साल 2015 के लिए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर विदेश विभाग की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक अल्पसंख्यक धार्मिक संगठनों ने सरकार के भेदभाव और सरकारी स्कूलों में हिंदुत्व की शिक्षा देने संबंधी सरकारी अधिकारियों के सुझावों को लेकर चिंता जाहिर की। केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर सरकारी अधिकारियों ने धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए।
इसने कहा है कि धर्म प्रेरित इस तरह की हिंसा के पीड़ित अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं के बारे में पुलिस निष्क्रियता की शिकायत की। रिपोर्ट के मुताबिक हमलावरों ने अक्सर खुली छूट के साथ हरकतें की और कुछ पीड़ितों के मुताबिक पुलिस ने आपराधिक शिकायतें दर्ज करने का प्रतिरोध किया तथा कई मामलों में पीड़ितों को फंसाने की धमकी दी गई।
विदेश विभाग ने कहा कि धार्मिक संगठनों ने हिंदुत्व की शिक्षा स्कूलों में दिए जाने संबंधी कुछ सरकारी अधिकारियों के बयानों के बारे में चिंता जाहिर की। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने अपने सदस्यों के खिलाफ हिंसा या बैर की घटनाओं में पुलिस की निष्क्रियता तथा सरकार द्वारा कुछ कानूनों को असमान रूप से लागू किए जाने की भी शिकायत की। धार्मिक संगठनों ने सरकारी अधिकारियों द्वारा नफरत फैलाने वाले बयान देने की घटनाओं की बात कही। रिपोर्ट के मुताबिक धर्म से प्रेरित हत्याएं, हमले, जबरन धर्म परिवर्तन, दंगे और धार्मिक मान्यताएं बदलने के लिए व्यक्ति के अधिकारों पर पाबंदी लगाने जैसी चीजें देखी गईं। देश में आस्था की पूर्ण स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के बावजूद यह हुआ। यह पहला मौका है जब अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर टिप्पणी की है। (एजेंसी)