दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में वामपंथी राजनीति के कुछ पुराने गढ़ों में से एक देश वेनेजुएला में उथल-पुथल मची हुई है। रविवार को वेनेजुएला के लोगों ने तमाम विरोध प्रदर्शन के बीच नई संविधान सभा के लिए वोट डाले। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने नए संविधान और नई संविधान सभा बनाने के लिए यह चुनाव करवाए। आरोप लग रहे हैं कि इस चुनाव में सरकार की तरफ से धांधली की गई है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने इस चुनाव को अवैध करार दिया है। वेनेजुएला में इस चुनाव के खिलाफ पिछले चार महीनों के दौरान हुए विरोध-प्रदर्शनों पर हुई कार्रवाई में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने इस संदर्भ में पहले ही नए प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। लोग मादुरो सरकार की नीतियों से पहले से ही काफी नाराज चल रहे हैं।
पीटीआई के मुताबिक, अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को तानाशाह बताते हुए उन पर प्रतिबंधों की घोषणा की है। अमेरिका ने वेनेजुएला में विपक्षी नेताओं पर खतरे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा हालिया चुनावों को अवैध घोषित करने के संदर्भ में प्रतिबंधों की घोषणा की है।
प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्टीवन ने कहा, 'रविवार के अवैध चुनावों से इस बात की पुष्टि हुई है कि मादुरो एक तानाशाह हैं, जो वेनेजुएला के लोगों की इच्छाओं की उपेक्षा करते हैं। मादुरो पर प्रतिबंध लगाकर अमेरिका ने साफ किया है कि हम उनके शासन की नीतियों के खिलाफ हैं और वेनेजुएला के लोगों का समर्थन करते हैं जो अपने देश में एक पूर्ण और समृद्ध लोकतंत्र वापस चाहते हैं।'
वाइट हाउस की न्यूज कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने मादुरो सरकार को वेनेजुएला के संविधान और संवैधानिक नेशनल असेंबली के अधिकारों का सम्मान करने को कहा था। उन्होंने कहा कि मादुरो सरकार को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने, राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और वेनेजुएला के लोगों के सम्मान करने को कहा गया, जिसे अनसुना किया गया।
बता दें कि चुनाव के बाद पहले से नजरबंद विपक्ष के दो नेताओं लियोपोल्दो लोपेज और अंतोनियो लेदिज्मा को जेल में डाल दिया गया। अमेरिका ने इस कदम की निंदा की और सरकार से उन्हें रिहा करने को कहा था। इसके बाद से विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए हैं। सुरक्षा बलों और लोगों के बीच हिंसक झड़प हो रही हैं।
चुनाव में धांधली का आरोप
वेनेजुएला के अधिकारियों ने बताया था कि देश में 40 फीसदी से ज्यादा वोट पड़े। वेनेजुएला में वोटिंग टेक्नोलॉजी मुहैया कराने वाली ब्रिटिश कंपनी स्मार्टमैटिक का कहना था कि चुनावों में असल भागीदारी और सरकार द्वारा घोषित आंकड़ों में करीब 10 लाख का अंतर है। इससे मादुरो पर चुनाव में हेर-फेर करवाने का आरोप है। मादुरो ने चुनाव में किसी भी तरह की धांधली के आरोपों को खारिज किया। अब मादुरो नए संविधान को लेकर अड़े हुए हैं। नई संविधान सभा की पहली बैठक पहले गुरूवार को होनी थी लेकिन अब उसे शुक्रवार को कर दिया गया है। इस संविधान सभा में 545 सदस्य हैं। इसमें मादुरो की पत्नी और बेटा भी शामिल हैं।
विपक्ष का आरोप, इस कदम से मादुरो खुद को मजबूत कर रहे हैं
विपक्ष का आरोप है कि संविधान सभा के सदस्यों में ज्यादातर सरकार समर्थक हैं। फिलहाल नेशनल असेंबली में विपक्ष का पलड़ा भारी है लेकिन नई संविधान सभा से मादुरो सरकार मजबूत हो जाएगी। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति खुद को मजबूत करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। मादुरो का तर्क है कि खराब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और शांति बनाने के लिए ये बदलाव जरूरी हैं।
यह संविधान पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के समय 1999 में बनाया गया था। वेनेजुएला के संविधान का अनुच्छेद 347 कहता है कि संवैधानिक शक्तियां लोगों के पास होंगी। मादुरो ने कहा कि चूंकि वे जनता द्वारा चुने गए हैं इसलिए फिर से संवैधानिक सभा बना सकते हैं। विपक्ष का कहना है कि उन्हें पहले जनमत संग्रह करवाना चाहिए था कि लोग इसके लिए सहमत हैं या नहीं। गत 1 मई को मादुरो ने सरकार विरोधी आंदोलनों के बीच नई संविधान सभा बुलाने की घोषणा की। इन विरोध प्रदर्शनों में 30 के आस-पास लोग मारे गए थे।
बीबीसी के मुताबिक, विपक्ष ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ, 16 जुलाई को अनाधिकारिक जनमत संग्रह रखा, जिसमें बहुत से लोगों ने भाग लिया। विपक्ष का दावा था कि 70 लाख से ज्यादा लोगों ने नई संविधान सभा को खारिज किया है। विपक्ष का कहना था कि 1999 में संविधान सभा बनाने से पहले ह्यूगो शावेज ने जनमत संग्रह करवाया था।
मादुरो गुट में भी है फूट
ह्यूगो शावेज के समर्थक, जिन्हें शाविस्ता कहा जाता है (मादुरो खुद जिसका हिस्सा हैं) वे भी संवैधानिक सभा को लेकर एकमत नहीं हैं। वे पुराने संविधान में बदलाव नहीं चाहते।
कौन हैं निकोलस मादुरो?
एक समय बस ड्राइवर रहे और बाद में यूनियन लीडर बने मादुरो 2000 में नेशनल असेंबली में पहुंचे थे। मादुरो यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के वामपंथी नेता और वर्तमान वेनेजुएला के राष्ट्रपति हैं। इनसे पहले वामपंथी नेता ह्यूगो शावेज की सरकार में 2006 से 2013 तक विदेश मंत्री और 2012-13 में उप-राष्ट्रपति रहे। उन्हें शावेज का खास माना जाता था। 2011 मेें ही शावेज ने कहा था कि मेरे बाद मादुरो मेरी गद्दी संभालेंगे। 5 मई 2013 को शावेज की कैंसर की वजह से मौत के बाद 14 अप्रैल 2013 को चुनाव हुए, जिसमें निकोलस मादुरो को वेनेजुएला का राष्ट्रपति चुना गया। 19 अप्रैल 2013 को उन्होंने कार्यभार संभाला।
क्यों नाराज हैं लोग मादुरो से?
लोग मादुरो की नीतियों और तंगहाल अर्थव्यवस्था से परेशान हैं। मार्च से वेनेजुएला की मुद्रास्फीति की दर 220 प्रतिशत को पार कर चुकी है। 2016 खत्म होने तक वहां की मुद्रा का मूल्य डॉलर के मुकाबले बहुत कम हो गया था। यहां की सबसे बड़ी मुद्रा 100 बोलिवार की कीमत 0.04 डॉलर के बराबर हो गई थी। लोगों को रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए बोरियों में पैसे ले जाने पड़ रहे थे।
2016 में 80 फीसदी खाने-पीने की चीजों की कमी रही। भुखमरी जैसे हालात रहे। लोग दुकानों के सामने 30 घंटों से भी ज्यादा खड़े रहते थे। राष्ट्रपति मादुरो इसका दोष अमेरिका के सट्टा बाजार पर डालते हैं।
अस्पतालों की हालत खराब है। मलेरिया, डेंगू से लोग मर रहे हैं। बिजली की कमी है। अपराध बढ़े हैं। तेल का अकूत भंडार होने के बावजूद 2014 में तेल की कीमतों में आई 50 फीसदी कर की कमी के चलते अर्थव्यवस्था की हालत नाजुक है।
ह्यूगो शावेज के समय स्थितियां ठीक थीं लेकिन तेल के मामले में उनकी नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान होना शुरू हो गया था। तेल का उत्पादन कम था लेकिन शावेज इस पर खर्च करते गए। 2013 में उनकी मौत हुई और उनके उत्तराधिकारी निकोलस मादुरो ने भी नीतियों में ज्यादा सुधार नहीं किए। 19 अप्रैल 2017 में मादुरो ने सत्ता में चार साल पूरे कर लिए हैं और अभी दो साल और बाकी हैं। विपक्ष उन्हें सत्ता से हटाना चाहता है। सितंबर 2016 में भी उनकी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद विपक्ष ने अप्रैल में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था।