नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने अपने इस्तीफ़े के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से बयान दिया है। हिंसक जेन-जेड आंदोलन के तीन हफ़्ते बाद सामने आए ओली ने प्रदर्शनकारियों पर नहीं बल्कि "घुसपैठियों" पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। ओली ने यह भी कहा कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जांच कमेटी सच सामने लाएगी और वह निर्दोष हैं। भक्तपुर में पार्टी कार्यक्रम में सुरक्षा घेराबंदी के बीच पहुंचे ओली ने कहा, "8 सितंबर की दोपहर जब आप (जेन-जेड प्रदर्शनकारी) एवरेस्ट होटल के पास बैरिकेड तक पहुंचे, तभी कुछ घुसपैठिए भी भीड़ में शामिल हो गए। इन्हीं लोगों ने हालात बिगाड़े, जिससे दर्जनों युवाओं की जान गई। हमने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की थी, कई प्रदर्शनकारी लौट भी गए थे।"
जेन-जेड आंदोलन की पृष्ठभूमि
युवाओं द्वारा शुरू हुआ यह आंदोलन मूल रूप से भ्रष्टाचार विरोधी और सोशल मीडिया बैन हटाने की मांग को लेकर था। लेकिन 8-9 सितंबर को यह नेपाल के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे रक्तरंजित आंदोलन बन गया। पुलिस की कार्रवाई में 74 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज़्यादातर छात्र थे। सिर्फ 8 सितंबर को 21 और अगले दिन 39 लोग मारे गए।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों को सिर और सीने में गोली लगी थी, जबकि नियम के अनुसार पुलिस को केवल घुटने के नीचे गोली चलाने की अनुमति होती है। विपक्ष और ओली की ही सरकार के पूर्व मंत्रियों का आरोप है कि उन्होंने इस्तीफ़ा देने में देर की और इसी वजह से ज्यादा जानें गईं।
इस बीच, लगातार आलोचना और हिंसा बढ़ने पर 9 सितंबर की सुबह ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया। उनके बाद अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को जिम्मेदारी सौंपी गई।
बहरहाल, अपने बयान में ओली ने खुद पर लगे आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्होंने हालात बिगड़ने नहीं दिए बल्कि उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की।उन्होंने कहा, "हमारी नई पीढ़ी राष्ट्रीय झंडे में लिपटकर हिंसा नहीं करती। सरकारी इमारतें जलाना या अदालतों पर हमला करना जेन-जेड की संस्कृति नहीं है।
उन्होंने अंतरिम सरकार पर भी निशाना साधा और विदेशी यात्रा रोकने व पासपोर्ट ब्लॉक करने की कोशिशों को "राजनीतिक बदले" की कार्रवाई बताया।
ओली ने दावा किया कि सोशल मीडिया पर उनकी हत्या की धमकियां दी जा रही हैं और उनके घर का पता सार्वजनिक किया जा रहा है। उन्होंने कहा,"सरकार सुरक्षा देने की जगह मुझे असुरक्षित कर रही है। मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि मैंने किसी को गोली चलाने का आदेश नहीं दिया था।"
बता दें कि नेपाल में संसद भंग हो चुकी है और मार्च 2026 में चुनाव प्रस्तावित हैं। इस बीच ओली का यह पहला सार्वजनिक बयान उनकी राजनीतिक वापसी की कोशिश माना जा रहा है, हालांकि जनता के गुस्से और युवा पीढ़ी के दबाव के बीच उनकी राह आसान नहीं दिखती।