भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) चल रहे विवाद पर अमेरिका ने बड़ा बयान दिया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का कहना है कि चीन ने भारत के क्षेत्र में अतिक्रमण करने का प्रयास किया है। ये विवाद काफी लंबा खिंच गया है और अब भारत को यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि सिर्फ बातचीत और समझौतों का दबाव चीन के आक्रमक रुख को बदलने के लिए काफी नहीं है।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पिछले पांच महीने से सीमा विवाद चल रहा है, जिसका हल निकलता हुआ नजर नहीं आ रहा है। इसकी वजह से दोनों देशों के संबंधों में भी काफी खिंचाव आ गया है। सीमा विवाद को खत्म करने के लिए भारत और चीन के बीच कई उच्च-स्तरीय राजनयिक और सैन्य वार्ता की श्रृंखला चली, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ'ब्रायन ने चीन पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'सीसीपी (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी) का भारतीय सीमा में क्षेत्रीय आक्रमण स्पष्ट है, जहां चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को नियंत्रित करने का प्रयास किया है।'
रॉबर्ट ने कहा कि बीजिंग के महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट 'वन बेल्ट वन रोड' में गरीब कंपनियां चीनी कंपनियों से लगातार और अपारदर्शी कर्ज लेती हैं। इसमें चीनी मजदूर ढांचे का निर्माण करते हैं। इनमें से कई परियोजनाएं अनावश्यक, घटिया तरीके से निर्मित हैं। अब इन देशों की चीनी कर्ज पर निर्भरता उनकी संप्रभुता को मिटा रही है और उनके पास कोई विकल्प नहीं है। उन्हें संयुक्त राष्ट्र में चीन की पार्टी लाइन पर चलते हुए वोट करना पड़ता है। यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि वार्ता और समझौते चीन को बदलने के लिए राजी या मजबूर नहीं कर सकते हैं।'
रक्षा सलाहकार ने कहा कि अमेरिका को चीन के खिलाफ खड़ा होना होगा और अमेरिकी लोगों की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा, 'हमें अमेरिकी समृद्धि और शांतिपूर्ण आचरण को ताकत के साथ बढ़ावा देना चाहिए और दुनिया पर अमेरिकी प्रभाव और बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि यह स्वीकार किया जाए कि बातचीत या समझौते साम्यवादी चीन के आक्रामक रुख में बदलाव के लिए काफी नहीं हैं। हमें यह मान लेना चाहिए कि विनम्र होने से कोई लाभ नहीं होगा, हम यह लंबे समय से कर रहे हैं।