अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन से ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अधिकार सीमित करने का 'वॉर पावर्स' प्रस्ताव पारित हो गया है। डेमोक्रेटिक सांसदों के बहुमत वाले निचले सदन में प्रस्ताव के पक्ष में 194 वोट पड़े। अब इस प्रस्ताव को कांग्रेस के ऊपरी सदन सीनेट में पेश किया जाएगा, जहां इसके भाग्य का फैसला होना है। यदि सीनेट से भी प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इसके प्रभाव में आने के लिए ट्रंप के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हालांकि रिपब्लिकन सांसदों की मेजॉरिटी वाले सीनेट में प्रस्ताव का पारित होना थोड़ा कठिन है।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर और डेमोक्रेट सांसद नैंसी पेलोसी की अध्यक्षता में 'वॉर पावर्स' प्रस्ताव पर वोटिंग हुई। इस दौरान प्रस्ताव के पक्ष में 194 वोट पड़े। सदन में इस प्रस्ताव को कांग्रेस नेता एलिसा स्लॉटकिन ने पेश किया। एलिसा इससे पहले सीआईए एनालिस्ट एक्सपर्ट के रूप में काम कर चुकी हैं और रक्षा विभाग के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में कार्यवाहक असिसटेंट सचिव के रूप में भी सेवा दे चुकी हैं।
नैंसी पेलोसी ने क्या कहा था?
इससे पहले अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा था कि ईरान से युद्ध छेड़ने से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रोकने के लिए आज अमेरिकी संसद वोटिंग करेगा। उन्होंने कहा कि उन हमलों को अंजाम देने का फैसला किया गया जो नाटकीय रूप से ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनाव को बढ़ा दिया और यह कांग्रेस के परामर्श के बिना लिया गया फैसला था।
दरअसल, अमेरिकी संसद में ईरान से युद्ध के मसले पर वोटिंग ऐसे समय में हो रही है, जब दोनों देशों के बीच तनाव काफी गहरा गया है। गौरतलब है कि ईरान के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी के अमेरिकी ड्रोन अटैक में मारे जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। हालांकि बुधवार को ट्रंप की ईरान के साथ शांति की पेशकश के बाद फिलहाल किसी तरह के युद्ध की आशंका भले ही समाप्त हो गई हो मगर ट्रंप और यूएस कांग्रेस के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है।
अमेरिकी सांसदों ने की थी आलोचना
ट्रंप ने संसद को जानकारी दिए बिना ही इराक में ईरान के कमांडर जनरल सुलेमानी पर ड्रोन हमले की इजाजत दे दी थी। अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के इस कदम की आलोचना की थी। नैंसी पेलोसी ने यूएस सांसदों को पत्र लिखकर राष्ट्रपति की सैन्य कार्रवाई को सीमित करने का प्रस्ताव रखा था। इस पर ट्रंप ने कहा था कि सुलेमानी के मारे जाने का विरोध वही लोग कर रहे हैं जो राष्ट्रपति चुनाव जीतना चाहते हैं।
ईरान ने भी किया था पलटवार
मंगलवार सुबह ईरान ने इराक के अल-असद और इरबिल स्थित दो अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर 22 मिसाइलें दागी थीं। ईरान ने इसे सुलेमानी की मौत का बदला बताया था। दूसरी तरफ, अमेरिका ने दावा किया था कि इस हमले में किसी भी अमेरिकी की जान नहीं गई और सैन्य ठिकानों में भी कम नुकसान हुआ। राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐलान किया था कि वह ईरान को कभी परमाणु शक्ति नहीं बनने देंगे और युद्ध के बजाय दूसरे आर्थिक प्रतिबंध बढ़ाकर ईरान को सबक सिखाएंगे।