दलाई लामा के मसले पर चीन ने भारत को फिर से आंखें दिखाई हैं। उसने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में फैसला चीन में ही लिया जाएगा। इस मसले पर भारत के किसी भी दखल से द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा।
चीन में प्राचीन परंपरा के अनुसार होगा फैसला
इस संवेदनशील मसले पर चीन के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने पहली बार स्पष्ट रूप से कहा है कि दलाई लामा के पुनर्जन्म के बारे में मंजूरी चीन की सरकार द्वारा दी जाएगी। इसका चयन 200 पुरानी ऐतिहासिक परंपरा के आधार पर चीन के भीतर ही किया जाना चाहिए। उप मंत्री के स्तर के एक अधिकारी वांग नेंग शेंग ने ल्हासा में भारतीय पत्रकारों के एक समूह को बताया कि दलाई लामा का पुनर्जन्म ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक मसला है। इसके लिए स्थापित ऐतिहासिक संस्थाएं और औपचारिकताएं हैं।
दलाई लामा के खराब स्वास्थ्य से मुद्दा गरम
दलाई लामा अब 84 वर्ष के हैं और उनके उत्तराधिकारी के बारे में मुद्दा पिछले कुछ वर्षों में अत्यंत अहम हो गया है क्योंकि उनका स्वास्थ्य खराब रहता है। दलाई लाला के पुनर्जन्म के बारे में फैसला उनकी व्यक्ति इच्छा या दूसरे देशों में रह रहे कुछ लोगों के समूहों के द्वारा नहीं किया जाता है।
भारत ने दखल दिया तो संबंधों पर असर पड़ेगा
तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की सरकार में डायरेक्टर जनरल वांग ने कहा कि मौजूदा दलाई लामा को बीजिंग ने मान्यता दी है। उनके उत्तराधिकारी का फैसला चीन में स्वर्ण पात्र प्रक्रिया में ड्रॉ के जरिये किया जाना चाहिए। वांग के विचारों का समर्थन करते हुए बीजिंग स्थित प्रभावशाली सरकारी थिंक टैंक चायना तिब्बतोलॉजी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर जा लुओ ने कहा कि अगर भारत ने चीन द्वारा चुने जाने वाले अगले दलाई लामा को मान्यता देने से इन्कार किया तो इससे दोनों देशों के बीच संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा।
भारत में दलाई लामा का इतिहास
तिब्बत में 1959 के दौरान स्थानीय तिब्बती लोगों द्वारा आंदोलन किए जाने पर मौजूदा और 14वें दलाई लाला भागकर भारत आ गए थे। भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दे दी। तब से तिब्बत की निर्वासित सरकार हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित है।
चीन के लिए पुनर्जन्म का मुद्दा महत्वपूर्ण
जा लुओ की टीम तिब्बत के बारे में नीतिगत मसलों पर केंद्रीय सरकार को सलाह देती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद का यह प्रमुख राजनीतिक मुद्दा है। इससे द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा। कोई भी समझदार राजनेता ऐसा नहीं चाहेगा। दलाई लामा के पुनर्जन्म का मुद्दा चीन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में उसका कोई मित्र देश इस मुद्दे पर दखल नहीं देगा।
इस मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट और स्थिर
इसके विपरीत भारत का रुख दलाई लामा के मसले पर स्थिर रहा है। पिछले साल मार्च में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि दलाई लामा के बारे में भारत का रुख स्पष्ट और अडिग रहा है। वह पूजनीय धार्मिक नेता हैं और भारत में लोगों के दिल में उनके लिए सम्मान है। हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्हें भारत में धार्मिक गतिविधियां संचालित करने की पूरी स्वतंत्रता है।