उज्बेकिस्तान सहित मध्य एशिया के पांच देशों तथा रूस की यात्रा पर गए मोदी ने यहां भारतीय छात्रों और भारतीय समुदाय को संबोधित करने के बाद एक ट्वीट में कहा, ‘उज्बेकिस्तान में भारतीय फिल्में, भाषा और संगीत अत्यधिक लोकप्रिय है। इसकी बानगी यह है कि वर्ष 2012 में उज्बेक रेडियो ने अपने प्रसारण के 50 साल पूरे किए हैं।’
उल्लेखनीय है कि उज्बेकिस्तान दौरे के जिस अंतिम औपचारिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने हिस्सा लिया वहां उज्बेक कलाकारों की ओर से भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक पेश किया गया और साथ ही मशहूर गीत – ‘आज है दो अक्टूबर का दिन, आज का दिन बड़ा महान। आज के दिन दो फूल खिले, जिनसे महका हिंदुस्तान’ गाया। साथ ही एक का नारा अमन शांति और एक का नारा जय जवान, जय किसान भी गाया गया। यह गीत महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन दो अक्टूबर को अभी भी वहां खूब प्रसारित होता है।
इस कार्यक्रम के बाद मोदी ताशकंद स्थित शास्त्री स्ट्रीट गए जहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने रूस और मध्य एशियाई देशों और भारत में प्रचलित कुछ समान शब्दों का उल्लेख किया। उन्होंने रूस के अस्तराखान की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर मैं वहां टी बोलता और समझ नहीं आता था तो मैं चाय बोलता था और समझ आ जाता था। डोर बोलूं तो समझ में न आए, लेकिन दरवाजा बोलूं तो समझ जाते। देखिए किस प्रकार से भाषा सबको समाहित कर लेती है।
मोदी ने कहा कि आपके यहां (उज्बेकिस्तान) भी तरबूज कहते हैं और इस फल को हमारे यहां भी तरबूज कहा जाता है। आपके यहां तंबूर बजाया जाता है, हमारे यहां तानपुरा बजाया जाता है। आपके यहां नक्कारे बजाए जाते हैं, हमारे यहां नगाड़ा बजाया जाता है।