अमेरिका के सेना हटाने के फैसले के तुरंत बाद तुर्की ने अपने पड़ोसी देश सीरिया में एयर स्ट्राइक करनी शुरू कर दी है। इसमें आम लोगों के हताहत होने की भी सूचना है। हालांकि तुर्की का दावा है कि वह कुर्द बलों और इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। तुर्की कुर्द लड़ाकों को आतंकी मानता है। उधर, तुर्की के एकतरफा फैसले पर भारत ने गहरी चिंता जताई है और उससे अपील की कि वह सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे।
सीरिया की संप्रभुता का सम्मान करे तुर्की: भारत
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'हम पूर्वोत्तर सीरिया में तुर्की के एकतरफा सैन्य हमले पर गहरी चिंता जाहिर करते हैं। तुर्की का कदम क्षेत्र में स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर सकता है। इस कदम से मानवीय संकट पैदा होने की संभावना है।' मंत्रालय ने कहा, 'हम तुर्की से अपील करते हैं कि वह सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता का सम्मान करे और संयम बरते। हम बातचीत और चर्चा के माध्यम से मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की अपील करते हैं।'
कश्मीर पर पाक की भाषा बोल रहा था तुर्की
भारत ने तुर्की के इस ऐक्शन पर विरोध ऐसे समय में जताया है जब हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का जिक्र करते हुए पाकिस्तान का समर्थन किया था। तुर्की ने कई बार कश्मीर में कथित तौर पर मानवाधिकार के उल्लंघन की बात की है। तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर की तुलना फिलिस्तीन से भी कर डाली। इतना ही नहीं, तुर्की पाकिस्तान के लिए युद्धपोत भी बना रहा है।
क्या है मामला
कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सीरिया-तुर्की सीमा पर तैनात अपने सैनिकों को हटाने की घोषणा की। उन्होंने कहा था कि तुर्की को अपनी समस्या का समाधान खुद करना होगा। वहीं, जब तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सीरिया पर हवाई हमले की घोषणा की तो अमेरिका ने इस कदम पर अंकारा को चेताते हुए कहा कि अगर वह अपनी हद पार करेगा तो वॉशिंगटन उसकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा।
तुर्की पर इसका असर होता नहीं दिख रहा और राष्ट्रपति एर्दोआन ने बुधवार को घोषणा की कि हमने सीरिया में एयर स्ट्राइक शुरू कर दी है। उन्होंने यह जरूर दावा किया कि इस हमले में आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जाएगा और हमला सिर्फ कुर्द बलों व आईएस पर हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सीरिया की संप्रभुता का सम्मान किया जाएगा। लेकिन स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले में आम नागरिकों में बेचैनी बढ़ गई है और उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है।
हमले से डरे कुर्द लड़ाके
तुर्की की तरफ से हमला किए जाने की खबर के बीच सीरिया के कुर्दों ने मानवीय आपदा आशंका जाहिर करते हुए सभी कुर्दों से संगठित होने की अपील की है। तुर्की का यह अभियान सीरिया के आठ साल पुराने युद्ध को नए सिरे से भड़का सकता है जिससे हजारों लोगों के विस्थापित होने की आशंका है। साथ ही ब्रिटेन की निगरानी संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने खबर दी है कि लोगों ने टल अबयाद से भागना शुरू भी कर दिया है। कुर्दिश नेता नवाफ खरीर ने कहा कि कुछ लोग देश के सुदूर दक्षिणी गांव की तरफ रवाना हो रहे हैं।
कुर्दों से ट्रंप की नाराजगी की वजह
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि सीरिया के कुर्दों ने आईएसआईएस के खिलाफ जंग में अमेरिका की कोई मदद नहीं की। इस बयान के जरिए उन्होंने अमेरिकी बलों को वापस बुलाने के अपने फैसले का बचाव किया है जिससे तुर्की को पूर्वोत्तर सीरिया पर हमला करने के लिए सैन्य अभियान शुरू करने का रास्ता मिल गया। सीरियाई कुर्दों के बारे में माना जाता है कि वह क्षेत्र में अमेरिका का सहयोग करते हैं। हालांकि ट्रंप ने उनके सहयोग को मान्यता देने से इनकार कर दिया है।