संयुक्त राज्य अमेरिका ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से बाहर होने का ऐलान कर दिया। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने परिषद पर इजरायल से राजनीतिक पक्षपात करने आरोप लगाया।
अमेरिका लंबे समय से 47 सदस्यीय इस परिषद में सुधार की मांग कर रहा था। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका तीन बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठनों से किनारा कर चुका है। इससे पहले उसने पेरिस क्लाइमेट चेंज फिर ईरान परमाणु समझौते से बाहर होने का ऐलान किया था।
यूएनएचआरसी से अलग होने का ऐलान रक्षा विभाग की ओर से किया गया। चीन, क्यूबा, ईरान और वेनेजुएला जैसे देशों का हवाला देते हुए हेली ने कहा कि परिषद में कई ऐसे सदस्य हैं जो नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकार की इज्जत नहीं करते। हेली ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने परिषद में सुधार की कोशिश की, लेकिन रूस, चीन, क्यूबा और मिस्र जैसे देश इसमें रोड़े अटकाते रहे।
डेढ़ साल बचा था अमेरिका का कार्यकाल
अमेरिका तीन साल के लिए इस 47 सदस्यीय परिषद का सदस्य था। हालांकि, उसका डेढ़ साल का कार्यकाल पूरा हो चुका था। पिछले हफ्ते ही खबर आई थी कि अमेरिका की परिषद में सुधार की मांगों को नहीं माना गया है। इसके बाद माना जा रहा था कि अमेरिका परिषद को छोड़ देगा। यूएन सचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने अमेरिका के फैसले पर अफसोस जताया है।
यूएनएचआरसी के बारे में
इसका उद्देश्य दुनिया में मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर नजर रखना है। इसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जगह 2006 में बनाया गया था। अमेरिका को छोड़कर 46 देश इसके सदस्य हैं। भारत अभी इसका सदस्य नहीं है, लेकिन चार बार (2006-07, 2007-10, 2011-14 और 2013-17 में) सदस्य रहा है। 2013 में चीन, रूस, सऊदी अरब, अल्जीरिया और वियतनाम को इसमें शामिल किए जाने पर मानवाधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की थी।
(पीटीआई से इनपुट)
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    