसार इस क्षेत्र के इस्तेमाल और वैज्ञानिक शोध की इजाजत होगी। इस क्षेत्र को लेकर अपने किए गए कार्यों के बारे में ओबामा बुधवार को होनुलूलू में आयोजित एक कांफ्रेंस में बताएंगे। प्रशांत क्षेत्र के नेताओं और विश्व संरक्षण कांग्रेस की कांफ्रेंस हो रही है। अपने दूसरे कार्यकाल में ओबामा ने दो दर्जन राष्ट्रीय स्मारकों का संरक्षण किया है।

हालांकि, इस क्षेत्र के मछुआरों ने संरक्षण को लेकर विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि इससे मछली पकड़ने के सालाना एक सौ मिलियन डॉलर के कारोबार का नुकसान होगा। होनुलूलू के पीओपी फिशिंग एंड मरीन के को-ओनर जिन कुक के अनुसार, हम पूरे समुद्र में जाना चाहते हैं, जिस दिशा में मछली जाती है। उनका कहना है कि नए संरक्षण नियम का मतलब है कि हवाई का 60 फीसद समुद्री क्षेत्र मछआरों के लिए प्रतिबंधित हो जाएगा।

अमेरिका की नेशनल ओशीनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के शोधकर्ता डैनियल वैग्नर के अनुसार, इस क्षेत्र से जमा किए गए हर 50 बॉयोलॉजिकल सैंपल से कई नई प्रजातियों और कई ऐसी प्रजातियों का पता चला है, जो इस इलाके में नहीं पाई जातीं। वैग्नर का कहना है कि वे गहरे समुद्र में खनिज शोध को लेकर चिंतित हैं। इस क्षेत्र में मैंग्नीज, निकेल, जिंक, कोबाल्ट और टाइटेनियम का निक्षेप है। संरक्षित नहीं होने पर यहां खनन हो सकता था। 

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