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बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने कहा, सीएए-एनआरसी भारत का आंतरिक मामला लेकिन कानून जरूरी नहीं

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक...
बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने कहा, सीएए-एनआरसी भारत का आंतरिक मामला लेकिन कानून जरूरी नहीं

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) भारत का 'आंतरिक मामला' है लेकिन कानून जरूरी नहीं था।

शेख हसीना ने कहा, “बांग्लादेश ने हमेशा यह कहा है कि सीएए और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं। भारत सरकार ने भी अपनी तरफ से बार-बार दोहराया है कि एनआरसी भारत की एक आंतरिक प्रक्रिया है और पीएम मोदी मोदी ने निजी तौर पर अक्टूबर 2019 के मेरे दिल्ली दौरे के दौरान मुझे इसे लेकर आश्वस्त किया था।”

जताई थी अनिश्चितता को लेकर चिंता

शेख हसीना ने ‘गल्फ न्यूज’ को दिये एक इंटरव्यू में भारत के नए नागरिकता कानून के बारे में कहा, “हम नहीं समझ रहे हैं कि भारत  सरकार ने ऐसा क्यों किया। यह जरूरी नहीं था।” उनका यह बयान बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन के उस बयान के बाद आया है कि सीएए और एनआरसी भारत के “आंतरिक मामले” हैं, लेकिन इस बात पर चिंता जताई थी कि वहां किसी भी तरह की “अनिश्चितता” का पड़ोस पर असर होगा।

अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की 16.1 करोड़ आबादी में 10.7 फीसदी हिंदू और 0.6 फीसदी बौद्ध हैं , तथा धार्मिक उत्पीड़न की वजह से उन्होंने भारत जाने से इनकार किया है। संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबु धाबी में शेख हसीना ने यह भी कहा कि भारत से भी लोगों के बांग्लादेश आने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

भारत में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं लोग

उन्होंने कहा, “नहीं, भारत से पलट कर कोई प्रवासी नहीं आ रहे हैं लेकिन भारत के अंदर, लोग कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।” फिऱ भी यह एक आंतरिक मामला है।”

सीएए के मुताबिक, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना की वजह से 31 दिसंबर 2014 तक वहां से भारत आए हिंदू, जैन, सिख, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इसके विरोध में देश भर में प्रदर्शन चल रहे हैं।

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