भारत ने चीन और अन्य पड़ोसी देशों से सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर पाबंदी लगा दी है। महामारी से अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल के बीच केंद्र सरकार ने घरेलू कंपनियों का अधिग्रहण रोकने के लिए यह फैसला लिया है। सोमवार को इस पर चीनी दूतावास ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि कुछ खास देशों से एफडीआई के लिए भारत के नए नियम डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।
चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा है कि ‘‘अतिरिक्त बाधाओं’’ को लागू करने वाली नई नीति जी-20 समूह में निवेश के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए बनी आम सहमति के खिलाफ भी है। प्रवक्ता जी रोंग ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत की ओर से खास देशों से निवेश के लिए लगाई गई अतिरिक्त बाधाएं डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांन्त का उल्लंघन करती हैं, उदारीकरण तथा व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।’’
सरकार ने लगाई ये शर्त
सरकार ने शनिवार को निर्देश जारी कर कहा कि जिन देशों की भौगोलिक सीमाएं भारत की सीमा से लगती हैं, वहां से विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होगी। भारत की सीमा से जिन देशों की सीमाएं लगती हैं उनमें चीन के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और म्यामार हैं। औद्योगिक संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की तरफ से यह भी कहा गया है कि किसी भी भारतीय कंपनी में मौजूदा या भविष्य में आने वाली एफडीआई से अगर मालिकाना हक बदलता है तो उसके लिए सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी होगी।
घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण पर लगेगी रोक
असल में भारत सरकार का यह फैसला चीन से आने वाले विदेशी निवेश पर अंकुश लगाएगा। डर इस बात का है कि भारत में लॉकडाउन के चलते कंपनियों की वैल्यू काफी गिर गई है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि चीन खुद या फिर दूसरे किसी पड़ोसी देश के जरिये भारत में अपना निवेश बढ़ा सकता है। साथ ही नई कंपनियां खरीद भारतीय अर्थव्यवस्था में सीधा दखल दे सकता है। अभी तक यह नियम सिर्फ पाकिस्तान से आने वाले निवेश पर लागू होता था। शनिवार को जारी नए आदेश में भी कहा गया कि पाकिस्तान का कोई नागरिक या वहां की कोई कंपनी रक्षा और अन्य प्रतिबंधित क्षेत्रों के अलावा अन्य सेक्टर में सरकार की अनुमति से ही निवेश कर सकती है।
चीन की कंपनियों ने किया है काफी निवेश
बता दें कि चीन के टेक्नोलॉजी निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप में 4 अरब डॉलर का निवेश किया है। स्थिति यह है कि भारत की 30 यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनियों (जिनकी वैल्यू एक अरब डॉलर से अधिक है) में चीन ने निवेश किया हुआ है। इसलिए भारत को होस्टाइल अधिग्रहण को रोकने की जरूरत है। डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2000 से दिसंबर 2019 तक चीन से 2.34 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया है। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने हाल ही एचडीएफसी लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।