यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को वापस लेने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएन सिक्योरिटी काउंसिल) में रखे गए प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वीटो का इस्तेमाल किया है। देश ने पिछले छह वर्षों में पहली बार अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग किया है।
ट्रंप ने 6 दिसंबर को अपनी घोषणा में कहा था कि वह यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देंगे और अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से हटाकर यरुशलम में स्थापित करेंगे। उनकी घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और इसकी कड़ी आलोचना की जा रही है।
15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में अमेरिका के बेहद करीबी सहयोगियों ने भी इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया था। उन्होंने चेताया कि यरुशलम के संबंध में ट्रंप की घोषणा दुनिया के सबसे जटिल तनाव को सुलझाने के प्रयासों को कमजोर करेगी।
ट्रंप प्रशासन ने पहली बार वीटो का प्रयोग किया है। अमेरिका ने पिछले छह वर्ष में पहली बार वीटो इस्तेमाल किया है।
वीटो का बचाव करते हुए संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा, ‘‘वास्तविकता यह है कि इस वीटो का प्रयोग अमेरिकी की सम्प्रभुता की रक्षा और पश्चिम एशिया की शांति प्रक्रिया में अमेरिका की भूमिका के बचाव के लिए किया गया है और यह हमारे लिए शर्मिंदगी की बात नहीं है; यह सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों के लिए शर्मिंदगी का कारण होना चाहिए।’’
मसौदा प्रस्ताव पर हेली ने कहा, ‘‘आज सुरक्षा परिषद में जो हुआ वह अपमानजनक है। इजराइल-फलस्तीन मामले में संयुक्त राष्ट्र फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है, इसका एक बड़ा उदाहरण यह प्रस्ताव है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका को कोई देश यह नहीं बता सकता है कि वह अपना दूतावास कहां स्थापित करे। अपना दूतावास कहां स्थापित करना है, सिर्फ इस फैसले पर अमेरिका को अपनी सम्प्रभुता की रक्षा करने के लिए आज विवश होना पड़ा है। रिकॉर्ड दिखाएगा कि हमने यह गर्व के साथ किया है।’’
यरुशलम में अमेरिकी दूतावास की स्थापना और शहर को इजराइल की राजधानी घोषित करने के ट्रंप के फैसले को वापस लेने संबंधी प्रस्ताव का अमेरिका के करीबी सहयोगियों ब्रिटेन, फ्रांस और जापान ने समर्थन किया है।