अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कथित तौर पर भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के आमंत्रण को स्वीकार नहीं किया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेट्री सारा सैंडर्स ने अगस्त में कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप को भारत का आमंत्रण मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सारा ने संवाददाताओं से कहा, 'मुझे पता है कि निमंत्रण मिला है लेकिन इस पर कोई अंतिम निर्णय हुआ है यह जानकारी नहीं है।‘ हालांकि विदेश मंत्रालय ने कोई बयान जारी नहीं किया है। दूसरी तरफ दिल्ली में अमेरिका के दूतावास का कहना है कि राष्ट्रपति के आवागमन को लेकर सिर्फ व्हाइट हाउस ही कुछ कह सकता है।
क्या 'स्टेट ऑफ द यूनियन एड्रेस' है वजह?
पिछले कुछ दिनों से अमेरिकी अधिकारी इस बात का संकेत दे रहे थे कि राष्ट्रपति ट्रंप जनवरी में भारत नहीं आएंगे क्योंकि सर्दियों में स्टेट ऑफ द यूनियन एड्रेस भी प्रस्तावित है। हालांकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा दो भारत आए थे और गणतंत्र दिवस समारोह में भी शामिल हुए थे, जबकि उस समय जनवरी में स्टेट ऑफ द यूनियन एड्रेस प्रस्तावित था।
ईरान को लेकर दोनों देशों में असहमति
ट्रंप द्वारा भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के न्योते को ठुकराने की खबरें ऐसे समय में आई हैं, जब दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर असहमति की स्थिति बनी है। खासकर अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद वहां से भारत के तेल लेने के फैसले पर ट्रंप प्रशासन ने नाराजगी जताई थी।
पिछले दिनों ही अमेरिका ने कहा था कि वह भारत के ईरान से 4 नवंबर के बाद तेल आयात जारी रखने और रूस से हवाई रक्षा प्रणाली एस-400 खरीदना के फैसले का "बहुत ही सावधानीपूर्वक" समीक्षा कर रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा था कि ये भारत के लिए "फायदेमंद नहीं" रहेगा। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा था कि यह भारत के लिए फायदमेंद नहीं होगा। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा, "ईरान से तेल आयात करना जारी रखने वालों पर चार नंवबर से प्रतिबंध प्रभावी होंगे। हम प्रतिबंधों को लेकर दुनिया भर के ईरान के कई भागीदारों और सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।"