भारत एक बार फिर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित साइबर हमलों और सीमापार गोलीबारी के दोहरे उकसावे का शिकार हुआ है। परंतु हर बार की तरह, इस बार भी भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियों और सेना ने संयम और सटीकता के साथ जवाब दिया।
1 मई की रात और 2 मई की सुबह, नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की। भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुल्ला, पुंछ, नौशेरा और अखनूर सेक्टरों में इसका संतुलित और करारा जवाब दिया। यह गोलीबारी अप्रैल के उस आतंकी हमले के बाद शुरू हुई जिसमें पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे।
इससे पहले, पाकिस्तान की ओर से साइबर हमलों की एक नई लहर देखने को मिली। पाक समर्थित हैकर समूह जैसे "HOAX1337", "नेशनल साइबर क्रू" और "आईओके हैकर (Internet of Khilaf)" ने भारत की सार्वजनिक और कल्याणकारी वेबसाइटों को निशाना बनाने की कोशिश की।
हालांकि भारत की स्तरित और सतर्क साइबर सुरक्षा प्रणाली ने इन सभी हमलों को वास्तविक समय में पहचान कर विफल कर दिया।
प्रमुख हमलों में शामिल थे:
• आर्मी पब्लिक स्कूल (APS) नगरोटा, सुंजवान, श्रीनगर और रानीखेत की वेबसाइट्स को विकृत करने और भड़काऊ संदेश फैलाने का प्रयास।
• आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गनाइजेशन (AWHO) के डेटाबेस में सेंध लगाने की कोशिश।
• भारतीय वायुसेना के सेवानिवृत्त सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों से जुड़ी वेबसाइटों को निशाना बनाना।
• आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की वेबसाइट से छेड़छाड़।
कुछ वेबसाइट्स को विकृत कर पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों का मज़ाक उड़ाने वाले संदेश डाले गए, जो पाकिस्तान की गिरी हुई मानसिकता और बढ़ती हताशा को दर्शाते हैं। खासकर जब बच्चों और वृद्ध सैनिकों से जुड़ी वेबसाइट्स को निशाना बनाया गया, तो यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान किसी भी नैतिक सीमा को नहीं मानता।
सभी प्रभावित वेबसाइटों को तत्काल अलग कर, पुनर्स्थापित कर दिया गया। महत्वपूर्ण या वर्गीकृत नेटवर्क पूरी तरह सुरक्षित रहे। भारत के खिलाफ साइबर और पारंपरिक दोनों मोर्चों पर असफल उकसावे की ये घटनाएं पाकिस्तान की छटपटाहट का प्रतीक हैं। यह न केवल भारत की साइबर सुरक्षा क्षमता की विजय है, बल्कि एक बार फिर स्पष्ट करता है कि भारत संयम तो रखता है, लेकिन जवाब देने में कभी पीछे नहीं हटता।