गलवान घाटी में बीते साल भारतीय सैनिकों से झड़प में मात खाने के बाद चीन ने भारत में साइबर अटैक की कोशिश की थी, जिसकी वजह से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक दिन के लिए ब्लैक आउट हो गया था। पूरे शहर में बत्ती गुल हो गई थी और कोरोना काल में अस्पतालों में जनरेटर से काम चलाना पड़ा था।
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में चीन की इस साजिश का खुलासा किया गया है। उस समय की न्यूज रिपोर्ट्स में भी भारतीय अधिकारियों के हवाले से यह दावा किया गया था कि मुंबई में साइबर हमले के पीछे चीनी साइबर अटैक हो सकता है।
गलवान हिंसा के चार महीने बाद मुंबई में अचानक बिजली गुल होने की वजह से ट्रेनें बंद हो गई थीं और स्टॉक मार्केट भी ठप हो गया था जिससे शहर के 2 करोड़ लोग अंधेरे में डूब गए थे। वेंटिलेटर चलाने के लिए अस्पतालों में इमरजेंसी जनरेटर चालू करने पड़े थे। यह वही समय था जब भारत में कोरोना अपने चरम पर जा रहा था। बीते साल 12 अक्टूबर को मुंबई में ब्लैकआउट हुआ था।
अब एक नए अध्ययन से यह पता लगा है कि ये सब घटनाएं आपस में जुड़ी थीं। ये घटनाएं चीन के एक बड़े साइबर अभियान का हिस्सा था, जिसका मकसद भारत के पावर ग्रिड को ठप करना था। चीन ने तो यहां तक योजना बना ली थी कि अगर गलवान में भारत दबाव बनाता है तो वह पूरे देश को अंधेरे में डूबा देगा। स्टडी से खुलासा हुआ है कि हिमालय में जारी गतिरोध के बीच चीनी मैलवेयर भारत में बिजली सप्लाई के कंट्रोल सिस्टम में घुस चुके थे। इसमें हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन सबस्टेशन और थर्मल पावर प्लांट भी शामिल थे।
अमेरिकी साइबर फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर ने चीनी साइबर अटैक का खुलासा किया। हालांकि, कंपनी ने यह भी पाया कि अधिकतर मैलवेयर कभी ऐक्टिवेट नहीं हुए। कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर स्टुअर्ट सोलोमन ने बताया कि कैसे चीन की कंपनी रेड ईको ने साइबर हमले की एडवांस तकनीक का सहारा लेकर भारत के करीब एक दर्जन पावर ग्रिड को गुपचुप तरीके से कंट्रोल करने की कोशिश की।
बता दें कि पिछले बीते साल मुंबई में गंभीर बिजली संकट पैदा हो गया था। मुंबई महानगरीय क्षेत्र में ग्रिड फेल हो गई थी। मुंबई टाउनशिप में बिजली की आपूर्ति करने वाली कंपनी बेस्ट ने कहा था कि बिजली की आपूर्ति करने वाले प्लांट से ग्रिड फेल हो गए थे। मुंबई के पूर्वी, पश्चिमी, उपनगर और ठाणे के कुछ हिस्से में बिजली गुल हो गई थी।