इस प्रतिबंध के पीछे की वजह अभी स्पष्ट नहीं हुई है। अमेरिका के सुरक्षा अधिकारियों ने इस पर टिप्पणी नहीं की। रॉयल जॉर्डन एयरलाइंस और सउदी अरब की आधिकारिक समाचार एजेंसी के बयानों से इस प्रतिबंध का खुलासा हुआ।
गृह सुरक्षा विभाग के प्रवक्ता डेविड लापान ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं, अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि इस तरह के प्रतिबंध लगाए जाने पर कई सप्ताह से विचार किया जा रहा था।
रैंड कोर्पोरेशन में विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रायन जेनकिंस ने कहा कि सुरक्षा के तहत उठाए गए इस कदम से यह संकेत मिलता है कि संभावित खतरे की खुफिया सूचना के बाद इसे लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे यात्रिायों की अपर्याप्त जांच और कुछ देशों में हवाईअड्डे या एयरलाइन कर्मचारियों की मिलीभगत से साजिश रचने की चिंता भी हो सकती है।
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि यह प्रतिबंध दस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों से बीच में बिना कहीं रुके सीधे अमेरिका आने वाली उड़ानों पर लागू होगा। इन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों में मिस्र में काहिरा, जॉर्डन में अम्मान, कुवैत में कुवैत सिटी, मोरक्को में कैसाब्लांका, कतर में दोहा, सउदी अरब में रियाद और जेद्दा, तुर्की में इस्तांबुल और संयुक्त अरब अमीरात में अबु धाबी एवं दुबई शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि यह प्रतिबंध अनिश्चितकाल के लिए है।
एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस प्रतिबंध से कुल नौ विमानन कंपनियां प्रभावित होंगी। इस बारे में प्रभावित कंपनियों को बता दिया जाएगा।
गौरतलब है कि यह प्रतिबंध वाशिंगटन में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन की कल होने वाली बैठक से ठीक पहले शुरू होगा। इस बैठक में अरब देशों के कई शीर्ष अधिकारियों के भाग लेने की संभावना है।
रॉयल जॉर्डनियन एयरलाइंस ने कहा कि सेलफोन और चिकित्सा यंत्रा इस प्रतिबंध के दायरे से बाहर हैं। एयरलाइंस ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर लगे प्रतिबंध से न्यूयॉर्क, शिकागो, डेटाइट और मॉन्टियल जाने वाली उसकी उड़ानें प्रभावित होंगी। भाषा