19 अप्रैल 2025 को अफगानिस्तान में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.8 मापी गई। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान के बीच में धरती से 86 किलोमीटर नीचे था। यह भूकंप भारतीय समय के अनुसार 12:17 बजे आया। इसके झटके जम्मू-कश्मीर और दिल्ली एनसीआर के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस भूकंप से जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
अफ़गानिस्तान भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है, जहाँ भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से नियमित रूप से भूकंप आते हैं। देश के उत्तर-पूर्व में फैली हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला भूकंपों का केंद्र रही है। यूएसजीएस डेटा के अनुसार, अफगानिस्तान में हर साल औसतन 807 भूकंप आते हैं, जिनमें से 281 की तीव्रता 4 या उससे ज़्यादा होती है। पिछले 25 वर्षों के दौरान देश में 7 या उससे ज़्यादा तीव्रता के भूकंप 24 बार दर्ज किए गए हैं। यह हर 5 से 10 साल में एक बड़े भूकंप की संभावना की ओर संकेत करता है।
अफगानिस्तान में भूकंप का इतिहास
अफगानिस्तान में भूकंप का इतिहास काफी डरावना है। 1921 में फैजाबाद के पास 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। यह ऐतिहासिक रूप से सबसे विनाशकारी साबित हुआ। इसके बाद 1998 में तखर में 5.9 तीव्रता के भूकंप ने 2,300 लोगों की जान चली गई थी। 2002 में हिंदू कुश क्षेत्र में 6.1 और 7.4 तीव्रता के दो भूकंपों ने 1,100 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली थी। 2015 में तालोकान के पास 7.5 तीव्रता का भूकंप आया। इसके चपेट में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में 399 लोग आ गए थे। वहीं अक्टूबर 2023 में हेरात प्रांत में 6.3 तीव्रता के चार भूकंपों ने 2,400 से ज्यादा लोगों की जान ले ली और हज़ारों लोग बेघर हो गए।
आपदा प्रबंधन प्रणालियों में निवेश की जरूरत
आज का भूकंप, हालांकि तीव्रता में मध्यम है, अफगानिस्तान की भूकंपीय संवेदनशीलता को रेखांकित करता है। देश की अधिकांश इमारतें मिट्टी की ईंटों या मिट्टी से बनी हैं, जो उन्हें भूकंप के झटकों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती हैं। इसके अलावा, दशकों के युद्ध, आर्थिक संकट और मानवीय संकटों ने देश की आपदा प्रबंधन क्षमता को कमजोर कर दिया है। 2023 के भूकंपों के बाद, संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों ने पुनर्वास के लिए 400 मिलियन डॉलर की आवश्यकता का अनुमान लगाया, लेकिन धन की कमी ने राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न की है। मौजूदा भूकंप ने एक बार फिर स्थानीय समुदायों में दहशत पैदा कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान को भूकंपरोधी निर्माण और आपदा प्रबंधन प्रणालियों में निवेश की सख़्त ज़रूरत है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता मांगी जा रही है ताकि देश भविष्य में आने वाली आपदाओं से निपटने में सक्षम हो सके।