यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के अनुसंधानकर्ताओं ने एक अंतरराष्ट्रीय दल के साथ मिलकर यह अणु विकसित किया है और इससे ज्यादा सुरक्षित एवं ज्यादा सटीक इलाज मिल सकता है।
एबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर मालेक्यूलर बायोसाइंस के मैट कूपर के हवाले से कहा कि एमसीसी950 के नाम से जाना जाने वाला यह अणु इम्यून कोशिकाओं में जलन एवं सूजन रोकने में मदद कर सकता है। कूपर ने कहा, यह पहले उन अणुओं में से है जिन्हें हमने अब तक देखा है जो इन्फ्लेमासोज नाम के कप्लेक्स पर हमला कर सकता है - और जो हम सभी के इम्यून कोशिका में है। यह संक्रमण पर हमारी प्रतिक्रिया का प्रमुख हिस्सा है। उन्होंने कहा, लेकिन जब यह गड़बड़ा जाता है तो यह इन कोशिकाओं को सक्रिय कर देता है। तब लोग बेहद उत्तेजित हो जाते हें और रोग प्रतिरोधी प्रणाली बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाती है। उन्होंने बताया कि इसका परीक्षण जानवरों और अमेरिका में मकल-वेल्स सिंड्रोम से पीडि़त रोगियों से लिए गए खून के नमूनों पर किया गया है। कूपर ने बताया कि नया अणु खाया जा सकता है और यह मौजूदा प्रोटीन आधारित इलाजों के मुकाबले सस्ता होगा। यह अणु बहुत छोटा है और आंत से सीधे रक्त में तेजी से प्रेवश कर सकता है।