ग्लोबल वार्मिंग का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है जिस वजह से धरती के तापमान में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इसी से जुड़ी अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट सामने आई है। इसके अनुसार, पिछले 137 साल के इतिहास में 2016 सबसे ज्यादा गर्म साल रहा। इससे पहले 2015 सबसे ज्यादा गर्म साल रहा था। लगातार तीसरे साल यह रिकार्ड टूटा है।
बता दें कि मौसम विभाग की जानकारियों का रेकॉर्ड रखने की शुरुआत सन 1850 में हुई थी। इसके बाद से लगातार तीसरे साल वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस तापमान के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ा और आर्कटिक समुद्र में जमने वाली बर्फ, महाद्वीपीय ग्लेशियरों और उत्तरी गोलार्ध में जमने वाली बर्फ में गिरावट हुई।
यूएस नेशनल ओसेनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, पिछले साल जलवायु परिवर्तन के कई महत्वपूर्ण संकेत मिले, जो स्पष्ट रूप से दुनिया के तेजी से गर्म होने की ओर इशारा कर रहे हैं। मेक्सिको और भारत सहित कई देशों में रेकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया, जबकि कई अन्य देशों में ये रेकार्ड तापमान के आसपास रहा।
ओजोन परत में सुधार
रिपोर्ट में कहा गया है कि भू-स्थल और समुद्र के तापमान, समुद्र तल के स्तर और वातावरण में ग्रीन हाउस गैस के केंद्रीकरण समेत कई मामलों में पिछले एक साल तक के रेकॉर्ड टूट गए हैं। धरती के बढ़ते तापमान के लिए अलनीनो को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। यह शोध जिस रिपोर्ट पर आधारित है, उसमें करीब 60 देशों के 500 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने भी अपना उल्लेखनीय योगदान दिया था। इस बीच एक अच्छी खबर ये है कि ऊपरी समताप मंडल में ओजोन का लेवल हर दशक में 2-4 प्रतिशत बढ़ रहा है, जिसका मतलब है कि 1990 के दशक के बाद से ओजोन परत में सुधार हो रहा है।
गौरतलब है कि उद्योगों और शहरी जीवन शैली की वजह से होने वाला कार्बन उत्सर्जन ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा कर रहा है जिससे धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। अब इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि इसी गर्मी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और बाढ़, चक्रवाती तूफान और सूखे जैसी घटनायें लगातार हो रही हैं। भारत में भी पिछले दो दशकों में ऐसी घटनायें तेज़ी से बढ़ी हैं।