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इंदिरा हत्या: इस सिख नेता पर मामला नहीं चला पाईं थीं थैचर

ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ब्रिटेन में रहने वाले उस सिख अलगाववादी नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना चाहती थीं जिस पर इंदिरा गांधी की हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। लेकिन राष्ट्रमंडल नागरिकों के बारे में ब्रिटेन के एक कानून के कारण वह उस सिख को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध को पूरा नहीं कर पाईं थीं। गुरुवार को सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेजों में यह बात सामने आई है।
इंदिरा हत्या: इस सिख नेता पर मामला नहीं चला पाईं थीं थैचर

खालिस्तान मूवमेंट का संस्थापक जगजीत सिंह चौहान 1971 में ब्रिटेन आ गया था ताकि वह भारत में सिखों के लिए एक स्वतंत्र राज्य बनाने के बारे में अपना अभियान चला सके। माना जाता है कि भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर, 1984 को हुई हत्या के पीछे उकसाने वाला वही था। उसने इस घटना से कई महीने पहले बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा किए जाने तथा उनके परिवार का सिर काटे जाने की भविष्यवाणी की थी। उसका कहना था कि यह सब स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए चलाए गए आपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए किया जाएगा।

ब्रिटेन के 30 साल पुराने दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के नियम के तहत दक्षिण पश्चिम लंदन में राष्ट्रीय संग्रहालय ने इन दस्तावेजों को सार्वजनिक किया है। इनमें वे दस्तावेज शामिल हैं जिससे पता चलता है कि थैचर सरकार जगजीत सिंह की गतिविधियों पर लगाम लगाने में विफल रही थी।

थैचर के निजी सचिव चार्ल्स पावेल ने ब्रिटेन के गृह विभाग को लिखा था, ‘वह (थैचर) इस बात को नहीं समझ पा रही हैं कि चौहान हिंसा को उकसावा देने के आरोपों से महज यह कहकर कैसे बच सकते हैं कि वह ऐसा नहीं कर रहे हैं...प्रधानमंत्री का यह मत है कि विधि अधिकारियों के पास एक बार फिर दस्तावेजों का अध्ययन करने का मौका है।’ ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा चौहान के ब्रिटेन में बने रहने पर दिखाई गई चिंता पर परोक्ष रूप से सफाई देते हुए उनके मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री सर जेफ्री होव ने कहा था, ‘भारतीयों ने चौहान को भारत विरोधी गतिविधियों के कारण देश से निकालने के बारे में 4 मार्च, 1976 को औपचारिक रूप से अनुरोध किया था...हम इस अनुरोध का पालन नहीं कर सकते क्योंकि यह राष्ट्रमंडल नागरिकों के बारे में ब्रिटिश कानून एवं नीतियों के विरूद्ध है।’ उन्होंने यह भी कहा था, ‘सैद्धांतिक रूप से चौहान को गृह मंत्री के विवेकाधीन निर्णय के आधार पर हटाया या निष्कासित किया जा सकता है...लेकिन यह कदम तभी उठाया जा सकता है जब अन्य कारकों के साथ इस बात के ठोस सबूत हों कि वह बहुत गंभीर आपराधिक गतिविधियों में संलग्न रहा था।’

चौहान को आधिकारिक रूप से चेतावनी दी गई थी कि उसके बयान कानून के दायरे में रहने चाहिए लेकिन ब्रिटिश सरकार कोई ठोस सबूत नहीं होने के कारण कानूनी कार्रवाई करने में विफल रही थी। गुरुवार को सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों में वह दस्तावेज भी शामिल हैं जिसमें थैचर ने व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करते हुए बीबीसी से कहा था कि वह चौहान को प्रसारण के लिए अनियंत्रित समय देने के प्रति सतर्क रहे। थैचर ने नई दिल्ली में इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार से पहले बीबीसी के महानिदेशक स्टुवर्ड यंग को लिखा था, ‘गृह मंत्रालय पहले भी आप का ध्यान उस मंच के बारे में सरकार की चिंता की ओर आकृष्ट कर चुका है, जो बीबीसी ने इस देश में सिख चरमपंथियों के छोटे से अल्पसंख्यक वर्ग को मुहैया कराया था।’ तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री थैचर ने लिखा था, ‘हमें अब अपने उच्चायुक्त से यह विशिष्ट सलाह मिली है कि इससे न केवल भारत के साथ हमारे संबंधों को क्षति पहुंच रही है, बल्कि इससे भारत में ब्रिटिश नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। विशेष तौर पर राजकुमारी एनी एवं अन्य के लिए जो दिल्ली में श्रीमती गांधी की अंत्येष्टि में भाग लेने जा रही हैं।’ यंग ने इसके जवाब में विनम्रता पूर्वक कहा था कि वह श्रीमती गांधी की हत्या के कारण उत्पन्न इस बेहद कठिन एवं नाजुक स्थिति में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह अवगत हैं।

सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों में उस अवधि के दौरान भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त राबर्ट वाडे गैरी द्वारा थैचर के कार्यालय को लिखे गए कई पत्र भी शामिल हैं। इसमें चेतावनी दी गई थी कि जगजीत सिंह चौहान राजीव गांधी के लिए एक खतरा बन रहे हैं।

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