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तालिबान के साथ "दोस्ताना रिश्ते" के लिए तैयार चीन, देगा मान्यता!

तालिबान के कब्जे के साथ ही अफगानिस्तान से अमेरिका समेत ज्यादातर देशों ने अपनी सेनाओं और अधिकारियों को...
तालिबान के साथ

तालिबान के कब्जे के साथ ही अफगानिस्तान से अमेरिका समेत ज्यादातर देशों ने अपनी सेनाओं और अधिकारियों को वापस बुला लिया लेकिन चीन न सिर्फ वहां डटा है बल्कि उसने अपनी मंशा भी साफ कर दी है। चीन ने साफ कहा है कि देश अफगानिस्तान के साथ ‘दोस्ताना और सहयोगपूर्ण’ संबंध गहराने के लिए तैयार है। चीन के प्रवक्ता ने कहा, "स्वतंत्र रूप से अपने भाग्य का निर्धारण करने के अफगान के लोगों के अधिकार का चीन सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध विकसित करना जारी रखना चाहता है।" अपने देश में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के आरोप झेल रहे चीन के इस बयान से सवाल उठने लगे हैं कि कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन को आखिर वह क्यों समर्थन दे रहा है?

वहीं, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एयरपोर्ट पर जुटी हजारों की भीड़ के बीच मची भगदड़ ने कम से कम 5 लोगों की जान ले ली है। रिपोर्ट के मुताबिक,  हजारों लोगों का हुजूम तालिबान के खौफ से बचने के लिए देश से बाहर जाने की कवायद में जुटा था। एक वक्त तो हालात को काबू में करने के लिए अमेरिकी सैनिकों को हवा में फायरिंग भी करनी पड़ी थी। बता दें कि तालिबान ने रविवार को काबुल पर कब्जा जमा लिया था और उसके बाद से ही देश के तमाम सीमावर्ती इलाकों से लोग देश से बाहर भागने की फिराक में हैं। काबुल एयरपोर्ट अभी अमेरिकी सेना के नियंत्रण में हैं।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग का कहना है कि तालिबान ने बार-बार चीन के साथ अच्छे संबंध विकसित करने की इच्छा जाहिर की है। वे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास में चीन की भागेदारी का इंतजार कर रहे हैं। हुआ का कहना है, ‘हम इसका स्वागत करते हैं। चीन अफगान के लोगों के अपनी किस्मत तय करने के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ मिलकर दोस्ताना और सहयोगी संबंधों का विकास करना चाहता है।’

हुआ ने तालिबान से शांतिपूर्ण हस्तांतरण की अपील की और एक समावेशी इस्लामिक सरकार स्थापित करने का वादे निभाने को कहा। हुआ ने साफ किया है कि चीन का काबुल स्थित दूतावास ऑपरेशनल है। हालांकि, खराब होती सुरक्षा व्यवस्था के बीच चीन यहां से कई महीनों से अपने लोगों को निकाल रहा है। सोमावर को भी दूतावास ने अपने लोगों से अंदर रहने को कहा और स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है।

चीन में पिछले महीने सरकारी मीडिया ने कुछ तस्वीरें जारी की थीं जिसमें विदेश मंत्री वांग यी को तालिबान के अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े देखा जा सकता था। माना जा रहा है कि चीन अपने देश में उइगर मुस्लिमों के अलगाववादी आंदोलन के खतरे को देखते हुए यह नहीं चाहता था कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल उसके खिलाफ किया जाए।

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