पीएम मोदी के साथ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीनों में यह शुभ संकेत सामने आने लगा है कि आज भारत से जो भी बात करता है वह बराबरी से बात करता है। ब्रितानी प्रधानमंत्री की उपस्थिति में पीएम ने कहा कि दुनिया को भारत ने अपनी ताकत का एहसास करा दिया है। भारत दुनिया से महरबानी नहीं चाहता। भारत दुनिया से बराबरी चाहता है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया का हर देश भारत से जुड़ना चाहता है लेकिन अब वह विन विन के फार्मूले के साथ जुड़ना चाहता है। भारत ने जो गति और दिशा पकड़ी है, भारत और दुनिया के लोग बहुत जल्दी उसके फल को भी देखना शुरू कर देंगे।
पीएम मोदी ने 12 साल पहले गुजरात के मुख्यमंत्री तौर पर ब्रिटेन आने का जिक्र करते हुए कहा ककि तब वह एक मुख्यमंत्री के रूप में यहां आए थे और आज प्रधानमंत्री के रूप में नई जिम्मेदारी के साथ आए हैं। मोदी ने कहा कि देशवासियों ने जो नई जिम्मेदारी सौंपी है, उसे पूरा करने के लिए मैं भरपूर कोशिश कर रहा हूं और मैं देशवासियों को यह विश्वास दिलाता हूं कि जो सपने आपने और हिंदुस्तानी देखे हैं उसे पूरा करने का जज्बा भारत में है। भारत में गरीबी के बारे में उन्होंने कहा, पिछले 18 महीने के अपने अनुभवों से मैं कह सकता हूं कि भारत को अब गरीबी में रहने का कोई कारण नहीं है। हमने बिना कारण गरीबी को पाल रखा है। आदतन हमें गरीबी को पुचकारने में मजा आने लग गया है। उन्होंने कहा कि सवा सौ करोड़ आबादी वाले जिस देश में 80 करोड़ लोग 35 साल से कम उम्र के हों, यानी जो देश जवानी से लबालब भरा हो, वह देश अब पीछे नहीं रह सकता है, वह विकास की इस यात्रा में रूक नहीं सकता।
देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर आलोचलाओं का सामना कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के महत्व को भी रेखांकित करते हुए कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है। उन्होंने कहा, विविधता हमारी आन, बान, शान है जो हमारी ताकत और गौरव है। वेम्बले स्टेडियम में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन और गुजरात के मुस्लिम समुदाय समेत करीब 50 हजार की संख्या में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की धरती पर रहीम और कबीर की बातें हम सबको प्रेरणा देती हैं। सूफी परंपरा अगर बलवान हुई होती और इस्लाम में ही सूफी परंपरा का प्रभाव बढ़ा होता और जिसने भी सूफी परंपरा को समझा होता तो वह हाथ में बंदूक लेने का विचार नहीं करता। महात्मा गांधी के अहिंसा के संदेश में भी यह प्रेरणा और ताकत है। अपने संबोधन में भारत में विविधता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां सौ भाषाएं, 1500 बोलियों और हजारों खानपान की पद्धतियां और सैकड़ों वेशभूषाएं हैं। इतनी सारी विविधताएं हैं लेकिन यह विविधता हमारी विशेषता भी है, और हमारी आन, बान, शान भी है और हमारी शक्ति भी है। मोदी ने कहा कि यह भारतीय समुदाय ने सिखाया है कि विविधताओं के बीच भी सबसे साथ मिलकर जिया जाता है। अपनी परंपराओं को बचाते हुए, दूसरों को बिना खरोंच पहुंचाते हुए कैसे घुलमिलकर रहा जा सकता है इसी से हिन्दुस्तान की सही पहचान बनती है।
ब्रिटिश मीडिया के एक वर्ग द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतीत को लेकर की जा रही आलोचनाओं का परोक्ष जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि किसी देश का मूल्यांकन करने के लिए समाचारपत्रों और टीवी की हेडलाइन्स को पैमाना नहीं माना जा सकता है। उन्होने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, भारत केवल वह नहीं है जितना अखबारों में दिखता है। भारत उससे कहीं बड़ा है। सवा सौ करोड़ की आबादी वाला भारत कहीं बड़ा और बेहतर है जो टीवी की स्क्रीन से कहीं अधिक व्यापक है। उल्लेखनीय है कि मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान ब्रिटिश मीडिया के एक वर्ग ने उनके अतीत के बारे में कही गई बातों और उनके मानवाधिकारों से संबंधित रिकार्ड की खबरों और भारत में कथित असहिष्णुता को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणियां की हैं।
इस अवसर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन ने मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ब्रिटेन में भारतीयों का बड़ा योगदान है। भारतीय समुदाय के लोग आज जिस तरह ब्रिटेन में सांसद और मंत्री बन रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब एक भारतीय ब्रिटिश, ब्रिटेन का प्रधानमंत्री होगा। मोदी के अच्छे दिन के नारे का जिक्र करते हुए कैमरुन ने कहा कि किसी को भरोसा नहीं था कि एक चायवाला विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री हो सकता है। लेकिन उन्होंने ऐसा करके दिखाया। उनकी, अच्छे दिन आने वाले हैं की जो दृष्टि है, उस पर मुझे पूरा विश्वास है कि अच्छे दिन जरूर आएंगे। प्रधानमंत्री कैमरुन ने मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, जब संयुक्त राष्ट्र की बात आती है तब आप जानते हैं क्या होने की जरूरत है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्य बनने की। आतंकवाद के मुद्दे पर प्रधानमंत्री कैमरुन ने कहा कि यह दोनों देशों के अस्तित्व के समक्ष खतरा है और वे इससे निपटने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। उन्होंने इस संदर्भ में मुम्बई और लंदन आतंकी हमलों की याद दिलाई।