बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री एवं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) अध्यक्ष खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी करने के उच्च न्यायालय के फैसले को सोमवार को बरकरार रखा। इस मामले में एक निचली अदालत ने उन्हें सात साल जेल की सजा सुनायी थी।
जिया (79) को 2018 में जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में ढाका की एक अदालत ने दोषी करार दिया था। अदालत ने उन्हें सात साल की कैद की सजा सुनाई थी और उन पर 10 लाख टका (बांग्लादेशी मुद्रा) जुर्माना भी लगाया था।
सरकार और एसीसी ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। समाचार एजेंसी के अनुसार यह मामला सुनवाई के लिए अपीलीय प्रभाग की नियमित पीठ के पास आया और उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अपना आदेश पारित कर दिया।
भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने 2011 में तेजगांव थाने में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कराया था, जिसमें जिया और तीन अन्य पर अज्ञात स्रोतों से ट्रस्ट के वास्ते धन जुटाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था।
‘द डेली स्टार’ अखबार ने बीएनपी अध्यक्ष के वकील मकसूद उल्लाह के हवाले से बताया कि जिया अब जिया अनाथालय ट्रस्ट और जिया चैरिटेबल ट्रस्ट दोनों मामलों में बरी हो गई हैं, जिनमें उन्हें पहले दोषी ठहराया गया था और सजा सुनाई गई थी। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) अध्यक्ष को जिया अनाथालय ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में ढाका अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद 8 फरवरी, 2018 को ओल्ड ढाका सेंट्रल जेल में रखा गया था।
कोविड-19 प्रकोप के दौरान, शेख हसीना के नेतृत्व वाली तत्कालीन अवामी लीग सरकार ने जिया को एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से 776 दिनों के बाद अस्थायी रूप से जेल से रिहा कर दिया, 25 मार्च, 2020 को उनकी सजा को निलंबित कर दिया, इस शर्त के साथ कि वह अपने घर में रहेंगी और देश नहीं छोड़ेंगी।
पिछले साल 6 अगस्त को, हसीना के सत्ता से हटने के बाद, जिया को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के आदेश से रिहा कर दिया गया था।
जिया मार्च 1991 से मार्च 1996 तक तथा दोबारा जून 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। वह फिलहाल इलाज के लिए लंदन में हैं।